फर्रुखाबाद परिक्रमा- भाजपा और कल्याण का दीपावली जुंआ!

EDITORIALS FARRUKHABAD NEWS

दीपावली का कर्म समझो – मर्म समझो!

मिट्टी का छोटा सा दिया,
दिए में तेल,
तेल में भीगी हुई पतली सी बाती
बाती के सिरे पर टिमटिमाती लौ।
इस लौ को इसकी मन्दिम रोशनी को देखिए
देखते रहिए!
हवा की हल्की तरंगों में कंप कंपाती
कभी तेज होती और कब अब बुझी तब बुझी जैसी!
चकाचौंध रोशनी का कोई दावा नहीं।
अमरता का भी कोई वादा नहीं।
जब तक दिये में तेल है बाती जलेगी।
तेज झोके आयें तो बुझ भी सकती है।
जलना, बुझना जलना प्राण की तरह
जिन्दगी की तरह। अपनी सामर्थ्य भर
रोशनी बिखेरना। यही छोटी सी
लेकिन प्रेरक कहानी है दिए की।
बिजली की चकाचौंध और विविध
नाटकीयता वाली झालरें दियों का
भला क्या मुकाबला करेगी।
ये बेजान लट्टू खुद चाहें
जितना चम चमालें झक झकालें
लौ से लौ जलाना ये क्या जानें।
यह इनके बस की बात नहीं।
उम्मीद बनी रहे तो अंधकार से मुक्ति मिलती है।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
टिमटिमाते दीपों की दीपमालिकाओं को
शत शत नमन!

भैंस के आगे बीन नहीं, वंशी बजाओ मुरली मनोहर!

भाजपा में मुरली मनोहर जोशी की पहिचान योग्य अनुभवी, विद्धान और गंभीर नेताओं में की जाती है। मुख्तार अब्बास नकबी जैसे हल्के हास्यास्पद और मदेस प्रतीत होने वाले वयान देने वालों की तरह नहीं। उन्हें आगे इसलिए किया जाता है। जिससे यह लगे कि भाजपा में अल्पसंख्यकों का भी प्रतिनिधित्व है। चुनावी चिंता और प्रधानमंत्री पद की रेस में सबसे आगे रहने की मची गलाकाट होड़ में नकबी साहब के तौर तरीकों को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी इस समय तेजी से अपनाते प्रतीत होते हैं। पचास करोड़ की गर्लफ्रेंड वाला उनका वयान इसका ताजा उदाहरण है।

मुरली मनोहर जी! बीन सपेरे इसलिए बजाते हैं। कहीं आस पास सांप नाग नागिन छुपी हो। वीन की आवाज सुने मस्ती से बाहर आकर बीन की धुन पर नाचने लगे। सपेरा उसे पकड़कर अपनी टोकरी में कैद कर ले। आप तो भौतिक शास्त्र के इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अवकाश प्राप्त प्रवक्ता हैं। धर्म नगरी वनारस के सांसद हैं। भगवान शंकर के उपासक हैं। माननीय अटल जी की तरह विजया (मांग) के प्रेमी हैं या नहीं। यह आप जानें। कहावतें अपनी जगह हैं। लेकिन किस लाल बुझक्कड़ ने आपको समझा दिया। भैंस के आगे बीन बजाओगे। तब फिर भैंस नागिन की तरह झूम झूम कर नाचने लगेगी। स्वास्थ्य वर्धक बढ़ा हुआ दूध देने लगेगी। अगर भैंस से दूध अधिक लेना है तब फिर उसके आगे वीन नहीं वंशी की मुरली की मनोहर तान छोड़िए। निश्चय ही आप कामयाब होंगे। अपनी पार्टी अध्यक्षी के कार्यकाल में आपने पैदल चलकर कश्मीर के लाल चौक पर बीन बजाने (राष्ट्रीय ध्वज फहराने) और देश द्रोही नागों को पकड़ने का अभियान प्रारंभ किया था। आप लाल चौक पहुंचे। परन्तु पैदल नहीं। केन्द्र सरकार की मदद से और वायुयान से। नतीजतन कश्मीर में आतंकवादियों देशद्रोहियों के रूप में घूमने वाले काले नाग अब देश के कोने कोने में घूम रहे हैं। आप हैं कि इन नागों के बीन बजाकर पकड़ने के स्थान पर भैंस के आगे बीन बजा रहे हैं। वह भी एफडीआई का विरोध करने के लिए। क्षमा करें बात कड़वी जरूर है। परन्तु यह तो वही बात हो गई कि नाच न जाने आंगन टेड़ा

मुरली मनोहर जी! कांग्रेस से कुछ सीखिए। यह पार्टी चोरी भी करती है। सीना जोरी भी करती है। आप भैंस के आगे बीन बजाकर एफडीआई का विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस और उसकी नयी त्रिमूर्ति (मनमोहन, सोनिया और राहुल) ताल ठोंक कर सीना तानकर एफडीआई का समर्थन ही नहीं करतीं। इसका विरोध कर रहे आप जैसे सभी विरोधियों की बुद्धि पर तरस खाती हुई पानी पी पीकर गरियाती भी है। मजा देखिए एफडीआई के आपसे ज्यादा विरोधी अपने को साबित करते हुए हाथी वाले और सायकिल वाले आपके साथ नहीं हैं। कांग्रेस के साथ हैं। और तो और इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार से अपना समर्थन वापस लेने वाली बंगालिन ममता बनर्जी भी आपके साथ नहीं हैं। राज्य सभा में जन लोकपाल बिल पर आपकी धूर्तता पूर्ण चालाकी के कारण ममता अब अन्ना हजारे के साथ है।

मुरली मनोहर जी! भैंस के आगे बीन मत बजाओ। वंशी की मुरली की अब कुछ ऐसी तान सुनाओ। जिससे उथल पुथल मच जाये। एक हिलोर इधर से आए एक हिलोर उधर से आए। चुनाव दूर नहीं है। कांग्रेस एफडीआई के पक्ष में है। आप उसके विरोध में हैं। आप के अनुसार जनता व्यापारी आदि आदि सभी इसके विरोध में हैं। राम मंदिर वाला मुद्दा तो अब चलने से रहा। एफडीआई को मुद्दा बनाकर कूद पड़िए चुनाव के मैदान में। लोगों को जगाइए। शत प्रतिशत मतदान के लिए प्रेरित करिए। निर्णायक जंग जीतिए। एफडीआई को हटाइए। इससे पहिले भैंस के आगे बीन बजाने की नौटंकी तत्काल बंद करिए।

भाजपा और कल्याण का दीपावली जुंआ!

क्षमा करें! हम आपको विधानसभा चुनाव से पूर्व कीचड़, गोबर, आरोपों, प्रत्यारोपों की मदमस्त होली की याद दिलाकर आपकी दीपावली का मजा किरकिरा नहीं करना चाहते। परन्तु बिना ह्रदय परिवर्तन के विशुद्ध जातिवादी और अवसरवादी सोंच के तहत मरता क्या न करता की तर्ज पर आप दोनो ने दीपावली के प्रकाश पर्व पर जो राजनैतिक जुआं खेलने का निर्णय किया है। उसकी सफलता पर हमें तो क्या आपको भी संदेह है। भरोसा बिलकुल नहीं है।

कल्याण सिंह जी! आप रामलला के सच्चे उपासक हैं। जब भी कोई दुविधा होती है। आप अयोध्या रामलला की शरण में जाते हैं। परन्तु लगता ऐसा है कि आप रामलला की बात चाहें जितनी करें। आपको उन पर अब पहिले जैसा भरोसा नहीं रहा। राम मर्यादा पुरुषोत्तम बने। सत्ता का मोह छोड़कर अन्याय के प्रतीक रावण का विध्वंस किया। इसी के बाद अयोध्या आने पर दीपावली हर्षोल्लास के साथ मनाई गई थी।

परन्तु कल्याण सिंह जी! आपने 2009 के लोकसभा चुनाव में मुल्ला कहे जाने वाले मुलायम सिंह यादव का साथ दिया! अपनी दोनो की फजीहत कराई। पुनः अपनी पार्टी बनाकर विधानसभा चुनाव में अपनी और भाजपा दोनो की फजीहत कराई। अब दीपावली के प्रकाश पर्व पर राजनीति का जुंआ खेलने पुनः भाजपा में आ रहे हैं। क्या कहेंगे इसे। अटल बिहारी, अड़वाणी, से लेकर राजनाथ सिंह, लाल जी टंडन आदि पर गालियों की तर्ज पर लगाए गए आरोपों को कौन कैसे भूल पाएगा। फिर आप, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव, मायावती आदि सभी अध्यापक रहे हैं। अटल अडवाणी तो हेड मास्टर हैं। अध्यापकों की स्मरण शक्ति बड़ी तेज होती है। कौन किसकी कीचड़ सनी गोबर सनी, पिचकारियों को भूल पाएगा। मजबूरी का नाम महात्मागांधी की तर्ज पर यदि भुलाने की कोशिश भी की ।तब फिर यह गाना जोर से कानों पर हाथ रखकर गाने के अलावा क्या मिलेगा-

एक यह भी दिवाली है, एक वह भी दिवाली थी,
उजड़ा हुआ गुलशन है, रोता हुआ माली है।

कल्याण सिंह जी! दीपावली के अवसर पर राजनीति की विसात पर किसकी किसकी इज्जत प्रतिष्ठा मान मार्यादा दांव पर लगाओगे। अपनी स्वयं की, अपनी विरादरी की, बेटे की, बहू की, मुकेश राजपूत की या अपने प्यारे दुलारे रामलला की। लगा भी दोगे तब भी पाओगे क्या। तुमने किसी को नहीं छोड़ा। वक्त आने पर तुम्हें कौन छोड़ेगा। यह तो वही बात हो गई।

बिन मन को व्याह- मटकों संग भौंरी।

दीपावली पर होली की तरह बुरा मत मानना। हमारी कामना है। दीपावली आपके लिए, आपके परिवार के लिए, आपकी विरादरी के लिए, आपकी कूटनीति, रणनीति के लिए और इस सबसे ऊपर आपकी राजनीति के लिए शुभ और मंगलमय हो। कहते हैं कानी के व्याह में नौ सौ जोखें। दल बदल कानून की दुधारी तलवार के चलते जुआं और दीपावली दोनो फीकी भी साबित हो सकतीं हैं।

हनक, अकड़, ठसक सब हवा हवाई हो गई

आए दिन अधिकारियों को धमकाने सुधर जाने बसपाई मानसिकता का राग गाना छोड़ने की सख्त हिदायत देने पर अब कोई ध्यान नहीं देना। पार्टी के कार्यकर्ता तक इन सब बातों पर दुखी मन से जब जहां मौका मिलता है। अपनी भड़ास निकालते हैं। दरबार लग रहे हैं। हमको और न तुमको ठौर की तर्ज पर मीडिया में लोग छाए हुए हैं। लोहिया ग्रामों के चयन पर ऐसे तालियां बज रही हैं। बधाइयां ली और दी जा रही हैं जैसे कोई बहुत बड़ा तीर मार लिया हो। प्रभारी मंत्री भी धीरे धीरे सब समझ रहे हैं।

दीपावली है। जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लाक प्रमुख आदि पदों पर बैठे बसपाई सपाइयों की छाती पर बेखौफ मूंग दल रहे हैं। लगता है दुबारा त्यौहारी मिल गयी है या मिलने वाली है। कन्नौज के बाद अब कानपुर के बसपाई अध्यक्ष की कुर्सी भी सपाइयों ने छीन ली। आस पास ही नहीं लगभग सभी जिलों में बसपा का सूपड़ा साफ हो गया। परन्तु डा0 राममनोहर लोहिया की कर्मभूमि के सपाइयों कहिए सायकिल सिंह कान में तेल डालकर बैठे हैं। इन्हें ज्यादा कुरेदो। तब जिले के सबसे बड़े सायकिल सिंह अपने चमचों के साथ झुंझलाकर कहते हैं। क्या बकवास करते हो। बेईमानी भ्रष्टाचार के सारे मामले लिखा पढ़ी में नहीं होते। जिसे जो कहना हो कहता रहे। हमने तो मखमली रुमाल में चांदी का भारी जूता कायमगंज से लेकर पूरे जिले में ही नहीं घर के अंदर तक शान से खाया है। अब जलने वाले जला करें जलते रहें। हम किसी से नहीं डरते। किस्मत हमारे साथ है। हाथी सिंह का हाथ सायकिल के साथ। हाथों में हाथ। सबसे ऊपर दिल्ली वाले जगन्नाथ।

क्या हो गया मुलायम सिंह यादव को!

महिला आरक्षण की बात हो रही है या ब्यूटी क्वीन, मिस इण्डिया, मिस वर्ड, मिस यूनीवर्स की ताजपोशी। शहरी और ग्रामीण महिलाओं में भेदभाव। जाति धर्म और वर्ग के नाम पर भेदभाव का राग। अब कथित आकर्षण के नाम पर भेदभाव करोगे। दूर क्यों जाओ बिना आरक्षण के ही संसद में विभिन्न राजनैतिक दलों  की जितनी महिला सांसद हैं। उनमें केवल और केवल आरक्षण के बल पर जीत कर आने वाली कितनी महिलायें हैं। जिला पंचायतों ब्लाक प्रमुखों, प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों, विधायकों सहित जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्र में ग्रामीण पृष्ठभूमि की महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। यह आकर्षण केवल राजनीति पर नहीं शिक्षा और जगरूकता के बल पर हो रहा है। संसद विधान सभाओं विश्व विद्यालयों ग्रामीण शहरी क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं के ही आंकड़े मंगा कर देख लो। मात्र आकर्षण (पता नहीं आकर्षण से आपका तात्पर्य क्या है) के बल पर महिलाओं छात्राओं, बेटियों, बहनों, बहुओं के लिए सब कुछ पा लेना संभव नहीं है। मुलायम सिंह जी दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। आकर्षण के नाम पर स्त्री को केवल और केवल मांग की वस्तु बनाए रखने की पुरानी परंपरा को समाप्त करो। मां बहन, बहू के रूप में महिला ‘‘यत्र नार्यस्त पूजयन्ते रमंते तत्र देवता’’ का रूप होती है। दहेज उत्पीड़न और हत्याओं के प्रकरण केवल और केवल हमारी दरिंदगी पूर्ण मानसिकता के कारण होते हैं। परन्तु इन्हें जाति धर्म और वर्ग में मत बांटिए। क्या आप में हिम्मत है। आप कन्या विद्या धन में महिला आरक्षण की तर्ज वाला आरक्षण लागू करें। जो पढ़ेगा आगे बढ़ेगा उसे ही कन्या धन सहित अन्य योजनाओं का लाभ मिलेगा। सर्वभूत हितेरतः वसुधैव कुटंबकम की बात करो। यही सच्चा समाजवाद है। जोड़ने की बात करो तोड़ने की बात मत करो। सदियों की गुलामी अत्याचार दमन शोषण की बेड़ियों को तोड़कर आगे बढ़ रही बेटियों को आगे बढ़ने का हौसला बढ़ाओ। उन्हें कथित आकर्षण महिलाओं को आपसी भाईचारे को बढ़ाइए तोड़िये मत।

आप तो कट्टर समाजवादी हैं। डा0 लोहिया के सच्चे अनुयायी हैं। डा0 लोहिया के महिलाओं के सम्बंध में क्या और कैसे विचार थे यह विचार ही हमारे और समाजवादी पार्टी के मार्गदर्शक होने चाहिए। आकर्षण सीटियां बजाने जैसे आपके वयानों से हम सबकी गरिमा और मर्यादा गिर रही है। ऐसा मत करिए। हौसला बुलंद करिए। हिम्मत करिए तभी बात बनेगी। विश्वास है आप अन्यथा नहीं लेंगे।

और अतं में – महंगे चुनाव और जातिवाद को समाप्त करेगा शत प्रतिशत मतदान

दीपावली का त्यौहार और समाजसेवी अन्ना हजारे की भ्रष्टाचार दूर करने के लिए ली गई हुंकार। भ्रष्टाचार महंगाई बेईमानी ने देश भर में माहौल को अंधकारमय कर दिया है। प्रकाश पर्व पर हम सबाके आत्म निरीक्षण करना चाहिए। वर्तमान निराशामय वातावरण को कैसे समाप्त करें।

देश ने आजादी के बाद लोकतांत्रिक व्यवस्था को चुना है। बिना किसी भेदभाव के सबको मतदान का अधिकार है। हम सब स्वयं ही अपने भाग्य निर्माता हैं। परन्तु हमने मतदान को अपना राष्ट्रीय दायित्व और अधिकार नहीं माना। लगभग आधे मतदाता मतदान से विरत रहते हैं। इसके चलते अल्पमतदान और वोटों के बंटवारे ने चुनावों को महंगा और जातिवाद के चक्रव्यूह में फंसा दिया।

हम बात भ्रष्टाचार की करते हैं। परन्तु स्वयं आगे बढ़ कर निष्पक्ष और निर्भीक होकर मतदान नहीं करते। महंगा और जातिवाद के बल पर चुनाव लड़ने और जीतने वाले जनप्रतिनिधि से ईमानदार बने रहने की उम्मीद करना व्यर्थ और बेमतलब है।

यदि आप वर्तमान व्यवस्था से वास्तव में त्रस्त और पीड़ित हैं। इससे छुटकारा चाहते हैं। तब फिर दीपावली के प्रकाश पर शपथ लीजिए संकल्प करिए कि हम निष्पक्ष और निर्भीक होकर शतप्रतिशत मतदान को अपना लक्ष्य बनायेंगे। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी संभव उपाय प्रयास करेंगे। हम जैसे जैसे शत प्रतिशत मतदान के लक्ष्य के समीप पहुंचते जायेंगे। महंगे चुनाव और जातिवाद की अवधारणा स्वयं ही समाप्त होती चली जायेगी। आइए! इस दीपावली से हम सब अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर हो। तमसो मा ज्योर्तिगमया!

चलते चलते – हमारे केजरीवाल साहब की अधीरता कम होने का नाम नहीं ले रही। बढ़ती जा रही है। सलमान खुर्शीद जैसे हैं। सब जानते हैं। देश के बाद अब विदेशों में भी जल्दी ही लोग जान जायेंगे। मीडिया और सामाजिक जीवन में शिष्ट और सौम्य व्यक्ति की छवि रखने वाले सलमान साहब को पहिले केजरीवाल ने छेड़ा। सलमान साहब भड़क गए। ऐसे ऐसे विशेषणों से केजरीवाल को नवाजा कि कुछ पूछो मत। अब बारी केजरीवाल की थी। वह भी तुनक मिजाजी का परिचय देने लगे। किसी ने उन्हें मच्छ कह दिया। वह बुरी तरह भड़क गए। कहते हैं कांग्रेस और भाजपा के लिए वह डेंगू मच्छर हैं। आपकी शिक्षा दीक्षा और पृष्ठभूमि का ध्यान रखा जाए। तब फिर आपकी इस प्रतिक्रिया का कोई मतलब नहीं है। आपका अपने विषय में क्या आकलन है। यह तो आप जानें। परन्तु देश की सभी छोटी बड़ी पार्टियों में एक से एक अच्छे और बुरे व्यक्ति हैं। अब आप सबको भ्रष्ट और बेईमान नहीं कह सकते।

हम गलत को गलत और सही को सही कहने की आपको सलाह देश हित और समाज हित में आपको दे रहे हैं। पता नहीं क्यों जाने अनजाने सलमान को टारगेट बनाकर सलमान को ही तकत दे रहे हैं। सलमान कांग्रेस के एक नेता और मंत्री हैं। सलमान सरकार और कांग्रेस पार्टी नहीं हैं। जब आप सलमान को टारगेट कर बोलते हैं। तब धर्म के आधार पर मुसलमानों के लिए आरक्षण के हिमायती सलमान साहब कांग्रेस में गैर जरूरी नहीं रहते। सलमान साहब यही चाहते हैं। इसी लिए वह आप पर भाजपाइयों से जुड़े होने का आरोप लगाते हैं। आप भड़क जाते हैं। कभी कभी ऐसा लगता है कि आप दोनो आरोप प्रत्यारोप में मिले हुए हैं। पूरा कुश्ती खेल रहे हैं। भगवान करे ऐसा न हो। आरोप प्रत्यारोप के इस भंवर जाल में मत फंसिए। कहा भी है-

मूरख को मुंह बंब है, निकलत वचन मुअंग,
ताकी औषध मौन है रोग न व्याये अंग।

आज बस इतना ही! जय हिन्द! पुनः दीपावली की ढेर सारी शुभकामनायें।

सतीक्ष दीक्षित
एडवोकेट