कायमगंज: तहसील सभागार में अंजुमन फरोगे अदब की जानिब से गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुशायरा और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता तहसीलदार सरोज कुमार ने की और संचालन रामबाबू मिश्र रत्नेश ने किया।
तहसील में हुआ कवि सम्मेलन व मुशायरा
समारोह में सैयद राशिद अली व प्रोफेसर रामबाबू मिश्र ने राष्ट्रीय एकता को समर्पित गीत पेश किये। नायब तहसीलदार अनिल तिवारी ने अपनी रचना पेश करते हुए कहा कि “बुलन्दी देर तक किस शख्स के हिस्से में रहती है, बहुत ऊंची इमारत हर समय खतरे में रहती है”। बुजुर्ग शायर जामिनअली खां नजर ने अपना कलाम पेश करते हुए कहा कि “जमीं को खून से अपने गरीब ने सींचा, लहू निचोड़ लिया उसका ताजदारों ने”। [bannergarden id=”8″] आलेहसन खां ‘रहबर’ ने अपना कलाम पेश करते हुए कहा कि “वो सच को झूठ कहते हैं हमेशा, जिन्हें बातें बनाना आ गया है”। अब्दुल बहाब ‘बहार’ ने अपनी गजल पेश करते हुए कहा कि “बदनामी का डर था गालिब, लब पे तुम्हारा नाम ना आया”। मुमताज हुसैन शौक ने गणतंत्र दिवस के आलोक में अपने उद्गार इस तरह पेश किये “हमारी खुशनसीबी इससे बढ़कर और क्या होगी, वतन के काम आ जाये अगर ये जिन्दगी यारो”। इस मौके पर रामसिंह गौतम, रामभजन नादान ने भी अपनी रचनायें पढ़ीं। समारोह में विशेष अतिथि कर्मवीर रस्तोगी के अलावा नाजिमउद्दीन खांन, अख्तर खां, मुहम्मद सकलेन खां, जावेद सलमानी, अलीशेर, लज्जाराम, दुख्तर खां, बसीमुद्दीन फरीदी, अतर सिंह, डा0 साहिस्ता खां आदि अनेक सम्भ्रान्त नागरिक एवं बुद्धजीवी उपस्थित रहे। अन्त में तहसीलदार सरोज कुमार सिंह ने सभी को गणतंत्र दिवस की मुबारकबाद देते हुए उनका आगमन हेतु शुक्रिया अदा किया।