नई दिल्ली: द्विपक्षीय संबंधों को नयी उंचाइयों पर ले जाते हुए भारत और जापान ने रक्षा और परमाणु उर्जा जैसे प्रमुख क्षेत्रों तथा 98,000 करोड़ रूपए की लागत से मुंबई-अहमदाबाद के बीच पहला बुलेट ट्रेन नेटवर्क निर्माण सहित कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए। रणनीतिक समझौतों पर हस्ताक्षर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिन्जो आबे के बीच शिखर वार्ता के बाद हुए। इस शिखर वार्ता में दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विस्तार सहित परस्पर रूप से महत्वपूर्ण कई अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समझौते को आर्थिक बदलाव का एक इंजन बताते हुए कहा कि बुलेट ट्रेन में बेहद आसान शर्तों पर रफ्तार और सुरक्षा का समन्वय है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया, ‘आर्थिक बदलाव का एक इंजनः जापान के शिंकनसेन के जरिए मुंबई-अहमदाबाद खंड पर तीव्र गति की रेल।’ इस परियोजना के लिए भारतीय रेल और जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी ने इस वर्ष जुलाई में संयुक्त रूप से एक व्यवहार्यता अध्ययन कराया था।
इस 505 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग की अनुमानित लागत लगभग 98,000 करोड़ रुपये है।
विदेश सचिव एस जयशंकर ने बताया कि इस डील में जापान द्वारा दिए जाने वाले हिस्से में बेहद ही कम ब्याज दर पर लोन शामिल हैं। जिसकी दर 0.1 फीसदी होगी। जापान भारत को बुलेट ट्रेन नेटवर्क (अहमदाबाद-मुंबई) पर कुल खर्चे की 80 फीसदी राशि देगा। ये राशि भारत जापान को ब्याज के साथ अगले 50 साल में वापस करेगा। विदेश सचिव एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड वाली रेल परियोजना सात सालों में पूरी हो जाएगी।
भारत ने शनिवार को जापान के साथ असैन्य परमाणु ऊर्जा पर एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षार किया और घोषणा की कि यह समझौता न सिर्फ व्यावसायिक और स्वच्छ ऊर्जा के बारे में है, बल्कि एक सुरक्षित दुनिया के लिए आपसी विश्वास और साझेदारी का एक संकेत भी है। इस सहमति पत्र पर हस्ताक्षर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने यहां किया।
इसके साथ ही जापानी मदद से वाराणसी में एक कन्वेंशन सेंटर भी स्थापित किया जाएगा। पीएम मोदी ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी साझा की।मोदी ने समझौते पर हस्ताक्षर के बाद कहा, ‘भारत के आर्थिक सपने को साकार करने में जापान से ज्यादा कोई मित्र मायने नहीं रखता। हमने आर्थिक सहयोग में और अपनी क्षेत्रीय साझेदारी व सुरक्षा सहयोग में अपार प्रगति की है।’
मोदी ने कहा कि भारत और जापान के बीच रणनीतिक साझेदारी का गहरा महत्व है। उन्होंने कहा, ‘शिंजो हमारे आर्थिक प्रस्तावों पर तत्पर और सकारात्मक रहे हैं, जिनमें से कई इस समय भारत के लिए अनोखे हैं। जापान का निजी निवेश भी तेजी से बढ़ रहा है।’दोनों देशों ने रक्षा संबंधों को गहरा बनाने और रक्षा विनिर्माण के लिए सुरक्षा संचालन पर भी दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए। आबे ने कहा, ‘हम रिश्ते को एक नई ऊंचाई पर ले गए हैं।’