बुखारी ने मुस्लिमों की सत्ता में भागीदारी बढ़ाने की शर्त मनवा ही ली

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इसे सियासी मजबूरी कहें या फिर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर वोटों का गणित, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के बुलावे पर दिल्ली से लखनऊ पहुंचे मौलाना अहमद बुखारी गुरुवार को अपनी बातें मनवा ही गए। उन्हें भरोसा दिया गया कि मुसलमानों को उनका पूरा हक मिलेगा। मंत्रिमंडल में मुस्लिम कैबिनेट मंत्रियों की संख्या बढ़ाने, विधान परिषद में एक और मुसलमान को उम्मीदवार बनाने, प्रशासन में मुस्लिम अधिकारियों की उचित नुमाइंदगी देने जैसे मुद्दों पर भी सहमति जताई। बुखारी की मौजूदगी में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मीडिया से इस बात की तस्दीक भी की। इसी के साथ तय हो गया कि मौलाना बुखारी के दामाद मोहम्मद उमर शुक्रवार को विधान परिषद के लिए अपना नामाकन करेंगे।

गुरुवार को दिल्ली की शाही मस्जिद के इमाम मौलाना बुखारी मुलायम से मिलने लखनऊ उनके विक्रमादित्य मार्ग स्थित आवास पहुंचे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी बातचीत में मौजूद रहे। करीब 40 मिनट चली वार्ता के बाद अखिलेश यादव के साथ बाहर निकले मौलाना बुखारी ने मीडिया से कहा, ‘उनकी बातों को मुलायम सिंह यादव ने मान लिया है और आइन्दा मुसलमानों को पूरी हिस्सेदारी देने का वादा किया है।’ राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव में सपा को कम से कम दो-दो उम्मीदवार देने चाहिए थे। मंत्रिमंडल में सिर्फ तीन कैबिनेट मंत्री बनाये गये हैं, पिछली बार भी यही संख्या थी। आगे जब विस्तार होगा तो इनकी संख्या बढ़ा कर पांच करने की बात कही है। डीएम-एसएसपी के पदों पर भी मुस्लिम अफसरों की उचित नुमाइंदगी देने की मांग की है। उमर के नामांकन का सवाल आते ही अखिलेश बोले कि वह शुक्रवार को नामांकन कर रहे हैं। आगे जब विधान परिषद की एक सीट और खाली होगी तो सपा उस पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारेगी। नाम बाद में तय कर लिया जायेगा। उन्होंने आगे मंत्रिमंडल विस्तार में कैबिनेट मंत्रियों की संख्या बढ़ाने के साथ ही कहा कि प्रशासन में मुस्लिम अधिकारियों की उपेक्षा नहीं होने दी जायेगी। अखिलेश ने कहा कि उनकी सरकार को जाति धर्म से ऊपर उठकर सभी वर्गो के लोगों ने वोट दिया है इसलिए वह सभी को ध्यान में रख कर फैसले कर रही है और इसका लाभ भी जल्द मिलना शुरू हो जायेगा। इसी के बाद पहले अखिलेश और फिर मौलाना अपनी अपनी गाड़ियों से आवास से निकल गये।

विदित है कि मौलाना बुखारी ने पिछले दिनों मुलायम को पत्र लिख कर मुसलमानों को सरकार में उचित भागीदारी न मिलने पर नाराजगी जताई थी। इस पर वरिष्ठ मंत्री आजम खां ने पलटवार करते हुए कहा था कि बुखारी ने अपने दामाद को राज्यसभा भेजने के लिए यह कदम उठाया है। इसी के बाद विवाद का रुख बुखारी बनाम आजम हो गया था। बुखारी ने मुलायम से मुलाकात से पहले कहा भी कि सवाल मुसलमानों का था, उमर को मुद्दा बना दिया गया। यह काम सपा के एक मंत्री ने किया। मैने मुलायम को पत्र लिखा था उसमें किसी तीसरे आदमी का दखलंदाजी करने का हक नहीं था।