मत भूलना: नगरपालिका ने पीने के पानी में क्लोरीन की जगह सीवेज ट्रीटमेंट रसायन भेजा था

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फर्रुखाबाद: नगरपालिका ने जनता को पीने के पानी के लिए की जा रही सप्लाई की शुद्धिकरण के लिए जो रसायन भेजे थे उनमे वो रसायन भी था जो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में इस्तेमाल किये जाते हैं| इन ड्रमो में हाइड्रोजन परऑक्साइड था जो क्लोरीन की जगह भेजे गए थे| मुख्यचिकित्सा अधिकारी पी के पोरवाल ने बताया था कि पीने के पानी को शुद्ध करने के लिए क्लोरीन का इस्तेमाल होता है जबकि हाइड्रोजन परऑक्साइड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नाले के गंदे पानी को नदियों में छोड़ने से पहले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में कचड़ा साफ़ करने में इस्तेमाल किया जाता है| अपर जिलाधिकारी सुशील चन्द्र ने भी मामले पर सीएमओ से जाँच करने की बात कही थी मगर बसपा की सत्ता की चौखट पर उन्होंने भी नाक रगड़ कर नगरपालिका के खिलाफ कुछ कारवाही नहीं की थी| ठीक 1 साल पहले इसी महीने में नलों में बिना क्लोरीन का पानी पिलाने का मुदा जेएनआई ने उठाया था| तब निवर्तमान चेयरमेन मनोज अग्रवाल थे जिन्होंने इस मामले की गंभीरता को नहीं समझा और आम जनता बिना क्लोरीन का पानी पीती रही| नेता जनता को बेबकूफ समझता है या खुद को ज्यादा होशियार ये समझना कोई मुश्किल नहीं| पांच साल सब कुछ इनके हाथ में था अब आपके हाथ में| मोहर लगाने से पहले जरुर सोचना है कि जिन्हें चुना था क्या वो आम जनता तक नगरपालिका की सभी जिम्मेदारिया पूरी कर पाए|

कहीं दवा जहर न बन जाए?
कई वर्षो से नगरपालिका में हो रही बिना क्लोरीन के पानी की सप्लाई के खुलासे और जाँच में गड़बड़ी सिद्ध होने के बाद नगरपालिका ने 6-7 साल पूर्व खरीदी गयी क्लोरीन के दो दो ड्रम टाउन हाल की टंकी , आवास विकास सेक्टर 1, आवास विकास (डिफेंस कालोनी), लकूला और कम्पनी बाग़ फतेहगढ़ को भेजे थे| इन ड्रमो में भेजे गए रसायन क्या है इस बात का कोई लेवल या प्रमाण नहीं था| यहाँ तक की नगरपालिका के पम्प ओपेरटर और इंजिनियर भी इन रसायनों के सही होने पर संदेह व्यक्त कर रहे थे| इन ड्रमो पर न तो रसायन निर्माण कम्पनी का नाम था और न ही रसायन बनने की तारीख| मजे की बात है कि जो लेवल इन पर लगे है उन्हें न केवल खुरच कर बिगाड़ दिया गया बल्कि इस बात को भी छुपाया गया कि ये रसायन किस बैच न० के हैं|

ज्ञात हो कि पिछले वर्ष गर्मी के इन्ही दिनों में जेएनआई ने नगरपालिका में दूषित पानी की सप्लाई के खिलाफ जंग छेड़ रखी थी| जे एन आई का प्रयास था कि फर्रुखाबाद के वाशिंदों को हर हाल में पीने का शुद्ध पानी मिले इसी के चलते हमारी मुस्तैद टीम ने बराबर फर्रुखाबाद की नगरपालिका की हर उस गतिविधि पर नजर रखनी शुरू कर दी जो जनता से जुड़ा है और जिसमे जनता के लोकतान्त्रिक अधिकारों का नगरपालिका लगातार हनन कर रही है|

दयमन्ती सिंह के कार्यकाल के समय खरीदा गया क्लोरीन पिछले साल बट रहा था-
शुक्रवार को जेएनआई की टीम ने आवास विकास के सेक्टर 1, आवास विकास की ही डिफेंस कालोनी और लकूला की टंकी के पम्पो पर चाप मार नगरपालिका के जलकल विभाग द्वारा इन टंकियो पर भेजे गए पानी में मिलाने वाले रसायनों के बारे में जानकारी इक्कठी की| इस दौरान खीचे गए चित्रों के अध्ययन के विश्लेष्ण से ये पकड़ में आया कि लगभग सभी ड्रमो में भरे रसायन जो कि क्लोरीन कहे जा रहे थे संदिग्ध थे| इनमे भरे रसायन जीवित है अथवा मृत स्थिति में, इसका कोई प्रमाण ड्रमो पर नहीं था| ज्ञात हो रसायन विभिन्न तापमान और समय बाद अपना रूप बदल सकते है और जीवन बचने वाला रसायन जहर में तब्दील होकर जीवन समाप्त भी कर सकता है| ज्यादा कुछ लिखने की जरुरत नहीं जनता को वो सारे फोटो यहाँ दिखाए जा रहे है जो हर बात खुद साबित करते हैं| नगरपालिका के ही कुछ जिम्मेदार अधिकारिओ के मुताबिक ये क्लोरीन पिछले पालिका अध्यक्ष के जमाने में खरीदा गया था|

भ्रष्टाचार के कारण अभी तक सुरक्षित हैं जनता?
सबसे चौकाने वाली बात लकूला की टंकी पर पकड़ में आई है| 1500.किलोलीटर क्षमता वाली वाली इस टंकी के पानी में मिलाने के लिए क्लोरीन की जगह हाइड्रोजन परऑक्साइड भेजा गया था| ये रसायन गंदे नालो को नदियों में छोड़ने से पहले शुद्धिकरण सयंत्र में कचड़ा और जहरीले पदार्थ साफ़ करने के लिए इस्तेमाल होता है| इस टंकी पर मौजूद पम्प ओपेरटर मो० उवैस ने जे एन आई को बताया कि ये ड्रम दो दिन पहले भेजे गए है मगर अभी इन्हें टंकियो में डाला नहीं गया था क्यूंकि टंकी में डालने के आदेश नहीं आये है| यानि जो क्लोरीन के ड्रम भेजे गए थे वो केवल दिखावे के लिए भेजे गए थे क्यूंकि जे एन आई के छपे के दिन से दो दिन पहले से किसी भी ड्रम से कथित क्लोरीन अभी पानी में नहीं मिलाया गया| शायद ये नगरपालिका के भ्रष्टाचार की वो कड़ी है जिसे जनता को जरुर मालूम होना चाहिए कि जनता के साथ क्या क्या धोखा हो रहा है| शायद ये ड्रम दिखाने के लिए भेजे गए थे ताकि कोई प्राशसनिक असफर अगर छापा मारे तो इतना तो साबित हो जाए कि माल रखा था|

नगरपालिका की टंकियो में पानी भरने के लिए लगे पम्पो से क्लोरीन भरने के पम्प(डोजर) सभी लम्बे समय से ख़राब थे तब ये ड्रम भी कैसे खाली होंगे| जनता को मूर्ख बनाने का ये एक और नमूना था| तस्वीरे खुद व् खुद भ्रष्ट व् जनता के हक़ की चोर नगरपालिका की कहानी कहेगी क्यूंकि नगर की जनता को शुद्ध पानी देना, साफ़ सफाई और नगर मार्ग प्रकाश देना इसी नैतिक व् प्राशसनिक जिम्मेदारी है|




नोट- ये समाचार पिछले साल मई महीने का है तथा तस्वीरे भी तभी की है|