डीजीपी व उनके सहयोगियों ने अपनी अचल संपत्ति का ब्योरा देने से मुंह मोड़ा

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लखनऊ। केन्द्रीय गृह मंत्री के आदेश के बावजूद प्रदेश सरकार व मायावती के करीबी पुलिस अधिकारी डीजीपी बृजलाल व उनके कुछ सहयोगियों ने अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा नहीं दिया। कहा जाता है कि डीजीपी बृजलाल व कई अन्य पुलिस अधिकारियों के पास करोड़ों की अचल सम्पत्ति है जिसका वह ब्यौरा नहीं देना चाहते हैं। ज्ञात हो कि आईएएस, आईपीएस व पीसीएस अधिकारियों को सालाना अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा आईपीआर (इम्मूवेबल प्रापर्टी रिर्टन) सालाना गृह विभाग को देना होता है लेकिन प्रदेश के कई अधिकारी ऐसा करने से कतरा रहे हैं।

कुछ समय पूर्व केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने आईपीएस अधिकारियों से चल अचल सम्पत्ति देने के निर्देश। निर्देश मिलने के बाद कइयों ने तो अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा गृह मंत्रालय को उपलब्ध करा दिया लेकिन देश के करीब 684 अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया। इस में उत्तर प्रदेश के डीजीपी बृजलाल का भी नाम है। बृजलाल के साथ देश कई चुनिन्दा आईपीएस अधिकारी इस सूची में शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि यदि आने वाले दिनों में देश में नये नियम लागू हो गए तो उपरोक्त अधिकारियों को विजलेंस क्लीयरेंस नहीं मिल पाएगी।

ज्ञात हो कि वर्ष 2010 का आईपीआर दाखिल करने की समय सीमा 10 अक्टूबर तक तय की गयी थी और यह कहा गया कि था यदि इस समय के भीतर अधिकारी अपना आईपीआर दाखिल नहीं करते तो उनके नाम सार्वजनकि कर दिए जाएंगे बावजूद इसके किसी भी अधिकारी ने गृह मंत्रालय के आदेशों को कोई तवज्जो नहीं दी। जब समय बीत गया तो मंत्रालय ने नामों की सूची तो नहीं नामों की संख्या जरूर जारी कर दिए। अब मंत्रालय उपरोक्त अधिकारियों पर कार्यवाही की रणनीति तैयार कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि यदि कार्यवाही हुई तो कई अधिकारी इसमें फंस जाएंगे। ज्ञात हो कि कार्मिक विभाग ने पिछले दिनों प्रशासनिक अधिकारियों की आईपीआर सार्वजनिक करने के आदेश कर दिए हैं।