Monday, December 23, 2024
spot_img
HomeFARRUKHABAD NEWSसवालों में घिरे हैं अफसर और माया,राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर खर्च...

सवालों में घिरे हैं अफसर और माया,राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर खर्च हुए सैकड़ों करोड़ रुपये

इलाहाबाद/नोएडा :मिशन 2019 के लोकसभा चुनाव में जुटीं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया एक बड़ी मुसीबत में घिरती नजर आ रही हैं। दरअसल, मायावती राज में नोएडा-लखनऊ में बने स्मारकों के घोटाले की केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) से जांच की मांग को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका के मद्देनजर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से दर्ज प्राथमिकी की जांच की एक हफ्ते में प्रगति रिपोर्ट मांगी है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि घोटाले का कोई दोषी बचना नहीं चाहिए। बृहस्पतिवार को मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने मिर्जापुर के शशिकांत उर्फ भावेश पांडेय की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई कोर्ट ने 27 सितंबर को होगी।
नोएडा के स्मारक पर भी सवाल
नोएडा में बने राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल में सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इनमें पत्थरों की कीमत व ढुलाई लागत को लेकर पिछली सरकार के कुछ चुनिंदा अफसरों पर सवालिया निशान लगे थे। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर करीब 20 पर्सेंट कंक्रीट को तोड़कर फिर से ग्रीन एरिया डिवेलप किया गया था।
राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल के निर्माण में बड़ा घोटाला सामने आया है। शासन के ऑडिट रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ था कि सिर्फ 84 करोड़ का एमओयू साइन कर लगभग एक हजार करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए। निर्माण कार्य पूरा होने के छह साल बाद भी अथॉरिटी के पास इन कार्यों का कोई बाउचर या बिल मौजूद नहीं है। यह रकम किसके आदेश पर खर्च की गई? इसका कोई लिखित दस्तावेज अथॉरिटी के रेकॉर्ड में मौजूद ही नहीं है। यह कार्य यूपी राजकीय निर्माण निगम ने किया था।
नोएडा और लखनऊ में बनाए गए थे स्मारक
उत्तर प्रदेश में सत्तासीन तत्कालीन मायावती सरकार ने लखनऊ के साथ नोएडा में भी दलित महापुरुषों के नाम पर पांच स्मारक पार्क बनाने के लिए लगभग 4,300 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे। इसमें से लगभग 4200 करोड़ रुपये खर्च भी हुए। लोकायुक्त ने अपनी जांच में अनुमान लगाया था कि इसमें से करीब एक तिहाई रकम भ्रष्टाचार में चली गई।
ढुलाई में भी गड़बड़ी का आरोप
आरोप है कि स्मारकों के निर्माण कार्य में इस्तेमाल किए गए गुलाबी पत्थरों की सप्लाई मिर्जापुर से की गई ,जबकि इनकी आपूर्ति राजस्थान से दिखाकर ढुलाई के नाम पर भी पैसा लिया गया था। लोकायुक्त ने जांच में जिक्र किया कि पत्थरों को तराशने के लिए लखनऊ में मशीनें मंगाई गईं थी, इसके बावजूद इन पत्थरों के तराशने में हुए खर्च में कोई कमी नहीं आई। आरोप यह भी है कि भुगतान तय रकम से दस गुने दाम पर ही किया जाता रहा।लोकायुक्त की रिपोर्ट के बाद अखिलेश सरकार ने जनवरी 2017 में गोमतीनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी और सतर्कता विभाग मामले की जांच भी कर रहा है। मामले में निर्माण निगम, पीडब्ल्यूडी, नोएडा डेवलपमेंट अथॉरिटी के इंजीनियर और अधिकारी आरोपी हैं।
आरोप कि राजस्थान से 15 ट्रक पत्थर रवाना हुए, लेकिन मौके पर सात ट्रक ही पहुंचे। रास्ते में ही आठ ट्रक पत्थर हड़प कर लिए गए। यहां पर बता दें कि मामला 2007 से 2012 के बीच बसपा सरकार के दौरान नोएडा और लखनऊ में पार्कों और स्मारकों के निर्माण में घोटाले के आरोप का है। लोकायुक्त की जांच में 1400 करोड़ से ज्यादा का घोटाला सामने आया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments