बाकई तारीफ के काबिल थे फर्रुखाबाद के पूर्व जिलाधिकारी सच्चिदानंद दुबे?

Corruption EDITORIALS FARRUKHABAD NEWS

फर्रुखाबाद: जनपद में तैनात रहे जिलाधिकारी सच्चिदानंद दुबे कितने कर्मठ और सच्चे थे इस बात का एहसास तो आम जनता को हो गया होगा मगर जे एन आई को कुछ ऐसी जानकारिया मिली है जिसे जानना भी जनता के लिए जरुरी है| ये जानकारिया खुद अपने आप में उनकी क़ाबलियत साबित करती है| एक राज की बात चलते चलते उन पर इलाहाबाद उच्च नयायालय ने 5000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है| इसकी खबर बाद में देंगे| ये जुर्माना उन्हें चर्चित एस०डी०एम अशोक कुमार लाल के कारण भुगतना पड़ा है| खैर दोनों की पटी भी खूब| अब दोनों साथ साथ फर्रुखाबाद छोड़ रहे है|

सम्पत्ति का खुलासा न करने वालों में नाम दर्ज है सच्चिदानंद दुबे का
भारत सरकार के आदेशो के मुताबिक हर आईएएस को अपनी संम्पति का खुलासा करना होता है| जिसकी सूचना भारत सरकार की सरकारी वेबसाईट पर डाली जाती है| सरकारी वेबसाईट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक पीसीएस से तरक्की पाकर आईएएस बने सच्चिदानद दुबे का नाम उस सूची में शामिल है जिन्होंने अपनी सम्पत्ति की जानकारी अभी तक भारत सरकार को नहीं दी है| इतने तो पारदर्शी थे डीएम साहब|

अब उनकी योग्यता परखिये- 11 अप्रैल 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश किया की शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 को 11 अप्रैल से ही लागू किया जाये| इस कानून को देश के कुछ चोर टाइप शिक्षा संस्थाओ ने चेलेंज किया था जो गरीबो को मुफ्त में अपने स्कूलों में शिक्षा नहीं देना चाहते थे| खैर देश की सबसे बड़ी अदालत ने अपने फैसले के बाद इस बहस को ही ख़तम कर दिया|

इस फैसले के दिन जे एन आई ने तत्कालीन जिलाधिकारी सच्चिदानंद दुबे से पूछा कि जिले में जिला शिक्षा अधिकारी कौन है तो उनका जबाब था कोई नहीं| दूसरे सवाल में उनसे पूछा कि अगर प्राइवेट स्कूल शिक्षा के अधिकार को लागू करने में गड़बड़ी करती है तो शिकायत कहा की जाए खासकर सी बी एस ई या आईसीएससी बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों की| जानते है उनका क्या जबाब था- इन स्कूलों पर जिले स्तर का कोई नियंत्रण नहीं होता|

जबकि सीबीएससी या आईसीएससी खुद इन स्कूलों पर नियंत्रण करने के लिए प्रदेशो में तैनात जिला शिक्षा अधिकारी को सभी अधिकार देता है | उत्तर प्रदेश में जिले में दो अधिकारी शिक्षा अधिकारी होते है| एक से आठ तक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को ये अधिकार हासिल है और नौ से बारह तक जिला विद्यालय निरीक्षक| और जिले में हर शिक्षा समिति का अध्यक्ष जिलाधिकारी होता है लिहाजा हर प्रकार की शिक्षा संस्थान में जिलाधिकारी का दखल अपने आप होता है| ऐसी आधी अधूरी जानकारी वाला अफसर जब जिले में जिलाधिकारी के पद पर तैनात किये जायेंगे तो जनता को क्या न्याय दिलाएंगे|

खैर जाने वाला चला गया| अनुभव अच्छे बुरे जैसे भी हो सब इस जहाँ में ही भुगतना है|
कुछ और खुलासे मिले है सच्चिदानंद दुबेजी के जिन्हें समय आने पर आपको जरुर पढ़ाएंगे|

ये है सच्चिदानद का सरकारी रिकॉर्ड-
Shri Sachidanand Dubey
Id No. 066127
01/07/1996;SCS
s.dubey M.Sc.(Mathematics)
28/12/1952
1996;UP
Collector & D M, Farukhabad
24/09/2011
PB Rs.37,400-67,000 + GP Rs. 8,700