कारागारों में भीड़ कम करने के लिए दोषियों को पेरोल दे सकती हैं राज्य सरकारें: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली: देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। संक्रमित मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों की सरकारों को जेल में भीड़ कम करने के लिए दोषियों को पेरोल या फिर अंतरिम जमानत देने के निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने जेल में दोषियों की संख्या को देखते हुए राज्य सरकारों से कहा है कि एक उच्च स्तरीय समिति बनाई जाए। इस समिति में कानून सचिव और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण शामिल होंगे। यह समिति इस बात को निर्धारित करेगी कि जेल में भीड़ कम करने के लिए किस वर्ग के दोषियों को पेरोल या अंतरिम जमानत मिलनी चाहिए। हालांकि कोर्ट ने सात साल से ज्यादा सजा काट रहे दोषियों को इसमें शामिल करने की बात कही है।
दिल्ली सरकार ने पहले की शुरुआत
इससे पहले दिल्ली सरकार ने जेलों में कैदियों की संख्या को कम करने का फैसला लिया है। आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली उच्च न्यायाल को सोमवार को बताया कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए दोषियों को विशेष पेरोल और अंतरिम जमानत का विकल्प दिए जाने का फैसला लिया गया है।
दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट ने जानकारी दी कि ये फैसला जेल में से कैदियों की संख्या को कम करने के लिए उठाया जा रहा है। दिल्ली सरकार ने न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ को बताया कि जेल के नियमों में संशोधन करके ही दोषियों को इन विकल्पों का लाभ दिया जाएगा। दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थाई वकील अनुज अग्रवाल ने सरकार की तरफ से यह दलील दी है। अनुज अग्रवाल ने जानकारी दी कि जेल के नियमों में संशोधन करने के लिए एक दिन के अंदर ही अधिसूचना जारी की जाएगी।
राज्य सरकार की तरफ से दाखिल दलील पर पीठ ने गौर करते हुए प्रस्तावित कदम आज से लागू करने के लिए निर्देश दे दिए हैं। इसके अलावा दो जजों की पीठ ने कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के मद्देनजर जेलों को खाली कराने के संबंध में दो और वकीलों की ओर से दायर याचिका का निस्तारण कर दिया है।