आर टीआई के तहत सूचना आयोग में की गई अपील के मामले में आदेशों से जाहिर है कि वादी को जो सूचनाएं चाहिए थीं वह उसे नहीं मिल सकीं, लेकिन मामला जुर्माना लगाकर खत्म कर दिया गया। अर्थदण्ड लगने वाले 90 फीसदी मामलों में वादी को बिना सूचना मिले ही निस्तारित माना जा र हा है । आयोग में अधिकतर सूचना आयुक्त जन सूचना अधिकारि यों के सूचना न देने पर जुर्माना लगाने तक ही अपनी जिम्मेदारी मानते हैं। अब तक लगाए गए जुर्माने में केवल एक फीसदी की ही वसूली हो सकी है । जन सूचना अधिकारियों पर जुर्माने के करीब एक करोड़ 80 लाख रुपए बकाया हैं। इस मुद्दे पर आयोग का पक्ष है कि आर टीआई की धारा-20 के मुताबिक सूचना न देने वाले अधिकारी पर अधिक तम 25,000 रुपए अर्थदण्ड लगाया जा सक ता है । अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक/ विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए जा सकते हैं । मुख्य सूचना आयुक्त रणजीत सिंह पंकज कहते हैं कि जब किसी अधिकारी पर जुर्माना लगा दिया गया तो फि र उससे सूचना की मांग कर के दोबारा दण्डित कैसे किया जा सकता है । वादी को आयोग की कार्र वाई या फै सले पर आपत्ति है तो वह हाई कोर्ट जा सकते हैं ।