पैसे की खातिर द्रौपदियां लगेंगी दाव पर

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12 दिसम्बर 2010 को उत्तर प्रदेश में 5000 साल पुराना महाभारत काल दोहराया जायेगा| जिला पंचायत के सिंहासन के लिए सैकड़ो युधिष्ठर पैसो की खातिर जिला पंचायत में चुनी गयी आधी आबादी का वोट बिना उनके मन को टटोले वोट बेच रहा होगा| इस शर्मनाक वाकये में लोकतंत्र के चारो खम्भे अलग अलग भूमिका में नजर आयेंगे| राजनीती के शिखंडी, कानून के रखवाले और मीडिया तीनो बिना आँख पर पट्टी बांधे अन्धो की तरह लोकतंत्र का चीरहरण होते देखेंगे और ताली पीटेंगे और कानून शिकायत के इन्तजार में खामोश रह कर आँखों पर पट्टी बांध असह्याय नजर आएगा|

क्या ये शर्म की बात नहीं होगी क्यूंकि उस इतिहास को फिर दोहराया जायेगा जो आज से लगभग 5 हजार साल पहले महाभारत काल में हुआ था| तब भरी सभा में द्रोपदी से बिना पूछे युधिष्ठर ने उसे दाव पर लगाया था और आख पर पट्टी बांधे गांधारी और पुत्र मोह में अंधे धतराष्ट्र की मौजूदगी में आधी आबादी का चीर हरण हुआ था| अब 5000 साल बाद फिर वही होगा जिला पंचायत में चुन कर आई ५० प्रतिशत महिलाओं का वोट बिना उनसे पूछे उनका युधिष्ठर बेच रहा होगा और कानून व् प्रशासन बिना आँख पर पट्टी बांधे अन्धो की तरह लोकतंत्र का चीरहरण देखेगा|
क्या फायदा है सरकारों के नए कानून बना कर महिलाओं को ५० फ़ीसदी आरक्षण देने का| जब वही सरकारे उनके अधिकारों को सुरक्षित करने की वजाय केवल राजनीती की चौपड़ पर जीत के लिए पंचायत के सदस्यों को येन केन प्रकरण अपने वश में कर जीत का शंख सुनना चाहती हो और वो भी तब जब उत्तर प्रदेश ही नहीं हिंदुस्तान की राजनीती में नया अध्याय रचने वाली मायावती खुद आधी आबादी से आती हो और उनके सत्ता काल में ये सब हो|
क्या हिंदुस्तान में हर चुनाव सीधे जनता द्वारा नहीं होने चाहिए ताकि इस प्रकार की मंडी न लग सके| अपनी राय जरूर लिखे और जेएनआई के साथ एक अभियान चलायें|