बड़े दलों में युवा नेतृत्व के बढ़े दखल से बाहुबलियों की राह खोंटी

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राजनीति में राम राज भले न आया हो लेकिन जिस तरह इस बार के चुनाव में प्रदेश की राजनीति में नकारात्मक छवि रखने वाले कई चेहरों को बड़े दलों के नए नेतृत्व ने अपनाने से इनकार कि या है वह उम्मीद तो बढ़ाता ही है। बकौल अखिलेश यादव, लंबे समय तक राजनीति करनी है और पार्टी चलानी है तो ऐसे समझौतों से बचने की भरसक कोशिश करनी होगी क्योंकि जनता छवि को खासा तवज्जो देती है । कमोवेश ऐसी ही राय यूपी की राजनीति के दो और युवा चेहरों राहुल गांधी और जयंत चौधरी की भी है। यूपी की सियासत में बाहु बलियों के बुरे दिन आने के कोई संकेत तो नहीं हैं लेकिन इस बार बड़े राजनीतिक दल, खास तौर पर इनका युवा नेतृत्व इमेज को लेकर खासा सतर्क हैं। बड़े दलों में जगह न पाने के कारण ही ऐसे नेताओं ने छोटे दलों का दामन इस बार थोक में थामा है ।

डीपी यादव को उत्तर प्रदेश की राजनीति में बाहुबली छवि वाला नेता माना जाता है । कई बड़े दलों में भी रह चुके हैं लेकिन 2007 के विधानसभा चुनाव में अपना अलग दल बनाकर खुद भी जीते और पत्नी उमलेश को भी जिताया। बसपा की सरकार बनी तो हाथी के पाले में आ गए लेकि न बसपा ने अबकी इन्हें टिकट नहीं दिया है । समाजवादी पार्टी में पींगे बढ़ाईं लेकिन प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इनकार कर दिया है । डीपी अब संभवत: इस बार भी अपनी पार्टी से ही चुनाव लड़ेंगे। हालांकि यह भी सही है कि सपा ने दबंग बसपा विधायक गुड्डू पण्डित को लेने से गुरेज नहीं कि या और डिबाई से प्रत्याशी बनाया है।

कई बड़े दलों से टिकट के लिए हाथ पैर मार रहे प्रेमप्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी को कहीं जगह नहीं मिली तो अपना दल ने उन्हें मड़ियाहूं से टिकट दे दिया है । कुछ ऐसा ही अतीक अहमद के साथ हुआ। एक प्रमुख विपक्षी दल से वे टिकट चाहते थे लेकिन मामला बना नहीं तो इलाहाबाद दक्षिण से अपना दल के टिकट पर मैदान में हैं। माफिया बृजेश सिंह पिछले करीब एक साल से अपनी राजनीतिक हसरतें दिखा रहे थे। लेकिन कि सी बड़े दल ने उन्हें नहीं थामा बल्कि एक अज्ञात कि स्म की पार्टी प्रगतिशील मानव समाज पार्टी के प्रत्याशी के रूप में वे सैय्यदरजा सीट से प्रत्याशी हैं। सुल्तानपुर की राजनीति की चर्चित जोड़ी सोनू सिह-मोनू सिह के मोनू सिह को भी पीस पार्टी ने इसौली से प्रत्याशी बनाया है। पूर्वांचल के अंसारी बंधु मुख्तार और अफजाल ने भी इस बार अपनी अलग छोटी पार्टी कौमी एकता दल बनाकर ताल ठोकी है । बीकापुर से बसपा के टिकट पर जीते जितेन्द्र्र सिह बबलू और रायबरेली के अखिलेश सिह पीस पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं ।