सत्यापन रिपोर्ट के बावजूद फर्जी शिक्षक बीएसए की कृपा से बर्खास्तगी से बचे हैं

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फर्रुखाबादः विशिष्ट बीटीसी 2004 में फर्जी प्रमाणपत्रों के माध्यम से नियुक्ति पाने वाले शिक्षकों के विषय में दोबारा सत्यापन में प्रमाणपत्र फर्जी होने की पुष्टि होने पर एडी बेसिक व डायट प्राचार्य के आदेश के बावजूद दो शिक्षकों पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। कार्यवाही के नाम पर प्रशासन अब तक लीपापोती कर शिक्षकों को बचाने में जुटा हुआ है।
सम्पूर्णानंद विश्वविद्यालय वाराणसी से सत्यापन में फर्जी पाये जाने पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रजलामई की प्राचार्या सुमित्रादेवी गर्ग द्वारा विगत 7 माह पूर्व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी फर्रुखाबाद को राजनरायन शाक्य,  नरेन्द्र पाल सिंह व श्रवण कुमार के विरुद्व एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिये गये थे। लेकिन अब तक शिक्षकों के वेतन रोकने की ही कार्यवाही की गयी है। 

अब तक राजनरायन शाक्य सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय अलीदादपुर विकासखण्ड मोहम्मदाबाद के विरुद्व फर्जी हाईस्कूल अंकपत्र से नियुक्ति कराने की शिकायत पर कार्यवाही न होने पर सूचना आयोग में अपर जिलाधिकारी के विरुद्व अर्थदण्ड लग जाने के बाद विगत 27 फरवरी को सेवा समाप्ति कर दी गयी है। लेकिन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा सेवा समाप्ति के आदेश में वेतन की रिकवरी एवं प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश खण्ड शिक्षा अधिकारी मोहम्मदाबाद द्वारा लटकाने का प्रयास किया जा रहा है।

सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा, शास्त्री डिग्री की फर्जी अंकतालिकाएं एवं प्रमाणपत्रों से नियुक्त नरेन्द्रपाल सिंह पुत्र सूबेदार सिंह निवासी ग्राम दाउदपुर, खिमशेपुर, मोहम्मदाबाद, वर्तमान में अपने निवास ग्राम के ही प्राथमिक विद्यालय दाउदपुर, मोहम्मदाबाद में तैनात हैं। नरेन्द्रपाल सिंह की उक्त तीनो डिग्रियों  का फर्जी सत्यापन डायट रजलामई में चार वर्ष पूर्व पत्रांक 4548/08 दिनांक 11 जनवरी 2008 के क्रमांक 1378 एवं 1379 द्वारा प्राप्त होने के बाद भी संस्थान में नरेन्द्रपाल सिंह को बचाने के उद्देश्य से फाइलों में दबा दिया गया। नरेन्द्रपाल सिंह को फर्जी सत्यापन से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी फर्रुखाबाद वेतन भुगतान करते रहे।

इसी प्रकार सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की पूर्व मध्यमा की फर्जी अंकतालिका एवं प्रमाणपत्र से श्रवण कुमार ने सहायक अध्यापक पद पर प्राथमिक विद्यालय बरुआ नगला, कमालगंज में नियुक्ति करा ली। श्रवण कुमार की भी पूर्व माध्यमा की डिग्री का सत्यापन विश्वविद्यालय द्वारा फर्जी होने की आख्या दी गयी थी। चार वर्ष तक श्रवण कुमार फर्जी शिक्षक को बचाने के उद्देश्य से डायट रजलामई द्वारा कोई कार्यवाही नही की गयी। श्रवण कुमार को फर्जी सत्यापन से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी वेतन भुगतान करते रहे।

7 माह पूर्व डायट रजलामई ने चार वर्ष पहले प्राप्त सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से नरेन्द्र पाल सिंह एवं श्रवणकुमार पुत्र पहाड़ीलाल निवासी ग्राम उदीनगला, गदनपुर देवराजपुर, कमालगंज द्वारा नियुक्ति के समय लगायी गयी पूर्व माध्यमा, उत्तर मध्यमा और शास्त्री डिग्रियों की प्राप्ति असली आख्या को संलग्न कर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी फर्रुखाबाद को वैधानिक कार्यवाही के लिए भेजते हुए उसकी सूचना जिलाधिकारी फर्रुखाबाद एवं निदेशक राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद लखनऊ को भी नियुक्ति निरस्त करने, भुगतान किये गये वेतन की वसूली करने और प्राथमिकी दर्ज कराने की कार्यवाही के पत्र को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने प्राप्त होने के बाद भी दोनो शिक्षकों को वेतन भुगतान करते रहे।

स्वयंसेवी संस्था मदर निर्मला फाउन्डेशन के सचिव डा0 जितेन्द्र चतुर्वेदी द्वारा की गयी शिकायत पर डायट रजलामई की प्राचार्या द्वारा सत्यापन कर तीनों शिक्षकों के विरुद्व फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्रों से नियुक्त अध्यापकों पर कार्यवाही के लिए एडीबेसिक कानपुर को दी गयी शिकायत पर एडीबेसिक विनय कुमार गिल ने फर्जी शिक्षकों को वेतन भुगतान किये जाने को राजकोष को क्षति पहुंचाये जाने एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी फर्रुखाबाद को एक पक्ष में जांच कर कार्यवाही के निर्देश दिये थे।

बीएसए फर्रुखाबाद द्वारा इन दोनो शिक्षकों के वेतन तो रोक दिये गये लेकिन अभी तक डायट रजलामई की प्राप्त सत्यापन आख्या के आधार पर दोनो शिक्षकों नरेन्द्रपाल सिंह एवं श्रवण कुमार की सेवा समाप्ति नहीं की गयी है।