Monday, December 23, 2024
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आखिर क्यों गुस्से में है सोना बेचने वाले?

putlaaदिल्ली: बजट 2016 में चांदी के जेवरों को छोड़कर सभी कीमती धातुओं के आभूषणों पर उत्पाद शुल्क छूट वापस लेने की घोषणा से देशभर के ज्वैलर्स में गुस्सा है। हर शहर से हड़ताल और कारोबार बंद की खबर आ रही है। आइए जानते हैं कि बजट के ऐलान से क्यों निराश हैं देशभर के ज्वैलर्स?

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट में सोने के आभूषणों पर 1 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाने की घोषणा की थी। इसमें चांदी के आभूषण शामिल नहीं हैं। हीरे और सोने के आभूषणों को शुल्क के दायरे में रखा गया है। इससे ज्वैलर्स को अपनी बिक्री कम होने और इंस्पैक्टर राज आने का डर सता रहा है। 2005 और 2012 में भी सरकार ने ज्वैलरी क्षेत्र पर एक फीसदी उत्पाद शुल्क लगाने की घोषणा की थी लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया गया था।

बजट 2016 में चांदी के जेवरों को छोड़कर सभी कीमती धातुओं के आभूषणों पर उत्पाद शुल्क छूट वापस लेने की घोषणा से देशभर के ज्वैलर्स में गुस्सा है| आभूषण उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि उत्पाद शुल्क लगने से बाहर से, खासतौर पर शुल्क मुक्त देशों से, गहनों का आयात करना मुश्किल होगा। अभी तक ज्वैलरी के आयात पर 15 फीसदी आयात शुल्क, सोने पर 10 फीसदी शुल्क लगता है जो एफटीए देशों के मामले में शून्य है। लेकिन अब सोने पर उत्पाद शुल्क लगने से एफटीए से आयात भी ‘काउंटरवेलिंग’ शुल्क के दायरे में आएगा और ज्वैलर इससे बचना चाहते हैं।

सराफा व्यापारियों का कहना है की सरकार की योजना के बाद अगर स्वर्ण का कोई भी प्रारूप बदलेगा तो उसपर एक पर्सेंट का टैक्स देना पड़ेगा। मान लीजिए, अगर 100 ग्राम सोना गलाना है, जिसकी कीमत 3 लाख होगी। तो इसपर एक पर्सेंट के हिसाब से 3 हजार एक्साइज ड्यूटी (उत्पाद शुल्क) देना होगा।

अगर गलाई करने वाला है 100 ग्राम सोना गलाता है। उसे इसके लिए 50-100 रुपए की मजदूरी मिलती है, तो वह कहां से 3 हजार की पेमेंट करेगा? इस योजना से हर चीज का विवरण रखना मुश्किल हो जाएगा। कारखाने से माल गलाने के लिए आएगा। कोई कैसे उसका विवरण रख पाएगा? इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिल जाएगा। कभी भी कोई अधिकारी आपके यहां आकर छापा मार सकता है, विवरण पूछ सकता है। आप उससे कोई सवाल नहीं पूछ सकते हैं। इससे व्यापारियों का उत्पीड़न होना शुरू हो जाएगी। एक्साइज वाले जब भी आते हैं, उनका महीना बंध जाता है, जो सिस्टम पर हावी हो जाएगा।

व्यापारियों ने 2012 का भी जिक्र किया जब बढ़ी हुई एक्साइज ड्यूटी को व्यापारियों के विरोध के बाद सरकार ने वापस ले लिया था। उस वक्त 27 दिन तक हड़ताल चली थी। उन्होंने बताया कि माल कितने कारखानों से, कितने आदमियों के हाथ से होकर गुजरता है, हिसाब रखना मुश्किल होता है ऐसे में यह योजना कैसे लागू हो पाएगी? सरकार पर आरोप लगाया कि यह योजना प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है। एक पर्सेंट एक्साइज ड्यूटी बढ़ने से हॉलमार्किंग सिस्टम शुरू होगा। आखिर जो अपना माल कारखाने में तैयार करेगा वह कहां से हॉलमार्किंग करेगा।

ज्वैलर्स सरकार के पहले के लिए गए फैसलों से ही खुश दिखाई नहीं दे रहे थे जिसमें सरकार ने जनवरी में से दो लाख और इससे अधिक लेनदेन पर पैन कार्ड को अनिवार्य बना दिया था। सरकार ने दो लाख रुपए में पैन कार्ड मांगने का फैसला किया है। भला कौन है जो शॉपिंग पर पैन कार्ड दे रहा है? सरकार इतने नियम लादते जा रही है कि आदमी का धीरे धीरे इंटरेस्ट ही खत्म हो जाएगा और सोने की खरीद का बाजार औंधे मुह जा गिरेगा। इससे खुदरा व्यवसाय खत्म हो जाएगा। सरकार की मंशा इन सबसे ऑनलाइन खरीद को बढ़ावा देने की है। आम बाजार इससे खत्म होना शुरू हो जाएगा। कस्टमर का आराम खत्म हो जाएगा।

आखिर में उन्होंने कहा कि इन सबसे 5 से 10 पर्सेंट महंगाई भी बढ़ जाएगी। अंततः कस्टमर की जेब से ही ज्यादा पैसा जाएगा। लोकल मार्केट ही खत्म कर देंगे तो ब्रांडेड का ही ऑप्शन बचेगा।

वहीं, सरकार ज्वेलरी पर एक्साइज ड्यूटी वापस लेने के पक्ष में नहीं है। ज्वेलर्स के भारी विरोध के बावजूद वित्त मंत्री अरुण जेटली अपने रुख पर कायम हैं। सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय ज्वेलरी पर एक्साइज ड्यूटी वापस नहीं लेगा। सरकार का मानना है कि ड्यूटी लगने से ज्वेलरी सेक्टर में काले धन का लेन देन रुकेगा। एक्साइज ड्यूटी का असर सिर्फ बड़े ज्वेलर्स पर ही पड़ेगा और छोटे ज्वेलर्स को चिंता की कोई जरूरत नहीं है।

एक्साइज ड्यूटी हटाने के लिए कई सांसदों ने चिट्ठी लिखी है लेकिन बताया जा रहा है कि ज्वेलरी पर एक्साइज ड्यूटी वापस नहीं लेने का फैसला हो चुका है। सरकार के मुताबिक जीएसटी की रेवेन्यू न्यूट्रल दर के लिए ज्वेलरी पर एक्साइज जरूरी है।

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