अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन पर भड़की कांग्रेस, प्रणब से गुहार लगाएंगी सोनिया

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NEW DELHI, INDIA - AUGUST 5: Congress President Sonia Gandhi, former Prime Minister Manmohan Singh with JD(U) leader Sharad Yadav and other leaders near the Gandhi statue during a protest against the suspension of party's 25 MPs, at Parliament, on August 5, 2015 in New Delhi, India. Congress and some opposition parties on Wednesday persisted with their protest against the suspension of 25 MPs as the stalemate in the Rajya Sabha continued over the opposition demand for the resignations of three BJP leaders. (Photo by Sanjeev Verma/Hindustan Times via Getty Images )नई दिल्ली:अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को कांग्रेस ने ‘संवैधानिक जनादेश का माखौल, संघवाद की हार और लोकतंत्र को कुचलना’ बताया है। पार्टी अपने बयान के एक दिन बाद कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में मंगलवार को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात करेगा।

पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने केंद्र के इस फैसले पर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी पर हमला किया और कहा कि वह उत्तर-पूर्व में सत्ता हासिल करने की जल्दबाजी में है। सिंह ने अरुणाचल पर केंद्र के लिए गए कदम को लोकतंत्र की हत्या बताया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी मंगलवार को कांग्रेस के सुर में सुर मिलाते दिखाई दिए।केजरीवाल ने छत्रसाल स्टेडियम में अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा अगला नंबर दिल्ली का है। अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने के केंद्र के फैसले पर कांग्रेस भड़क गई है। पार्टी ने केंद्र के फैसले के खिलाफ राष्ट्रपति से मिलने का फैसला किया है…

वहीं, राज्य में कांग्रेस के इंचार्ज और पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण सामी ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी मीडिया के जरिए मिली है। सामी ने कहा कि मुख्यमंत्री को विश्वास में लिए बिना ही केंद्र ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी। राजभवन इस वक्त बीजेपी के हेडक्वॉर्टर में बदल गया है और राज्यपाल पार्टी के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। सामी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस मामले में कानून सलाह लेगी।

केंद्र सरकार में मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इस मामले में सरकार का बचाव किया और कहा कि राज्य में संकट के हालात है और केंद्र अपना काम कर रही है।

अरुणाचल में चल रहे राजनीतिक संकट की वजह क्या है? क्यों केंद्र ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की है? ये भी जानिए…

नवंबर 8, 2015 को कालिखो पुल के नेतृत्व में 21 कांग्रेसी विधायकों ने सीएम तुकी को ‘निरंकुश’ बताते हुए बयान जारी कर दिया।

नवंबर 19, 2015 को राज्य बीजेपी ने रेबिया को स्पीकर पद से हटाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।

दिसंबर 10, 2015 को राज्यपाल जेपी राजखोवा ने 14-16 जनवरी की जगह विधानसभा सत्र की कार्यवाही को पहले की तारीख 16-18 दिसंबर में स्थानांतरित कर दिया।

दिसंबर 15, 2015 रेबिया ने कांग्रेस के बागी 21 में से 14 विधायकों को कार्यवाही के लिए अयोग्य घोषित कर दिया।

दिसंबर 16, 2015 सरकार ने विधानसभा को बंद करवा दिया, पुलिसबल की तैनाती कर दी गई लेकिन डिप्टी स्पीकर टीएन थोंगडोक ने स्पीकर रेबिया को चुनौती देते हुए एक कम्युनिटी हॉल में 33 विधायकों के साथ बैठक की।

दिसंबर 17, 2015 को बागियों ने तुकी के खिलाफ जाने का फैसला किया और पुल को सीएम के रूप में चयनित किया।

जनवरी 5, 2016 को हाई कोर्ट ने 14 कांग्रेसी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के फैसले पर रोक लगा दी।

जनवरी 13, 2016 को हाई कोर्ट ने असहमति के पक्ष में फैसला दिया।

जनवरी 13, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने 18 जनवरी तक विधानसभा सत्र पर रोक लगा दी।

जनवरी 14, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को संवैधानिक बेंच के हवाले कर दिया।

जनवरी 24, 2016 केंद्रीय कैबिनेट ने अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी।