शिक्षक समायोजन में 50 लाख से ज्यादा का भ्रष्टाचार हुआ और नौनिहाल बेहिसाब रहे!

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फर्रुखाबाद: जनपद में बेसिक शिक्षा में समायोजन के नाम पर भारी गड़बड़ी हुई है और इसके कारण कई स्कूल में जरुरत से ज्यादा शिक्षक हो गए तो कहीं स्कूल शिक्षा मित्रो के हवाले हो गए| लगभग दो महीने चले शिक्षक समायोजन में जिला बेसिक अधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी के बीच रस्साकसी का दौर चला| आरोप लगे थे कि इसमें भारी घूस चली| कुल समायोजन में लगभग 50 लाख से ऊपर की रकम भ्रष्टाचार की कमाई के रूप आंकी जा रही है| कुल मिलकर नौनिहालों की शिक्षा के लिए बना ये पूरा तंत्र इस देश के बच्चो के लिए संवेदनहीन हो गया है और सिर्फ और सिर्फ अपनी जेब भरने में लग गया| एन केन प्रकरेण धन कमाने की लालसा में ये सब भूल जाते है-” चाहे जितने जोड़ लो हीरे मोती मगर मेरे दोस्त कफ़न में जेब में नहीं होती”|

मुख्य विकास अधिकारी की भूमिका भी संदेह के घेरे में-
जनपद में लगभग 400 से ज्यादा शिक्षक इधर से उधर समायोजित किये गए| मनमाफिक स्थान पर तबादले में घूस की रकम बीस हजार से पचास हजार तक चली| कई दलाल और दफ्तर के बाबू के द्वारा निपटे केस महगे रहे वहीँ सीधी डील में ये रकम कम रही| समायोजन की पहली सूची जब अनुमोदन के लिए मुख्य विकास अधिकारी के पास भेजी गयी थी उसके बाद कई शिक्षक संगठनो की शिकायत पर समायोजन पर हस्ताक्षर करने से मुख्य विकास अधिकारी ने मना कर दिया| बात आगे बड़ी और कुछ हेर फेर के बाद सूची जारी हो गयी| नतीजा कुछ ख़ास नहीं आया| शिक्षक संगठनो के पदाधिकारियो की कुछ ऐसी मांगे जो कि लिफ़ाफ़े में बंद थी उन्हें बेसिक शिक्षा अधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी ने मान लिया और मामला रफा दफा हो गया| अंत में मुख्य विकास अधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी दोनों ने बैठ कर सहमती बना ली और मसला हल हो गया| सवाल इस सहमति पर उठाना लाजमी है क्यूंकि नौनिहालों के लिए समायोजन बेहिसाब रहा| कुछ जगह जरुरत से ज्यादा मास्टर तैनात होने पर फ़ोकट का वेतन लेंगे तो कहीं बच्चे शिक्षको के अभाव में स्कूल जाना बंद कर देंगे|

मुख्य विकास अधिकारी ने सूची क्यूँ नहीं पलट दी?
समायोजन की इस भ्रष्ट प्रक्रिया की बीच मुख्य विकास अधिकारी को सुझाव दिया गया कि अगर वे सूची को ताश की गद्दी की तरह फेट दे तो ये इन्साफ रहेगा| मनमाफिक तबादले के लिए वसूली गयी घूस पर रोक सकेगी| मगर मुख्य विकास अधिकारी ने इस सुझाव को दरकिनार कर दिया| इस बात से मुख्य विकास क्यूँ मुह मोड़ गए| चर्चा आई थी कि 10 लाख की डिमांड हुई थी इसलिए संयोजन लटक गया| आखिर जो कागज मुख्य विकास अधिकारी ने मागे थे वो बिना मिले या उनकी सत्यता जांचे बिना समायोजन पर उन्होंने हस्ताक्षर कैसे कर दिए? मुख्य विकास अधिकारी ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से शिक्षको के तबादले के प्रार्थना पत्र जिस पर उनकी स्थान्तरित वरीयता क्रम लिखा होना चाहिए था, मांगे थे| इसके बाद बेसिक शिक्षा कार्यालय में हडकंप मचा और आनन् फानन में ये प्रार्थना पत्र तैयार कराये गए| यानि तबादला सूची मुख्य विकास अधिकारी के पास थी और तबादले के प्रार्थना पत्र पिछली तारीखों में तैयार किये जा रहे थे| क्या घूस की बड़ी रकम का एक हिस्सा इन सब बातो की जाँच को दबा गया?

जेएनआई को कई दर्जन शिक्षको ने बताया कि उनका नाम पहले सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी ने नहीं भेजा था बाद में जब डील हो गयी पैसा दे दिया तो तबादला हो गया|

और अंत में-
खूब घूस कमाओ, अंत समय कुछ साथ में भी ले जाओ मगर इन गरीब, कमजोर वर्ग के लाचार मासूमो पर तो तरस खाओ!
अधिकारी ये कह कर घूस लेता है कि उसे मंत्री और प्रदेश स्तर के अधिकारिओ को सीट पर बने रहने के लिए रिश्वत देनी है इसलिए उसे घूस चाहिए| अगर इस सिस्टम का हिस्सा बनने में ही सकूं मिलता है तो अपने नाम के आगे घूसखोर लिखने में क्या तकलीफ है?