राजेपुर में जनता के चुने हुए प्रतिनिधि की सदस्यता की फिर चढ़ी बलि

EDITORIALS FARRUKHABAD NEWS

Editorफर्रुखाबाद: इतिहास फिर अपने आपको दोहराने जा रहा है| जो बसपा सरकार में हुआ वही एक बार से समाजवादी पार्टी की सरकार में भी होने जा रहा है| पांच साल पहले राजेपुर प्रथम वार्ड से जीते हुए जिला पंचायत सदस्य को प्रमाण पत्र मिलने की जगह हारे हुए प्रत्याशी को मिला था| तब मायावती सरकार के किचन कैबिनेट मंत्री वर्तमान में कारावास प्रवास वाले बाबू सिंह कुशवाहा ने फोन पर कलेक्टर को निर्देश दिए गए| कलेक्टर ने सहायक निर्वाचन अधिकारी को और रात में कागजी अदला बदली कर प्रमाण पत्र मंत्री जी के चहेते को मिल गया|

ये मामला राजेपुर के 1 नंबर क्षेत्र का था| इस बार बसपा सरकार नहीं थी| लिहाजा जनता ने रमेश राजपूत को चुन लिया| और राहुल की पैरवी वाले मंत्रीजी खुद जेल में है और उनकी सरकार भी नहीं लिहाजा प्रमाण पत्र जनता के चुने प्रतिनिधि को अब तक मिलने की आशा बनी हुई है| राहुल चुनाव हार भी चुके है| मगर राजेपुर ब्लाक में लगा चुनाव दोष हटा नहीं और इस बार ये दंश वार्ड नंबर 4 में लगने जा रहा है| 4 नंबर में जनता के चुने हुए प्रतिनिधि की जगह ऐसे को प्रमाण पत्र मिलेगा जिसे प्रशासन चाहेगा| अब शासन और प्रशासन कागजी हिसाब किताब से चलता है लिहाजा कागज तो मजबूत हो ही जायेंगे| बूथ कैप्चरिंग और हेराफेरी करके बने जनप्रतिनिधि प्रशासन पर धमक तो जमा सकते है मगर गंभीर और चिंतक समाज में ऐसे लोगो के लिए कोई जगह नहीं होती|

जनता उम्मीद करती है कि उसका चुना हुआ प्रतिनिधि सदन में जाए-
स्वस्थ लोकतंत्र में जनता उम्मीद करती है कि उसका बहुमत से चुना हुआ प्रतिनिधि उसका प्रतिनिधित्व करे| अल्पमतो के प्रतिनिधि को सदन में भेजना भी लोकतान्त्रिक व्यवस्था को धोखा देना है| आज नहीं तो कल हमारी आने वाली पीढ़िया इसका दंश झेलेंगी| तब शायद बुरा लगे| पूरे चुनाव में जनता को पत्रकारों पर अथाह भरोसा दिखा| मगर शायद हम जनता के भरोसे को उतनी कामयाबी नहीं दे पाये जितनी जनता अपेक्षा करती है| निगाह रखी गयी| रात रात भर मीडिया कर्मी काम में जुटे रहे मगर समाज के प्रति गैर जिम्मेदार कार्यपालिका के काले कारनामो पर रोक लगाना संभव नहीं हो पाया| जनता चुनाव की गड़बड़ी की सूचना पुलिस और प्रशासन को देने से पहले मीडिया को देने लगी है| शायद कार्यपालिका ने भरोसा खो दिया है| शायद कार्यपालिका की भी मजबूरी रही होगी| मगर वर्तमान समय में मलाईदार कुर्सी से चिपकने या चिपकने की चाहत रखने के सिवाय कोई मजबूरी दिखती नहीं है| अगर है तो प्रशासन को खुल कर मीडिया से ऑफ रिकॉर्ड शेयर करना चाहिए| कम से कम जनता के लिए| जिसके टैक्स से तुम्हारा चूल्हा जलता है, बच्चे कान्वेंट में पढ़ते है और आरामदायक दफ्तर और गाडी मिलती है| उसी के साथ दगा करना ऐसा गुनाह है जिसकी सजा ऊपर वाले की अदालत में जरूर मिलेगी|

हारे हुए को प्रमाण पत्र देने का पुराण इतिहास है फर्रुखाबाद में-
फर्रुखाबाद की जनता कभी ये हजम नहीं कर पायेगी कि 4 नंबर का प्रतिनिधि जनता का चुना हुआ है| कई सालो से राजनैतिक रूप से शांत और सौहार्दपूर्ण तीज त्यौहार और चुनाव मनाने वाले फर्रुखाबाद जनपद में अगर राजनैतिक और सामाजिक गुंडई बढ़ी तो इसके लिए वर्तमान के प्रशासनिक अफसरों हमेशा याद किये जायेंगे और फर्रुखाबाद की जनता उन्हें कभी माफ़ नहीं कर पायेगी| इतिहास कभी बदलता नहीं है| वर्तमान में देश के मुख्य चुनाव आयुक्त जो कभी फर्रुखाबाद जनपद में डीएम बने थे और उन्ही के कार्यकाल में जब प्रमाण पत्र छोटे सिंह यादव को मिलना था और मिल किसी और को गया था| तब तो लाठी भी बजी थी छोटे सिंह के ऊपर| गनीमत है कि संतोष कुमार यादव अब तक इस प्रसाद से दो चार नहीं हुए है|