अपनी-अपनी ढपली पर अपना-अपना राग
चौक की पटिया पर बैठते ही खबरीलाल गरजे। अलख निरंजन कांटा लगे न कंकर जय शिव शंकर। लोग एक बारगी चौंक गए। बोले क्या बात है खबरीलाल। बात क्या है खाक। चट्टान प्रेस के मालिक राजनरायण दुबे जी, भगवान उनकी आत्मा को शांती प्रदान करे, बिल्कुल सही फरमाते थे।
फर्रुखाबादी हाल देख लो,
ठोकर खाते भले आदमी
गधे चबाते पान देख लो!
गधे और पान की बात सुनकर पटिया से लगी प्रतिष्ठित दुकान के स्वामी बाबा पान वाले चौंक गए। कहा तो उन्होंने कुछ नहीं। परन्तु उनका भाव मुद्रा नाराजगी की ही थी। मन ही मन बुदबुदाये जा रहे थे। क्या हम जिन्दगी भर अपनी पान की दुकान पर गधों को ही पान चराते रहें।
कुशल कारीगर खबरीलाल ताड़ गए। बोले हमारी बात का बुरा मत मानना बाबा। जैसे काबुल में सब घोड़े ही नहीं होते। उसी तरह पान खाने वाले सब गधे ही नहीं होते। बाबा तुम्हारी दुकान शहर की ही नहीं जिले की वीवीआईपी दुकान है। सब आपके मुरीद हैं। हमारी बात से मन में कड़वाहट आई हो मीठी सुपाड़ी खाओ और खिलाओ। खबरीलाल की इन बातों से बाबा पान वाले बाग-बाग हो गये। इस बीच मुंशी हरदिल अजीज और मियां झान झरोखे चौक की पटिया पर आकर विराज गये। बाबा ने तीनो को बढ़िया पान बनाकर खिलाया।
मियां झान झरोखे बोले खबरीलाल ‘चाचा हम शर्मिन्दा हैं।’ तेरे कातिल जिन्दा हैं’का कोरस गाने वालों के क्या हाल चाल है। सुना है अध्यक्षी चुनाव जीतने की बहुत ठोस रणनीति ठोंक पीटकर बनायी गयी है।
खबरीलाल बोले छोड़ो मियां। यह भाजपा वाले बड़ी अजब-गजब चीज हैं। यह नापते ज्यादा हैं फाड़ते कम हैं। पूरे नगर में बार्डों में चुनाव चिन्हं पर सभासदी के पात्र रणबांकुरे नहीं मिले। अध्यक्षी के लिए कमल फूलों की माला (पारिया) ले आये। अभी तीन माह पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में यह और इनके पति संजीव पारिया किस प्रत्याशी के पैरोकार थे। यह भाजपा के दिग्गज नेताओं को भी नहीं मालूम।
मुंशी हर दिल अजीज बोले खबरीलाल सीधी सीधी बात करो बदमगजी मत फैलाओ। खबरीलाल हत्थे से उखड़ गए। बोले चिकनी चुपड़ी कहो तुम। हम तो खुला खेल फरक्कावादी की तर्ज पर बात करते हैं। अब बताओ भाजपा प्रत्याशी माला पारिया के पति संजीव पारिया फर्रुखाबाद बार एसोसिएशन के महामंत्री हैं कि नहीं। बार एसोसिएशन ने विधानसभा चुनाव में सदर सीट से अपना समर्थित प्रत्याशी उतारा था कि नहीं। बार एसोसिएशन समर्थित यह निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा प्रत्याशी, भाजपा के दिग्गज नेता स्वर्गीय ब्रहृमदत्त द्विवेदी के सिद्धदोष हत्यारे और उच्च न्यायालय से जमानत पर चल रहे विधायक के हाथों, पराजित होने का कारण बना था कि नहीं। अब बताइए विधानसभा चुनाव में श्री मान संजीव पारिया बार एसोसिएशन समर्थित प्रत्याशी का समर्थन कर रह थे या भाजपा प्रत्याशी और स्वर्गीय श्री दुबे के पुत्र मेजर सुनीलदत्त द्विवेदी का समर्थन कर रहे थे।
खबरीलाल बोले फर्रुखाबाद कन्नौज ही नहीं सारे देश में ऐसा लगता है जैसे भाजपा किंकर्तव्य विमूढ़ हो गई है। ज्यादा विस्तार में नहीं जायेंगे। चुनाव परिणाम भाजपा की रणनीति का खुलासा कर देंगे। बेअदबी के लिए माफी के साथ यह जरूर कहेंगे- ‘जाको बैरी सुख से सोवे ताके जीवे को धिक्कार’- हम मारतोड़ हिंसा के हिमायती कभी नहीं रहे। लोकतंत्र में इस सबकी जरूरत ही नहीं है। बुलेट से नहीं बैलट से अपने विरोधी को पराजित करने के मार्ग में कौन सी बाधा है।
सही कहा है-
पूत सपूत तो क्या धन संचय,
पूत कपूत तो क्या धन संचय!
खबरीलाल को रोकते हुए मियां झान झरोखे बोले अब बस भी करो। तुम्हें केवल भाजपा ही दिखाई देती है। उसने अपने चुनाव चिन्हं से कम से कम प्रत्याशी उतारने की हिम्मत दिखायी। यह क्या कम है। केन्द्रीय विधि मंत्री और यहां के सांसद की पार्टी कांग्रेस, बहन जी की पार्टी बहुजन समाज पार्टी और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, वर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कल ही कन्नौज से निर्विरोध सांसद चुनी गयीं, मुख्यमंत्री यादव की पत्नी डिपल यादव की समाजवादी पार्टी स्थानीय निकाय चुनावों में अपने प्रत्याशी तक नहीं उतार सकी।
भाजपा पर राशन पानी लेकर चढ़ाई कर रहे खबरीलाल मियां झान झरोखे की इस फटकार से कुछ ठन्डे पड़े। बोले सही कहते हो। मियां लोहिया की कर्मभूमि में हो रहे निकाय चुनावों में निर्दलीयों का संग्राम है। मुंशी हर दिल अजीज बोले आज बस इतना ही। कल से चुनाव स्पेशल के रूप में निर्दलीयों की खबर लेंगे। तब एक दिल थाम कर बेठिए!
यह तो वक्त वक्त की बात है!
जीवन के हर क्षेत्र में सतत सफलता के लिए संघर्ष और धैर्य की सर्वाधिक आवश्यकता है। याद कीजिए 2009 में फिरोजाबाद संसदीय सीट के लिए हुआ उपचुनाव। इसमें डिंपल यादव समाजवादी पार्टी की तथा कभी सोते जागते मुलायम सिंह सपा सुप्रीमो की बफादारी की कसमें खाने वाले नेता अभिनेता राजबब्बर कांग्रेस प्रत्याशी थे। सीट खाली हुई थी अखिलेश यादव के त्याग पत्र से। कांग्रेसी भाव विभोर थे। राहुलगांधी के करिश्मे से। परम्परा के विपरीत राहुलगांधी स्वयं राजबब्बर के चुनाव प्रचार में फिरोजाबाद गए थे। डिंपल यादव हार गईं। राजबब्बर की शानदार जीत हुई। आजम खां साहब उस समय अपने नेता मुलायम सिंह यादव से नाराज थे। अमर सिंह उस समय सपा के प्रमुख रणनीतिकार और सपा सुप्रीमों के अति विश्वसनीय सलाहकार थे।
तीन साल में तस्वीर बदल गई है। हार या जीत के बाद भी उत्तर प्रदेश के लोगों के बीच रहने की कसमें खाने वाले ऐंग्री यंग मैन का लुक दिखाने वाले राहुलगांधी उत्तर प्रदेश को भूल गए। डिंपल के पति अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। चारो ओर उनकी जय-जयकार है। आशाओं आकांक्षाओं सपनों की आंधी चल रही है। नतीजा समान है। फिरोजाबाद में डिंपल को हराने वाली कांग्रेस तथा समाजवादी पार्टी को पानी पी पी कर कोसने वाली भाजपा बसपा को प्रत्याशी तक नहीं मिला। नतीजतन डिंपल यादव निर्विरोध जीत गयीं। यह धैर्य और संघर्ष की जीत है।
ए भाई! जरा देख के चलो- आगे ही नहीं पीछे भी- बसपा मंत्रियों का हाल देख लो!
वर्तमान सदर विधायक के 12 जून 2007 में सपा से त्यागपत्र देने और बसपा में शामिल होने के बाद अगस्त 2007 में हुए उप चुनाव में बसपा प्रत्याशी के रूप में तत्कालीन स्वास्थ्यमंत्री अनंत कुमार मिश्रा अंटू मिश्रा चुनाव जीतकर विधायक बने। उनके ठाठ बाट हेकड़ी और बदजुवानी का जिक्र करेंगे। तब फिर बात बहुत बढ़ जाएगी। ऐसा हमारा इरादान नहीं है। वहीं अंटू मिश्रा इस समय सी.वी.आई. दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। किसी समय उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। करोड़ों अरबों के घोटाले स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर पार्क हाथियों के नाम पर आदि की एक लंबी कहानी परत दर परत पिघले तीन महीनों से खुलती जा रही है। बसपा सरकार के मंत्री आरोपों और शक के दायरे में आते जा रहे हैं। उनकी हां हुजूरी करने वाले लोग भी सामने आ रहे हैं। लोक आयुक्त, सीवीआई माननीय दूध का दूध और पानी का पानी करने में लगे हैं। देर सबेर दोषियों दोषियों को सजा मिलेगी। लगता है भ्रष्टाचार हमारा राजधर्म हो गया है।
15 मार्च को नई सरकार में नए मंत्री बने। जिले से भी मंत्री बने। सरकार के और मंत्रियों की भी जिले में आवाजाही शुरू हो गई है। सब अच्छे हैं। मेहनत से काम कर रहे हैं। परन्तु चमचों हां हजूरियों, ठेकेदारों के चक्रव्यूह का नजारा बाबू सिंह कुशवाह, अंटू मिश्रा सहित बसपा के तमाम मंत्रियों के करिश्मों और कारनामों में देखने को मिल रहा है। हमें पता नहीं क्यों तुमसे सहानुभूति है। हमें यह भी पता है कि इस समय आप सबको इसकी जरा भी जरूरत नहीं है। लेकिन हमारा फिर भी यही कहना है ए भाई! जरा देख के चलो- बसपा मंत्रियों का हाल देख लो- कल को लोग यह न कहने लगें कि सपा के मंत्री जी बसपा के मंत्रियों की तरह ही हैं। नाम बड़े और दर्शन थोड़े।
यह पब्लिक है- सब जानती है!
शासन प्रशासन बदला उम्मीद जगी कि अब बहुत कुछ बदलेगा। अखबारी कोशिशें काफी हुईं- फोटो शोटो का सिलसिला शुरू हुआ बराबर चल रहा है। जनप्रतिनिधि समझते हैं हम सुपरमैन हैं। जन सेवक समझते हैं कि हम सेवक नहीं बादशाह हैं। पूरे जिले में कंपिल से खुदागंज तक राजेपुर से मदनपुर धीरपुर तक छोटे बड़े जनसेवकों और बड़े से बड़े जनप्रतिनिधियों राजनैतिक कार्यकर्ताओं अवसरवादियों के बीच शीतयुद्ध चल रहा है। कोई किसी को नेती कहता है और कोई किसी को घमंडी तुनक मिजाज। तीन माह होने को आ रहे हैं। जनप्रतिनिधि बदल गए, अफसर बदल गए। पर हालात जस के तस हैं। चेहरे बदले परन्तु चाल नहीं बदली। बदलना क्या बदलने का आभास तक नहीं हुआ।
पहली खेप में कायमगंज,कमालगंज में अवैध खनन पर हल्ला बोला गया। अवैध खनन रुका नहीं बदस्तूर जारी है। हल्ला बोलने वाले खामोश हो गए। कारण वही जाने जो हल्ला मचा रहे थे। परीक्षा परिणाम ठेके पर खुली सामूहिक नकल की हकीकत बयान कर रहे हैं। सब खामोश हैं। गेहूं खरीद पर जमकर ताबड़तोड़ अभियान चला। किसान को क्या मिला यह जानने की जहमत किसी ने नहीं उठाई। बड़ी मण्डी के बिचौलिए प्रशासन का दबाव बढ़ने पर छोटी मण्डियों और कस्बों में पहुंच गए। खेल चलता रहा चल रहा है चलता रहेगा। समीक्षा बैठकें हो रहीं हैं होती रहेंगीं। बिजली पर धाबा हुआ, वसूली पर हल्ला हुआ, लोहिया पर छापा पड़ा, मन्नीगंज, लिंजीगंज में मिलावट का भंडाफोड़ हुआ। अतिक्रमण विरोधी अभियान ने शहर जिले को हिलाकर रख दिया। गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने का अभियान चला। वह सब कुछ करने का अभियान चला जो जरूरी थी। हम विध्न संतोषी नहीं हैं। नहीं जनता की आपके हर काम में मीन मेख निकालने की आदत है। हमें मालूम है कि आईएएस टॉपर प्रदीप शुक्ला आपके आदर्श नहीं है। नहीं ए. राजा और कलमाड़ी जैसे लोग आपके आदर्श हैं। परन्तु आप दोनो के कार्यों में परस्पर विश्वास, सहयोग, तालमेल तथा पारदर्शिता का अभाव क्यों हैं। आप दोनो को एक दूसरे का सच्चा सहयोगी और जन समस्याओं का वाहक होना चाहिए। परन्तु यहां आप तो एक दूसरे के कट्टर प्रतिद्वंदी और विरोधी बनते जा रहे हैं। जनता हर समय बोलती नहीं है। लेकिन जानती सब कुछ है। आप भले ही यह समझते रहो कि आपके क्रिया कलापों को कोई जान नहीं रहा है। परन्तु जनता की नजर में सब कुछ है। जनता को पता है कि भारी चुनाव खर्चे के बोझ तले दबे जनप्रतिनिधि और उनके चमचे क्या क्या गुल खिला रहे हैं। जनता को यह भी पता है कि सत्ता परिवर्तन के बाद व्यवस्था परिवर्तन के खेल में और उसके नाम पर कौन कहां कितना लाभान्वित हो रहा है। इसलिए हमारी आपसे विनती है कि सुधर जाओ। एक दूसरे के प्रतिद्वन्दी और दुश्मन नहीं बनो। जिले की सार्थक व्यवस्था परिवर्तन में पारदर्शी कार्यप्रणाली के माध्यम से जनता के सच्चे हितैषी बनो लोग आपको याद रखेंगे। हमें दिली खुशी होगी यदि इस मुद्दे पर आगे और खुलासा करने की नौबत न आए। वैसे आपकी मर्जी।
और अंत में – लौट के छोटे (सिंह) घर (सपा) में आए……………………
आप उनके क्रिया कलापों से सहमत न हों। परन्तु इस जिले में जर्रे से आफताब बनने वालों की जब भी गणना होगी। तब छोटे सिंह यादव का नाम आपको न चाहते हुए भी लेना पड़ेगा। सहकारिता आंदोलन के प्रदेश में और सपा के कन्नौज फर्रुखाबाद सहित आस पास के लंबे इलाके में पर्याय बन गए सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के परमकृपा पात्र और विश्वसनीय छोटे सिंह यादव सपा से बसपा और बसपा से कांग्रेस में होते हुए पुनः सपा में आ गए हैं। घर छोड़ना सदैव दुखद मजबूरी भरा होता है। घर वापसी भी सुखद और सकूनभरी होती है। सार्वजनिक जीवन में उपलब्धियों भरी लंबी पानी खेलने वाले छोटे सिंह यादव के दोस्तों और विरोधियों की कमी नहीं है। उनके महत्व योग्यता और अनुभव को आप नकार नहीं सकते। उम्मीद करनी चाहिए कि उम्र के इस पड़ाव पर वह अब घर छोड़ने या बदलने की गलती दुबारा नहीं करेंगे।
चलते- चलते……………….
नगर निकाय चुनाव में तिकड़मियों अवसरवादियों की पौबारह है। सभासदी के कई प्रत्याशी बार्ड में अपना जनसम्पर्क करने के स्थान पर अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों के यहां चक्कर लगा रहे हैं। ऐसे ही एक प्रत्याशी अध्यक्ष पद के एक प्रत्याशी के आवास की सीढ़ियां चढ़ रहे थे। तभी दरवाजा खुला और उनके विरोधी प्रत्याशी बाहर निकले। पहिले ने दूसरे से पूछा तुम यहां कल तुम वहां थे। बिना झिझक और घबराहट के दूसरे ने तपाक से उत्तर दिया क्या मैं आपसे यही सवाल पूंछ सकता हूं। जय हिन्द!
(सतीश दीक्षित)