वो 7 साल भीख मांगता रहा, आर्मी मरा समझकर पेंशन भेजती रही…

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army 12बहरोड़ (अलवर, राजस्थान): सात साल पहले कार एक्सीडेंट में सेना में हवालदार धर्मवीर यादव की याददाश्त चली गई थी। इस बीच भिखारी की तरह दर-दर भटकने वाले हवालदार की याद्दाश्त एक एक्सीडेंट के बाद वापस लौट आई और सात साल बाद वह अपने घर पहुंचा। हर कोई इनकी कहानी पर हैरान है। यह कहानी बहरोड़ के गांव भीटेड़ा निवासी सेना के जवान हवलदार धर्मवीर यादव की है। धर्मवीर वर्ष 2009 में देहरादून में सेना की एंबैसडर कार को सिविल में लेकर जा रहे थे। लेकिन धर्मवीर यादव कार पर नियंत्रण खो बैठे और वह सड़क हादसे का शिकार हो गई। इस हादसे के बाद से धर्मवीर लापता हो गया था।

सेना के द्वारा तलाश करने के बाद भी नहीं मिलने पर परिजनों को गुमशुदगी की जानकारी दी गई। सेना से सुबेदार पद से सेवानिवृत धर्मवीर यादव का पिता कैलाश चंद यादव ने भी सैनिकों के साथ धर्मवीर की तलाश की लेकिन वह कहीं नहीं मिले। सेना के अलावा पिता ने देश के विभिन्न हिस्सों में धर्मवीर की तलाश की। यहां तक कि उन्होंने अपने स्तर से पाकिस्तान में भी तलाश की लेकिन उसके बावजूद सफलता हासिल नहीं हुई।

सात साल पहले कार एक्सीडेंट में सेना में हवालदार धर्मवीर यादव की याददाश्त चली गई थी। इस बीच भिखारी की तरह दर-दर भटकने वाले…धर्मवीर के नहीं मिलने पर सेना के अधिकारियों ने तीन साल बाद वर्ष 2012 में मृत मानकर उसका मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर दिया। धर्मवीर की पत्नी मनोज को धर्मवीर के रुपए देने के साथ ही पेंशन चालू कर दी गई लेकिन शुक्रवार का दिन परिवार के लोगों के लिए किसी चमत्कार जैसा था। रात करीब एक बजे धर्मवीर वापस घर लौट आया। लापता हुए घर के सदस्य को देख परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

पिता ने बताया कि धर्मवीर की पहले हुए हादसे में याद्दाश्त चली गई। इसके बाद वह भीख मांगकर गुजर-बसर करता था लेकिन कुछ दिन पहले हुए दूसरे हादसे ने याद्दाश्त वापिस ला दी। और फिर वह घर लौट आया। पति के लापता होने के बाद से ही पत्नी मनोज देवी शुक्रवार को संतोषी माता का वृत करने लगी थी। वह माता से पति के वापिस लौटाने की मन्नतें मांगने लगी। मनोज ने कहा कि संतोषी माता ने अरदास पूरी कर दी। शुक्रवार की रात को पति वापिस लौट आया। दो बेटियों को उनका पिता मिल गया।