यूपी की बदहाल शिक्षा व्यवस्था को चुनौती देने वाला शिक्षक शिवकुमार बर्खास्त

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SHIV KUMAR“जबरा मारे रोबन न देय” यूपी में ऐसी ही सरकार अब राज्य करती है| क्या माया क्या मुलायम और क्या अखिलेश सरकार, तीनो में ही प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था बद से बदतर होती चली गयी| और जब सुल्तानपुर के एक परिषदीय शिक्षक शिवकुमार ने अदालत में बदहाल शिक्षा व्यवस्था में दखल देने को गुहार लगाई तो युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार ने अदालत के निर्देशो का पालन कर शिक्षा सुधारने की जगह शिकायतकर्ता शिक्षक शिवकुमार को ही बर्खास्त कर दिया| न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी|

बूथ कैप्चरिंग, धमकाने से लेकर खरीद फरोख्त कर लोकतंत्र की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठने की चाहत ने मानवीय मूल्यों को तार तार कर दिया है| प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था सुधारने के अदालती आदेशो के पालन करने से आम जनता का ही भला होता| जिन पिछड़े, दबे, कुचले लोगो की बात मंच से कर करके नेता सत्ता की कुर्सी पर बैठते है उन्ही दबे कुचले पिछडो के बच्चे सरकारी स्कूलों में सबसे ज्यादा पढ़ते है| लगता है सरकार की मंशा दबे, कुचले पिछडो के बच्चो को पढ़ा लिखा कर कर उन्हें मुख्या धारा में शामिल नहीं करना चाहती है वर्ना शिक्षा व्यवस्था में सुधार की मांग करने वाला शिक्षक वर्खास्त होने की जगह सम्मानित किया जाता| मगर यहाँ तो सम्मानित वो शिक्षक होते है जो बच्चो को स्कूल में पढ़ाने की जगह बाकी सारे काम समय से करते है| हाई कोर्ट ने क्या बुरा कह दिया कि अगर सरकारी अफसरों और जनप्रतिनिधिओ के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़े ताकि उन्हें चिंता हो सके कि सरकारी प्राथमिक स्कूल में पढ़ाई अच्छी हो|

शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आवाज उठाने वाले शिक्षक शिव कुमार की बर्खास्तगी एक तानाशाही से भरा कदम है या नहीं? प्रतिक्रिया में लिखे|

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