वोटर को लुभाने की जुगत में तमाम हथकंडे अपना रहे प्रत्याशी

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फर्रुखाबाद:(जेएनआई ब्यूरो) नगर निकाय चुनाव के प्रचार के बीच कई तरह के रंग देखने को मिल रहे हैं। एक जमाना था जब प्रत्याशी बिना किसी तामझाम के और देसी अंदाज मे ही प्रचार करते थे लेकिन अब चुनाव हाईटेक और टेक्निकल हो गया है तो मतदाताओं पर प्रभाव छोड़ने के लिए प्रत्याशी खुद को वीआइपी दिखाने की कोशिश भी कर रहे हैं। चुनाव में जरूरत पर उम्मीदवारों को सुरक्षा दिए जाने की व्यवस्था तो होती है लेकिन खास बात यह है कि कई प्रत्याशी अपनी निजी सुरक्षा लेकर चल रहे हैं। ऐसे प्रत्याशियों के इर्द-गिर्द इन दिनों सुपारी सूट पहने डील-डौल वाले सुरक्षाकर्मी नजर आ रहे हैं।विधानसभा चुनावों में तो इस तरह का ट्रेंड देखने को मिलता है मगर इन दिनों तो पार्षद का चुनाव लड़ने वाले भी इस अंदाज में दिख रहे हैं।किसी वार्ड पार्षद के उम्मीदवार के साथ बाउंसरों को देख मतदाताओं के मन में यह सवाल तो उठ रहा है कि इतने तामझाम की आखिर उन्हें जरूरत क्या है। इस पर उम्मीदवार भी तर्क देते हैं। उनका कहना है कि चुनाव में हर तरह के लोग सक्रिय हो जाते हैं इसलिए किसी तरह के विवाद या तकरार से बचने के लिए सुरक्षा जरूरी है।वैसे तो मतदाताओं की अपनी इच्छा होती है कि वे जिसे चाहे वोट दे लेकिन उम्मीदवार हर मतदाता के पास पहुंचने की कोशिश करता है प्रत्याशी सुबह से लेकर शाम तक मतदाताओं के घरों की गणेश परिक्रमा करने में लगे है इन दिनों जिधर देखिए उधर भोजन बन रहा है। कहीं मीट तो कहीं मुर्गा खास बात यह है कि प्रत्याशियों के समर्थक मतदाताओं को उनकी इच्छा के अनुरूप सब कुछ खिलाने-पिलाने को तैयार हैं बस शर्त है कि वह खेमे से छिटक कर कहीं और न जाएं। शहर के ही एक प्रत्याशी के समर्थक ने बताया कि इन दिनों मतदाताओं के लिए भोजन में मीट, मांस मछली से लेकर सुरा की मुकम्मल व्यवस्था की गई है साथ ही उनके जेब खर्चे का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। पांच साल तक शहर में हाड़-तोड़ मेहनत कर अपने परिवार की रोजी-रोटी चलाने वाले लोगों की पूछ इन दिनों काफी बढ़ गई है।अपने पाले में करने के लिए मैदान में कूदे प्रत्याशी एक तरफ जहां पुरूषों को भोजन व अन्य चीजों से लुभा रहे हैं,वहीं महिलाओं के लिए भी उन्होंने खास इंतजाम कर रखा है। महिलाओं के लिए एक से बढ़कर एक साड़ियों व पैसों का अलग से इंतजाम किया गया है, और उन्हें उपहार स्वरूप देकर अपने पक्ष में मतदान करने की अपील की जा रही है।प्रत्याशी खुद को हेवीवेट कैंडिडेट फील कराने के लिए उम्मीदवार इस तरह के प्रपंच भी कर रहे हैं।ताकि जब वे प्रचार के लिए निकले तो मतदाताओं पर एक प्रभाव भी पड़े और उनके वीआइपी होने का एहसास भी हो। यह कहीं न कहीं प्रचार में आगे निकलने की कोशिश का हिस्सा माना जा रहा है। अब देखना यह है कि मतदाताओं द्वारा प्रत्याशियों के नमक का हक़ अदा किया जाता है या नहीं यह तो समय ही बताएगा|