करवा चौथ: पूजा का शुभ मुहूर्त और चांद के निकलने का समय

FARRUKHABAD NEWS

धार्मिक डेस्क: वैदिक पंचांग के अनुसार, 20 अक्टूबर को करवा चौथ है। यह व्रत हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी भी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर विवाहित महिलाएं सुख और सौभाग्य में वृद्धि एवं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत को करने से व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। आइए, करवा चौथ से जुड़े शुभ मुहूर्त जानते हैं|

सुहागिन महिलाओं को हर वर्ष करवा चौथ का बेसब्री से इंतजार रहता है। अखंड सौभाग्य, पति की लंबी आयु और बेहतर जीवन के लिए सुहागिन महिलाएं हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ पर निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत में महिलाएं दिनभर उपवास रखते हुए रात को चंद्रमा के निकलने पर दर्शन और पूजन करते हुए अपना व्रत खोलती हैं। इससे पहले महिलाएं सूर्योदय होने के साथ करवा चौथ का व्रत आरंभ कर देती हैं। जिसमें सूर्योदय से पहले सरगी खाई जाती है, फिर शाम को करवा माता, भगवान गणेश की पूजा और कथा सुनी जाती है। आइए जानते हैं इस बार करवा चौथ पर पूजा के लिए क्या मुहूर्त है और चांद कितने बजे निकलेगा। 

सरगी का महत्व और शुभ मुहूर्त 2024
सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पर सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लेती हैं और सास द्वारा दी गई सरगी का सेवन करती हैं। सरगी में मिठाई, फल, सैवई, पूड़ी और साज-श्रृंगार का सामान दिया जाता है। इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 20 अक्तूबर 2024, रविवार को रखा जाएगा। ऐसे में 20 अक्तूबर को सूर्योदय का समय सुबह 06 बजकर 30 मिनट पर है। करवा चौथ पर सरगी सूर्योदय होने से दो घंटे पहले खाई जाती है। ऐसे करवा चौथ पर सरगी खाने का शुभ मुहूर्त सुबह 04 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। 
चतुर्थी तिथि
पति की लंबी आयु और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए सुहागिन महिलाएं इस साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी करवा चौथ का व्रत रविवार 20 अक्तूबर को रखेंगी। करवा चौथ की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर 2024 को सुबह 6:46 बजे से शुरू होगी और 21 अक्टूबर 2024 को सुबह 4:16 बजे समाप्त होगी।

करवा चौथ पूजा शुभ मुहूर्त 2024
करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखते हुए शाम को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करवा माता, भगवान शिव, माता पार्वती, विध्नहर्ता मंगलमूर्ति भगवान गणेश और चंद्रदेव की पूजा अर्चना करती हैं। इस बार करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र का अद्भुत संयोग बना हुआ है। करवा चौथ पर 20 अक्तूबर को पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 46 मिनट लेकर शाम को 06 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। 
करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय 
करवा चौथ पर चंद्रमा की विशेष पूजा करने का विधान होता है। चंद्रमा को मन, शीतलता, लंबी आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है और चंद्रदेव की पूजा से वैवाहिक जीवन सुखमय और अच्छा रहता है। वैदिक पंचांग के मुताबिक करवा चौथ पर आसमान में चांद के निकलने का समय शाम 07 बजकर 53 मिनट रहेगा। 
करवा चौथ पूजा विधि
सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के बीच प्यार, स्नेह और विश्वास का प्रतीक माना गया है। यह पर्व पति की लंबी आयु और दांपत्य जीवन में खुशहाली का महापर्व है। करवा चौथ के दिन चन्द्रमा की पूजा कर महिलाएं चंद्रदेव से यह आशीर्वाद मांगती हैं कि किसी भी कारण से उन्हें अपने प्रियतम का वियोग न सहना पड़े । सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पर देवी पार्वती के स्वरूप चौथ माता, भगवान शिव और कार्तिकेय के साथ-साथ श्री गणेशजी की पूजा करती हैं।  
करवा चौथ पर शाम को लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं, इस पर भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर दें। एक लोटे में जल भरकर उसके ऊपर श्रीफल रखकर कलावा बांध दें और दूसरा मिट्टी का करवा लेकर उसमें जल भरकर व ढक्कन में शक्कर भर दें, उसके ऊपर दक्षिणा रखें, रोली से करवे पर स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद धूप, दीप, अक्षत व पुष्प चढाकर भगवान का पूजन करें, पूजा के उपरांत भक्तिपूर्वक हाथ में गेहूं के दाने लेकर चौथमाता की कथा पढ़ें या  सुने। फिर रात्रि में चंद्रोदय होने पर चंद्रदेव को अर्ध्य देकर बड़ों का आशीर्वाद लेते हुए व्रत को समाप्त करें। 
करवा चौथ पूजन सामग्री
लकड़ी का आसान,देसी घी, पान, सींक, कलश, हल्दी, रोली ,मौली ,मिठाई ,छन्नी ,लोटे में भरने के लिए चावल ,दान की सामग्री ,अक्षत ,चंदन ,फल ,पीली मिट्टी ,फूल ,मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन और करवा चौथ व्रत कथा किताब।