मनुष्य के भोगवासना का कारण अज्ञान

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फर्रुखाबाद: लोहाई रोड के राधा श्याम शक्ति मंदिर में शुक्रवार शाम कथा कहते समय डा0 सुरेन्द्र ने कहा कि मनुष्य की भोगवासना का प्रमुख कारण अज्ञान है। उन्होंने कहा कि स्थूल दोष तो साधना से नष्ट हो जाते हैं पर उसकी वासना नष्ट नहीं होती। जैसे किसी पात्र में बेला के पुष्प रखे हों तो पुष्पों के हटा देने पर भी उसकी खुशबू बनी रहती है। इसी प्रकार कर्म समूल नष्ट हो जाने पर भी कर्माशय पूर्ण रूप से शुद्ध नहीं होता, भोगवासना बनी रहती है। भोग वासना का कारण अज्ञान होता है। अपने चिन्मय स्वरूप का बोध न होना ही अज्ञान है।

श्रोताओं को कथा का रसपान कराते हुए डा0 सुरेन्द्र ने कहा कि अज्ञान को नष्ट करने के लिए भगवान ने चीर हरण लीला की थी। शरीर को वस्त्र ढकता है और आत्मा को अज्ञान। इस अज्ञान का विनाश जीव अपने पुरुषार्थ से जप, तप आदि साधना से नहीं कर सकता। इसका विनाश तो प्रभु कृपा से ही होता है। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण की गोपियों द्वारा वस्त्र चुराने की लीला का विस्तार से वर्णन किया। इस दौरान रामचन्द्र जालान, प्रवीन सफ्फड़, रामकिशन, कृण जालान आदि लोग मौजूद रहे।