शुत्र संपत्ति मामले में आजम खां को हाई कोर्ट से बड़ी राहत, मिली जमानत

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प्रयागराज: समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य रामपुर से विधायक आजम खां को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। आजम खां को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुत्र संपत्ति पर अवैध कब्जे के मामले में जमानत दी है। आजम खां की अगर किसी नए केस में गिरफ्तारी नहीं होती है, तभी वह सीतापुर जेल से रिहा होंगे।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आजम खां की शत्रु संपत्ति पर कब्जे के मामले मे जमानत याचिका पर बीते दिनों फैसला सुरक्षित कर लिया था। कोर्ट ने आज अपना निर्णय दे दिया है। सीतापुर जेल में करीब 26 महीने से बंद आजम खां की जमानत को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंजूर कर लिया है। आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खां को शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने एक लाख रूपये मुचलके व दो प्रतिभूति पर जमानत दे दे दी है। कोर्ट ने आजम खान से शत्रु संपत्ति को पैरा मिलिट्री फोर्स को सौंपने का आदेश दिया है|
विधायक आजम खां को 89 में से 88 आपराधिक मामलों में पहले ही जमानत मिल चुकी है। इसी दौरान राज्य सरकार ने एक दर्जन मामलो में जमानत निरस्त करने की अर्जी दाखिल की है। जो इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन है। आजम खां जमानत पर रिहा हों, इससे पहले ही एक और नई एफआइआर भी दर्ज की गई है।
माना जा रहा था कि यदि इस केस में जमानत मंजूर हुई तो आजम खां जेल से बाहर निकल आयेंगे। नया केस दर्ज होने से दर्ज आखिरी मामले में अब जमानत मिलने के बावजूद रिहाई नहीं हो सकेगी। इस मामले के अनुसार, आजम खां पर आरोप है कि उन्होंने अजीमनगर थाना क्षेत्र में शत्रु संपत्ति पर अवैध कब्जा कर उसको बाउंड्री वॉल से घेरा है। जिसे बाद में रामपुर के मौलाना जौहर अली ट्रस्ट रामपुर के जौहर विश्वविद्यालय में शामिल किया गया है। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है और कोर्ट ने संज्ञान भी ले लिया है। इस मामले में चार दिसम्बर 21 को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी और कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया था। 29 अप्रैल को राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में पूरक जवाबी हलफनामा दाखिल कर कुछ और नये तथ्य दिए। जिसपर पांच को सुनवाई हुई। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। उधर सुप्रीम कोर्ट ने आजम खां की जमानत पर फैसला सुनाने में देरी को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट पर तल्ख टिप्पणी की थी। जिसके बाद आज आजम खां की याचिका पर फैसला सुनाया गया। कोर्ट में आजम खां के अधिवक्ता इमरानुल्लाह खान, कमरूल हसन, सफदर काजमी, राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी, शासकीय अधिवक्ता एस के पाल अपर शासकीय अधिवक्ता पतंजलि मिश्र कोर्ट में मौजूद थे।आजम खां के वकील इमरानुल्लाह खान ने बताया कि रामपुर में जौहर विश्वविद्यालय 350 एकड जमीन में बना है। इसमें अधिकांश जमीन का बैनामा कराया गया है। कुछ सरकार ने पट्टे पर दिया है। 13हेक्टेयर शत्रु संपत्ति का बताते हुए विवाद खड़ा किया गया है। रामपुर के जिलाधिकारी ने 18 जुलाई 2006 को विश्वविद्यालय को लीज पर विवादित जमीन दी थी। यह लीज की दर 1700 रूपये प्रति एकड़ थी। इसके बाद 20 अक्टूबर 2014 को कस्टोडियन ने लीज रद कर दी और वही जमीन बीएसएफ को दी गई है। विश्वविद्यालय की तरफ से लगातार लीज की मांग में अर्जी दी जा रही है। राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी व एजीए पतंजलि मिश्र का कहना था कि आजम खां ने जबरन अपने चेंबर में बुलाकर जमीन को वक्फ संपत्ति दर्ज कराया है। मसूद खां ने इबारत लिखी है। यह शत्रु संपत्ति हड़पने के लिए वक्फ एक्ट के सारे उपबंधो को ताक पर रख दिया गया। 1369 फसली की खतौनी से साफ है कि जमीन वक्फ बोर्ड की नहीं है। उन्होंने दस्तावेज भी पेश किया। वक्फ बोर्ड के अधिकारियों को डरा धमकाकर इंदिरा भवन कार्यालय में दो रजिस्टर मंगा कर वक्फ संपत्ति दर्ज कराया है। आजम खां ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष हैं। अपने लाभ के लिए उन्होंने सरकारी जमीन को वक्फ संपत्ति दर्ज कराया है। इसी कारण मुख्य आरोपी वहीं है। वक्फ बोर्ड की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने भी पक्ष रखा।  गौरतलब है कि आजम खां के खिलाफ 2019 में रामपुर से सांसद बनने से लेकर अब तक कुल 89 मामले दर्ज हैं। इनमें से शत्रु संपत्ति केस को छोड़कर शेष सभी में उन्हें जमानत मिल चुकी है। सिर्फ एक मामला शत्रु सम्पत्ति का रह गया था। आजम खां के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित करने के बाद लंबे अर्से से फैसला नहीं सुनाया है। इस पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दो मई की तारीख मुकर्रर की थी।