Friday, April 25, 2025
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खांसी व सांस फूलना हो सकते अस्थमा के संकेत: डॉ. ध्रुवराज सिंह

फर्रुखाबाद:(दीपक शुक्ला)अस्थमा रोग आम तौर पर एलर्जी से संबधित बीमारी है। वातावरण में धूल, धुएं आदि के कण सांस लेने के साथ ही सांस नली में पहुंच जाते हैं। इससे सांस लेने में दिक्कत आती है। जो धीरे-धीरे अस्थमा का रूप ले लेती है। हाल के दिनों में अस्थमा के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। अस्थमा को दमा भी कहा जाता है। अस्थमा फेफड़ों में वायुमार्ग से संबंधित एक बीमारी है, विशेषकर इसमें साँस लेने और छोड़ने में तकलीफ़ महसूस होती है। सांस फूलने के कई कारण होते हैं। शरीर में खून की कमी, हृदय रोग, किडनी खराब होना या शरीर में अतिरिक्त वजन (मोटापा) के कारण भी सांस की तकलीफ हो सकती है। हालाँकि, इसे अस्थमा रोग नहीं कहा जाता है। फेफड़ों के अंदर वायुमार्ग की सूजन से उनका व्यास कम हो जाता है। यह स्राव को बढ़ाता है और रक्तवाहिकाओं को संकुचित करता है। ऐसे में सांस छोड़ने में दिक्कत होती है। कुल मिलाकर यह फेफड़ों की बीमारी है। शहर के बढ़पुर स्थित जोगराज हस्पिटल के टीवी व दमा रोग विशेषज्ञ डा. ध्रुव राज सिंह से जेएनआई न्यूज टीम नें दमा व टीवी को लेकर खास बातचीत की| डा. ध्रुवराज ने दमा (अस्थमा) के लक्षण व उनके बचाव के उपाय बताएं हैं, पढ़ें पूरी खबर

अस्थमा के कारण
डा. अस्थमा के कई कारण होते हैं।
आनुवंशिकता: अस्थमा का एक महत्वपूर्ण कारण आनुवंशिकता है। यदि घर में किसी को अस्थमा है, तो अन्य सदस्यों को भी अस्थमा होने की संभावना रहती है।

एलर्जी:अस्थमा का मुख्य कारण एलर्जी है। अगर आपको किसी चीज से एलर्जी है और बार-बार उस चीज के संपर्क में आते हैं या एलर्जी वाली चीजों का सेवन करते हैं तो खून में कुछ घटक बढ़ जाते हैं। इसमें ‘आइसोनोफिल’ नामक तत्व बढ़ जाता है। इससे वायुमार्ग में सूजन आ जाती है।
पर्यावरणीय घटक: पर्यावरण और अस्थमा का गहरा संबंध है। सर्दी या ठंडा वातावरण, धूल और प्रदूषित वातावरण भी अस्थमा के लिए अनुकूल होते हैं।
वायु प्रदूषण: वायु प्रदूषण भी अस्थमा का कारण बनता है। इसके अलावा, ब्रोंकाइटिस, पुरानी खांसी के कारण सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
धूम्रपान: धूम्रपान से अस्थमा होता है।
लगातार धुएं से संपर्क: जो व्यक्ति लगातार धुएं के संपर्क में रहता है, पेंटिंग व्यवसाय या स्प्रे पेंट में काम करता है, खदानों में काम करता है, निर्माण कार्य करता है, उसे अस्थमा होने की संभावना होती है। हालांकि, वे इन सबके संपर्क में कितने समय तक रहते हैं, फेफड़ों पर इसका कितना असर होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसी है, इसका भी इसमें दूरगामी असर दिखता है।

अस्थमा का निदान
डॉ. ध्रुव राज सिंह ने बताया कि अस्थमा का निदान करने के लिए कुछ टेस्ट आवश्यक हैं। अगर आपको बार-बार सर्दी लगना, छींक आना, गले में खरखराहट होना, वातावरण बदलने पर सर्दी-खांसी का प्रकोप होना जैसे लक्षण हों तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। डॉक्टर फिजिकल टेस्ट के माध्यम से अस्थमा का निदान करते हैं। इस समय वे पूछते हैं कि क्या परिवार में किसी को अस्थमा आदि है।
फेफड़ों की क्षमता का परीक्षण ‘पीक-फ्लो’ मीटर नामक उपकरण से हवा उड़ाने की आपकी क्षमता की जांच करके किया जाता है। इससे प्रारंभिक निदान किया जा सकता है कि अस्थमा मौजूद है या नहीं।फेफड़े का कार्य परीक्षण (स्पाइरोमेट्री): अस्थमा का ठोस निदान करने के लिए, फेफड़े का कार्य परीक्षण किया जाता है| इसके अलावा, अन्य बीमारियों के कारण सांस की तकलीफ की जांच के लिए रक्त परीक्षण, एक्स-रे, शरीर में ऑक्सीजन का स्तर और अन्य परीक्षण आवश्यक हैं। यदि हृदय रोग है तो इकोकार्डियोग्राफी द्वारा अस्थमा का निदान किया जा सकता है।
अस्थमा का दौरा क्या होता है?
जब आप ट्रिगर के संपर्क में आते हैं तो अस्थमा का दौरा पड़ सकता है. श्वसनमार्गों के चारों ओर की मांसपेशियां अचानक सिकुड़ जाती हैं और श्वसनमार्गों के अस्तर (लाइनिंग) से श्लेष्मा का ज्यादा स्राव होता है. ये सभी कारक आपके लक्षणों को अचानक बदतर कर देते हैं|
अस्थमा के दौरे के लक्षण हैं:
सांस लेने में कठिनाई होना
सांस लेते समय सीटी की आवाज आना
घरघराहट
बहुत ज्यादा खांसी आना
सीने में जकड़न
बेचैनी

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