Farrukhabad: अब नेता जनता की सेवा के लिए नेतागिरी नहीं करता| बाजार (अब राजनीति भी इसी श्रेणी में शामिल है) में नेता का मतलब केवल पार्टी से टिकेट हासिल करना, चुनाव लड़ना, एमपी एमएलए या मंत्री बनना और उसके बाद जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे से सरकारी खर्चे पर मौज मस्ती या निजी हित साधना रह गया है| हाल ही में मुलायम सिंह यादव के जिले के सबसे करीबी खाटी समाजवादी नेता सतीश दीक्षित को नेताजी ने न केवल लाल बत्ती से नवाजा बल्कि उन्हें केबिनेट मंत्री का दर्ज देकर उपकृत किया है| सतीश दीक्षित को लाल बत्ती के साथ मिला कैबिनेट मंत्री का दर्जा और उसके बाद उनकी फर्रुखाबाद में हो रहे स्वागत समारोह की सभाओ के भाषणों से कुछ और ही नजर आ रहा है| सतीश दीक्षित को अगले लोकसभा चुनाव में फर्रुखाबाद से अघोषित समाजवादी प्रत्याशी होने का बखूबी इशारा मिल रहा है| इस तरह से फर्रुखाबाद से संसदीय इतिहास में हैट्रिक लगाने वाला भी एक ब्राह्मण ही रहा|
राजनीति में साधन विहीन लेकिन बेदाग छवि के सतीश दीक्षित को मुलायम सिंह यादव ने पहले साधन सम्पन्न किया| कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर शक्ति सम्पन्न किया| इसके बाद जिले में उनकी सलाह से सरकारी मशीनरी की होने वाली सम्भावित तैनाती| ये तीन महत्वपूर्ण कारण इस बात पर विचार करने के लिए काफी है कि फर्रुखाबाद जनपद के आसपास सभी सीटो पर यादव जाति के प्रत्याशी उतारने के बाद गैर यादव प्रत्याशी की जरुरत थी| कांग्रेस के सलमान खुर्शीद से मुकाबला करने के लिए पढ़े लिखे, तजुर्बेदार, बेदाग और वाकपुट क्षमता से भरपूर प्रत्याशी के रूप में मुलायम सिंह यादव ने सतीश को अपने सबसे पुराने विश्वसनीय वफादार साथी के रूप में चुनावी तयारी के लिए ताकत देकर भेज दिया है| हालाँकि वे (सतीश दीक्षित) नेताजी से चुनावी तैयारी करने के आदेश को तो स्वीकारते है मगर खुल कर इस मामले पर अभी चुप्पी साधे हैं|
चुनाव में विकास और नीति को ताक पर रख चुकी हिंदुस्तान की जनता और नेता स्वस्थ विकसित लोकतंत्र और देश के लिए चुनौती भले ही हो मगर कडुआ सच यही है| केवल जाति आधारित चुनाव में पूरे देश का लोकतंत्र चुनावी नैया पार लगाता है| जब चुनाव आएगा तब सलमान खुर्शीद से जुदा विकलांगो से सम्बन्धित घोटाला हवा हो जायेगा| सतीश पर लगे छोटे मोटे आरोप जैसे पार्टी चंदे के मामले नहीं होंगे| तब केवल होगा जाति ही सबसे बड़ा मुद्दा होगा| सतीश के लिए यादव, ब्राह्मण और मुसलमान का गठजोड़| वहीँ मुसलमान के सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा को हराना होगा| बसपा के दलित वोट पर अब कांग्रेस और सपा को कोई आस नहीं है| इस पर बड़ा कब्ज़ा बसपा का होगा| कुल मिलकर जात जात का खेल चलेगा| फर्रुखाबाद में पिछले 50 सालो से किसी ब्राह्मण प्रत्याशी को कभी लोकसभा का टिकेट नहीं मिला है| जबकि इतिहास इस बात का गवाह है कि आजादी के बाद सं 51, सन 57 और सन 67 में फर्रुखाबाद से पंडित मूल चन्द्र दुबे तीन बार संसद बने| उनकी कार्यकाल के दौरान हुई असमय म्रत्यु के बाद समाजवादी डॉ राम मनोहर लोहिया ने चुनाव जीता|
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सतीश दीक्षित ने अपने नए कार्यभार के बाद तीन दिन में ही अपने स्वागत समारोहों से कई संकेत दे दिए है| वे जनता के काम के लिए अपने घर या पार्टी दफ्तर में मिलने के लिए लोगो का आवाहन कर रहे है| सरकार की नीतिओ को जनता के बीच पहुचने में बाधा बने अफसरों को निपटाने की बात कह रहे हैं| युवाओं को मतदान प्रतिशत बढ़ाने और अखिलेश यादव को युवाओ से जोड़ने के लिए अपनी रणनीति तैयार कर रहे है| रविवार 3 फरबरी 2013 को देर रात गंगानगर मोहल्ले में उनके स्वागत सभा के दौरान उनके दिए भाषण काफी कुछ इशारा कर रहे है|
आप भी सुनिए, क्या कहा सतीश ने-
Satish Dixit 3-2-2013