तहसील दिवस: डीएम और फरियादियों के बीच में कर्मचारियों का वैरियर

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फर्रुखाबाद: आम जनता की समस्याओं को निस्तारण के लिए शासन द्वारा शुरू किये गये तहसील दिवस में अब जनता की समस्याओं का निस्तारण कम हेरफेर ज्यादा हो रहा है। जिलाधिकारी के सामने पदेन अधिकारियों की शिकायतें न पहुंच जायें इसको लेकर तहसील दिवस में एक चलन बगैर किसी शासनादेश के शुरू कर दिया गया। जिसके चलते सीधे जिलाधिकारी या पुलिस अधीक्षक से कोई फरियादी नहीं मिल सकता। उसके प्रार्थनापत्र को तहसील दिवस सभागार से बाहर खड़े तहसीलकर्मी लपककर ले लेते हैं और सम्बंधित विभाग को सीधे पहुंचा देते हैं।

जिसने चोरी की वही जांच करे यह कौन सा नियम। तहसील दिवस में जिलाधिकारी मुथुकुमार स्वामी व पुलिस अधीक्षक नीलाब्जा चौधरी की मौजूदगी में उनकी आंखों में धूल झोंककर पदेन कर्मचारी अपनी मनमानी कर रहे हैं। पहले से ही इन अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर काट काट कर परेशान हो चुके लोग अपनी समस्या का निस्तारण हेतु तहसील दिवस में पहुंचते हैं और जब उनके प्रार्थनापत्र को उसी व्यक्ति को दे दिया जाता है जिस व्यक्ति की शिकायत वह करने आया है। बुधवार को हुए तहसील दिवस में महज चंद फरियादी ही जिलाधिकारी के समक्ष अपनी परेशानी वयां कर पाये। लगभग जितनी समस्यायें डीएम के सामने आयीं उन्हीं का निस्तारण हो सकता है। तहसील सदर में हुए तहसील दिवस में 110 फरियादियों की शिकायतें आयीं। जिसमें महज 7 का ही निस्तारण हो सकता है। यह कोई नई बात नहीं है। तहसील दिवस में महीनों पुरानी न जाने कितनी समस्याओं का निस्तारण महज इसी बजह से नहीं हो पा रहा कि उनकी शिकायत पर डीएम ने हस्ताक्षर नहीं किये और सम्बंधित विभाग उन्हें फाइलों के नीचे दबाकर कुंडली मारकर बैठ गया। डीएम के सामने जो शिकायतें पहुंचीं उन्होंने तत्काल सम्बंधित अधिकारी को फटकार लगाकर शीघ्र निस्तारण करने के निर्देश दिये। लेकिन जो शिकायतें तहसील सभागार गेट के बाहर तहसीलकर्मियों के हाथ में पड़ीं वह लटक गयीं या यूं कहिए इन पर कार्यवाही नहीं हो सकी। बगैर किसी शासनादेश के इस तरह से मनमानी कर रहे अधिकारी सिर्फ अपनी कामखोरी से बचने का साधन ढूंढ रहे हैं।