इको फ्रेंडली अंदाज में मनाइए गणेश चतुर्थी

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फर्रुखाबाद: मेहमान बनकर घर में विराजमान होने वाले गणपति बप्पा के स्वागत की तैयारियां चारो ओर जोरो शोरों से शुरू हो चुकी है। जाहिर है खूब सारी खरीदारी करनी होगी। लेकिन इस साल हम बप्पा को घर लाने की खुशी इको फ्रेंडली अंदाज में मनाएंगे।

पीओपी यानी प्लास्टर ऑफ पैरीस से बनी बप्पा की मूर्ति नहीं खरीदनी चहिए बल्कि शाडू मिट्टी से बनी मूर्ति खरीदनी चाहिए। शाडू मिट्टी से बनी मुर्ति पानी में आसानी से घुल जाती है और प्रदुषण नहीं फैलाती, इसके अलावा आप पैपर मैश यानी कागज से बनी मूर्तियां भी खरीद सकते हैं।

लेकिन इन इको फ्रेंडली मूर्तीयों को खरीदने के लिए जेब थोड़ी ज्यादा ढ़ीली करनी पड़ेगी। पेपर मैशे यानी कागज से बनी मूर्तियों की कीमत 1,000 रुपए से शुरू होती है वहीं शाडू मिट्टी से बनी मूर्तियां पीओपी की मूर्तियों से करीब 50 फीसदी से ज्यादा महंगी होती है।

सिर्फ इको फ्रेंडली मूर्ति ही नहीं, बल्कि गणपति की सजावट भी इको फ्रेंडली होनी चाहिए। आमतौर पर थर्माकोल से बने रेडीमेड सजावट के सामान की ओर लोगों का ज्यादा झुकाव होता है। आप अलग अलग तरीके की लाइट्स, दिए और रंगबिरंगी लेस से भी गणपति बप्पा की सजावट में चार चांद लगा सकते हैं।