खबरी लाल का चुनावी रोजनामचा

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खबरीलाल चुनावी पोस्टरों, हेन्डबिलों, झंडों, बैनरों से लदे फंदे हांफते हुए चौक की पटिया पर आकर बैठ गए। भीषण गर्मी के मौसम में उनकी दशा देखकर बाबा पान वालों ने ठंडे पानी की एक बोतल उनकी ओर बढ़ाई तब खरीलाल निहाल हो गए। एक ही सांस में पूरी बोतल गटकने के बाद खबरीलाल सामान्य हुए और बाबा पान वालों को दुआंए देने लगे। जुग जुग जियो बाबा- भगवान तुम्हारा कल्याण करे। फिर धीरे से चुहल के अंदाज में खबरीलाल बोले बाबा शहर में कौन ऐसा घर गली मोहल्ला होगा जहां आपके पान की बहार न पहुंची हो। हर उम्र जाति बिरादरी में आपके कद्रदान हैं। घर से निकला व्यक्ति सीधे आपकी दुकान और दुकान पर पान का रुख करता है। माफ करना आप जैसा नेटवर्क शायद ही किसी का हो फिर धीरे से बाबा से बोले- क्यों बाबा कभी चुनाव लड़ने का मन नहीं होता क्या।

बाबा की आंखों में पुरानी यादों की चमक आ गई। क्या बतायें खबरीलाल। इस ऐतिहासिक पटिया से दुकान पर बैठते- बैठते उम्र कब निकल गयी पता ही नहीं चला। बच्चे जवान हो गए। जवान पहले प्रौढ़ हुए विधायक बने, सांसद बने, मंत्री बने। कुछ चले गये, कुछ रह गये। कुछ नए बच्चे जो चौक पर जांघिया बनियान पहिने घूमते थे नेता बन गए, विधायक बन गए। आधी-आधी रात तक के बैठकीबाज नेता बने। कुछ बने तो बनते ही चले गए। कुछ बिगड़े तो बिगड़ते ही चले गए। क्या नहीं देखा हमने। हमारी दुकान के बगल वाली गली जो दूसरी ओर कसरट्टे में खुलती है। उसमें होने वाली हरकतों पर हंसी भी आती है और गुस्सा भी आता है। सब देखते देखते बाल पक गए। अब तो वह बात ही नहीं रही। पहिले बड़े-बड़े नेता सीधे चले आते थे। पैसे देते थे, पान खाते थे। गप्पे लड़ाते थे। न उनके साथ फौज फाटा होता था और न ही सरकारी गैर सरकारी ब्लेक फैट कमांडो। बाबा बोले खबरीलाल हमारी छोड़ो हमें बातों से मत बहलाओ। तुम्हारा आज का चुनावी रोजनामचा क्या कहता है। हमारी बातें 24 जून के बाद सुन लेना। पहिले अपनी बताओ जिसका तुमने कल वायदा किया था।

खबरीलाल बाले बाबा सुनो जो कुछ कहेंगे सच कहेंगे। सच के अलावा कुछ नहीं कहेंगे। जब से नगर पालिका फर्रुखाबाद के अध्यक्ष पद की कुर्सी सामान्य महिलाओं के लिए आरक्षित हुई। तब से बड़े-बड़े अकड़ वाले नेता पत्नी व्रतधारी पति हो गए। पालिका अध्यक्ष के मामले में लोहाई रोड का अपना अलग इतिहास रहा है। यहां से जितने पालिका अध्यक्ष हुए शायद शहर के किसी कोने से नहीं हुए। इस बार भी पिछले चुनाव के विनर और रनर पृथ्वी के दो धु्रवों की तरह लोहाई रोड और नाले मछरट्टे से ही हैं। बीच में भाभी जी का अखाड़ा है। वह अध्यक्ष पद का चुनाव जीत कर एक दिन के लिए भी कुर्सी पर नहीं बैठ पाईं। केवल शपथ ही ले सकीं। डा0 वी एस0 सरीन और डा0 रघुवीर दत्त शर्मा भी इसी इलाके के शान रहे। हकीम अयूब भी यहीं विराजते थे।

पूरे दस साल पालिका अध्यक्ष रह चुकीं दमयंती सिंह पिछली बार की हार का बदला लेने के लिए चपल शेरनी की तरह घूम रही है। सदर विधायक उनके पति विजय सिंह अपने विरोधियों को पुनः यह बताना और साबित करना चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव में उनके धुर विरोधी भाजपा प्रत्याशी के मुकाबले उनकी जीत संयोग मात्र नहीं थी। उस्ताद और भाई के लिए यह चुनाव जीवन मरण का सवाल है। जीते तब अपार संभावनाओं और उपलब्धियों के दरवाजे खुल जायेंगे। हार गए तो विधायकी की वेस्वाद जीत और भी स्वादहीन हो जाएगी। अपनी चाल की हवा नहीं लगने देते और दूसरों की हर चाल पर नजर रखते हैं। धुर विरोधी के यहां भी विनम्रता और शिष्टाचार की साकार मूर्ति बनकर परन्तु पूरा फौज फाटा लेकर पहुंच जाये तब किसी को आश्चर्य नहीं होगा। जाति विरादरी यहां कोई खेल नहीं। इस बात की जरा भी परवाह उन्हें या उनके समर्थकों को नहीं है कि आगरा और मथुरा में लाखों की कथित ठगी को लेकर उनके विषय में अखबारों में क्या निकलता है। कौन उनके विषय में क्या कहता है। उस्ताद के कट्टर समर्थक् कहते हैं इसकी चिंता उन्होंने कभी की ही नहीं।

खबरीलाल ने बाबा से पानी की दूसरी बोतल मांगी। पानी पीने के बाद बोले लोहाई रोड के दूसरे सूरमा हैं मनोज अग्रवाल उन्होंने पिछले चुनाव में दमदमी भाई को हैट्रिक बनाने से रोक दिया था। पहिले चेयरमैन बने विधायकी लड़े हारे। फिर एम एल सी बन गए बहुजन समाज पार्टी से। इस बार आरक्षण के चलते अपनी पत्नी वत्सला को लड़ रहे हैं। वत्सला का यह पहिला चुनाव है। परन्तु पूर्व अध्यक्ष और पति के लिए अस्तित्व का सवाल है। पति और पत्नी अपने नए पुराने समर्थकों की टीम के साथ दिन रात एक किए हुए हैं। पूर्व अध्यक्ष पर अनियमितताओं, भ्रष्टाचार के अनगिनत आरोप कल भाजपा नेता सुशील शाक्य ने अपनी पार्टी की प्रत्याशी माला पारिया के कार्यालय उद्घाटन में लगाए थे। परन्तु वत्सला अग्रवाल का कहना है कि उनके पति ने पालिका अध्यक्ष रहते हुए जितने विकास कार्य किए उतने पिछले साठ वर्षों में भी नहीं हुए।

खबरीलाल बोले वत्सला राजनीति की नई खिलाड़ी हैं। अन्यथा वह केवल दमदमी भाई के कार्यकाल की बात करतीं। लोहाई रोड तथा नगर के अन्य पुराने अध्यक्षों को अपमानित करने जैसी भाषा नहीं बोलतीं। विरोधी अपनी कथित वेदाग छवि के आगे भ्रष्टाचार के मामले में टापटेन का जिक्र छोड़ देते हैं।

खबरीलाल बोले चुनाव अभी कई करवटें लेगा। लोग अपनी रणनीति बना रहे हैं रात दिन तैयारी कर रहे हैं। कल तक जो चुनाव पूर्व चुनाव के रनर और विनर के बीच लग रहा था। वह अब बहुकोणीय राह पर है। भाजपा प्रत्याशी तथा नगर के प्रतिष्ठित पुराने समाजवादी परिवार की बहू के चुनाव कार्यालयों के उद्घाटन में जुटी जबर्दस्त भीड़, व्यापार मण्डल जिलाध्यक्ष की अपनी पत्नी के चुनाव में साथियों सहित सक्रियता के साथ ही पुराने बसपाई का कुछ कट्टर समाजवादियों का मिल रहा प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष समर्थन अभी कितने गुल खिलायेगा। इन सबके बीच कोई और उभर कर आये और छा जाये ।तब भी आप आश्चर्य मत करना। हम तो आपको रोज बतायेंगे ही। परन्तु भैया! चाहें जिसे वोट देना यह आपका फैसला और मर्जी है। परन्तु निष्पक्ष और निर्भीक होकर मतदान अवश्य करना। बाकी कल……………….

सतीश दीक्षित
एडवोकेट