फर्रुखाबाद:(ब्यूरो) लोहिया अस्पताल के सर्जरी विभाग के चिकित्सकों ने सर्जरी कर एक 15 साल की किशोरी के पेट से 4 किलो 500 ग्राम बालों का गुच्छा निकाला है। युवती पिछले कई साल से पेट में दर्द की शिकायत से जूझ रही थी। पहले तो युवती के परिजनों ने पेट दर्द की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन इस साल जब पेट का दर्द अधिक हो गया तो परिजन इलाज के लिए युवती को लोहिया अस्पताल लेकर पहुंचे। जंहा विभिन्य जांचो के बाद किशोरी के पेट का आपरेशन किया गया| तो उसके पेट में बालो का गुच्छा निकला| किशोरी पूरी तरह स्वास्थ्य है|
कोतवाली कायमगंज क्षेत्र के ग्राम मई रसीदपुर निवासी 15 वर्षीय शिवानी पुत्री सुनील कुमार बीते 10 वर्षों से बाल खा रही थी| बीते कुछ महीनों ने शिवानी के पेट में दर्द की समस्या बढ़ गयी| तो परिजन उसे लेकर लोहिया अस्पताल के सर्जन डॉ० इमरान अली से मिले और शिवानी की समस्या बतायी| सर्जन नें शिवानी के पेट की जाँच करायी तो पता चला कि उसके पेट में बालों का एक बहुत बड़ा गुच्छा एकत्रित हो गया है|
सोमबार को शिवानी का आपरेशन किया गया| जिसे डॉ० प्रदीप ने बेहोश किया| इसके बाद सर्जन डॉ० इमरान नें उसका सफल आपरेशन किया| आपरेशन के दौरान उसके पेट में लगभग 4 किलो 500 ग्राम बजनी बालों का गुच्छा निकला| अब युवती पूरी तरह स्वास्थ्य है| डॉ० अभिषेक चतुर्वेदी ने आपरेशन में सहयोग किया|
ट्राइकोफेजिया से पीड़ित है युवती
सर्जन डॉ० इमरान अली के अनुसार युवती ट्राइकोफेजिया बीमारी से पीड़ित है। ट्राइकोफेजिया बीमारी उन्हें होती है, जो अकेलेपन का शिकार और अत्याधिक तनाव में हो। इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति अपनी घबराहट, बेचैनी, टेंशन को कंट्रोल नहीं कर पाते और अपने बाल उखाड़ने लगते हैं। बाल उखाड़कर अच्छा महसूस होता है। ज्यादा स्ट्रेस में आ जाते हैं, तो सिर के बाल खाना शुरू कर देते हैं। न पचने वाले बाल सालों तक धीरे धीरे पेट में इकट्ठे होते रहते हैं। जैसे जैसे बालों के इस गोले का साइज बढ़ता है। पेट दर्द, खाना नहीं खा पाना, उल्टियां होने की दिक्कत पैदा होती है। इसे शरीर से बाहर निकालने के लिए दवाएं दी जा सकती हैं, लेकिन अधिकतर मौकों पर ऐसा प्रभावी नहीं होता है। ऐसे में सिर्फ सर्जरी ही विकल्प बचता है। डॉ. इमरान के अनुसार जब बालों का गुच्छा बन जाता है, तो उसे ट्राइकोबेजार कहा जाता है। जबकि बाल चबाने की आदत को ट्राइकोफेजिया बीमारी कहते है। यह बीमारी ज्यादातर यंग लड़कियों में होती है। बच्चो में यह बीमारी कम बुद्धि के चलते होती है और वह बाल खाने लगते है|
बीमारी से बच्चों को बचाने के लिए यह करें
बच्चे रोजाना सात से आठ घंटे की नींद लें।
बच्चा घर में है, तो अभिभावक उसके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताएं। बच्चों के सोने वाली जगह जैसे कि बेडशीट, सिरहाने, कपड़ों में ज्यादा बाल नजर आएं, तो इसे हल्के में न लें।
बच्चे की भूख कम हो जाए या खाना खाने के बाद उल्टी आए, तो इसे हल्के में न लें। परिजनों को बच्चो पर पूरा ध्यान रखना चाहिए|
सर्जन डॉ० इमरान अली नें जेएनआई को बताया कि शिवानी लगभग 15 दिन पहले उनके पास इलाज कराने के लिए आयी थी| जिसके बाद उसका सफल आपरेशन किया गया|