लखनऊ: उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने अपने आठ मंत्रियों को हटा दिया है। जबकि नौ मंत्रियों से उनका विभाग छीन लिया गया है। हटाए गए मंत्रियों में भगवत शरण गंगवार, शिवकुमार बेरिया, शिवाकांत ओझा, योगेश प्रताप सिंह, आलोक कुमार शाक्य, अरिदमन सिंह, अम्बिका चौधरी और नारद राय शामिल हैं।
जबकि विभाग छीनने वाले मंत्रियों में अहमद हसन से स्वास्थ्य विभाग छिना, अवधेश प्रसाद से समाज कल्याण हटा राजा भइया से खाद्य एवं रसद विभाग, इकबाल महमूद से मत्स्य एवं सार्वजनिक उद्यम,दुर्गा प्रसाद यादव से ट्रांसपोर्ट विभाग,महबूब अली से माध्यमिक शिक्षा,ब्रह्माशंकर त्रिपाठी से होमगाडर्डस, पारसनाथ यादव से उद्यान विभाग ,रामगोविंद चौधरी से बेसिक शिक्षा छिना
मंत्रिमंडल में बदलाव का संकेत देने के दूसरे दिन ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कल राज्यपाल राम नाईक से मिले थे। अब उन्होंने अपने मंत्रियों को हटा दिया है। बताया जा रहा है कि 31 अक्टूबर को राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा। आठ से दस नये चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं|
इसी के साथ ही मंत्रिमंडल में छठवीं बार फेरबदल के जरिये अखिलेश अपनी साढ़े तीन साल पुरानी सरकार की छवि साफ-सुथरी करने के साथ ही युवा चेहरों को तरजीह देकर भविष्य का ताना-बाना तैयार कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने राज्यपालसे मंत्रिमंडल में फेरबदल के लिए समय और तारीख पर चर्चा की। राजभवन के प्रवक्ता ने दोनों की मुलाकात में मंत्रिमंडल में फेरबदल पर चर्चा किए जाने की पुष्टि की। शपथ ग्र्रहण समारोह की तारीख के बारे में अधिकृत तौर पर तो कोई जानकारी नहीं दी गई लेकिन सूत्रों का कहना है कि 31 अक्टूबर को सुबह 10.30 बजे राजभवन में समारोह आयोजित किया जाएगा।
नियमों के मुताबिक प्रदेश सरकार में 59 मंत्री बनाये जा सकते हैं। इस समय 26 कैबिनेट, 24 राज्य और स्वतंत्र प्रभार के चार मंत्रियों समेत 54 मंत्री हैं। यानी पांच स्थान पहले ही रिक्त हैं। सूत्रों के मुताबिक पांच से छह मंत्रियों की छुट्टी होनी तय है और कई प्रभावशाली मंत्रियों के विभागों में बदलाव की भी संभावना है। पूर्वांचल के एक वरिष्ठ मंत्री को मंत्रिमंडल से मुक्त कर उनके विधायक बेटे के मंत्री बनाए जाने के संकेत मिल रहे हैं। अति पिछड़े वर्ग के नुमाइंदगी बढ़ाए जाने के संभावना है जबकि इस वर्ग से ताल्लुक रखने वाले एक चर्चित मंत्री का विभाग बदला जा सकता है।
संतुलन बनाने की कोशिश भी होगी
त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की सरगर्मियों के बीच मंत्रिमंडल फेरबदल को मिशन-2017 से जोड़कर देखा जा रहा है। जाहिर है इसमें क्षेत्रीय एवं जातीय संतुलन बनाने के अलावा सरकार की छवि सुधारने पर भी जोर होगा।
पश्चिमी उप्र के दो मंत्रियों का निधन होने के कारण रिक्त स्थानों पर स्थानीय विधायकों को प्रतिनिधित्व देने की चर्चा है। यूं भी पश्चिम में बसपा के दलित-मुस्लिम गठजोड़ की प्रयासों की समाजवादी पार्टी को अभी से काट तलाशनी होगी। सूत्रों के मुताबिक मुस्लिमों में बसपा मोह पनपने से रोकने के लिए नए मुस्लिम चेहरे को तरजीह मिल सकती है। बागपत जिले से गुलाम मोहम्मद का नाम चर्चा में है। इसके पीछे अजित सिंह के गढ़ में रालोद के प्रति मुस्लिम रूझान को रोकने का दांव समझा जा रहा है। बिसाहड़ा कांड के बाद एमएलसी आशू मलिक ने जिस तरह से मध्यस्थ की अहम भूमिका निभायी उससे उन्हें भी मंत्रिमंडल में स्थान मिल जाने के कयास लग रहे हैं। वैश्य कोटे से मंत्री चितंरजन स्वरूप का निधन होने के बाद मधु गुप्ता, डा. सरोजिनी अग्रवाल व रुचिवीरा के नाम चर्चा में हैं। राजेंद्र राणा के रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए लगातार दो बाद से विधायक मदन चौहान को मौका मिल सकता है। उन्हें पार्टी में दाखिल होने के लिए दस्तक दे रहे एक वरिष्ठ नेता का भी करीबी माना जाता है।
वहीं पूर्वांचल से भी सपा नेतृत्व बड़ी आस लगाए है। शाकिर अली, शैलेंद्र यादव ललई और शादाब फातिमा जैसे नाम भी लिये जा रहे हैं। गौरतलब है कि तीन दिन पहले ही लखनऊ में मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में समाजवादी परिवार की एक बैठक हुई थी। माना जा रहा है कि इस बैठक में मंत्रिमंडल में फेरबदल का ब्लू प्रिंट तय हो गया था।