तो क्या एसडीएम को नुकसान पहुचाने में तहसीलदार की भी सहमति थी?

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Green Treesफर्रुखाबाद: जिन आरोपो के तहत सदर तहसील के लेखपाल प्रवेश सिंह की नौकरी दाव पर लग गयी है, जिसके चलते एक बड़ा बबंडर प्रशासन से होते हुए मीडिया के माध्यम से जनता के बीच पंहुचा है उसमे कई और भी ऐसे है जिनके हाथ काले लगते है| लेखपाल पर आरोप है कि उसने दो अलग अलग लोगो को सम्भावित अनुचित लाभ लेकर अनैतिक लाभ पहुचाने के मकसद से कृषि भूमि को आवासीय भूमि में परिवर्तित करने की रिपोर्ट लगा दी और एस डी एम के पास आर्डर के लिए भेज दी| लकुला में पत्ते के नाम पर गरीबो से लाखो रुपये लेकर उन्हें चलता कर दिया| भौतिक जाँच हुई तो मामला गड़बड़ निकला, जमीन पर पेड़ खड़े थे| जाँच में मामला पकड़ गया और लेखपाल पर उपरोक्त दो आरोपो के साथ 3 अन्य आरोपो के तहत जबाब देने को कहा गया| मगर इस मामले में तहसीलदार सदर की लेखपाल की आख्या पर लगी तहसीलदार की संस्तुति रिपोर्ट कि उक्त जमीन पर “बागबानी, कृषि कार्य या मुर्गी पालन नहीं होता है” उन्हें भी संदेह के घेरे में खड़ा करती है| तो क्या तहसीलदार सदर भी अपने एसडीएम साहब की कलम फ़साना चाहते थे?
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लेखपाल प्रवेश सिंह तोमर पर जो आरोप लगाये गए गए उनमे से दो आरोप कृषि भूमि को आवासीय भूमि में परिवर्तित करने का मामला है| सामान्य जनता एवं पाठक के लिए ये जान लेना जरुरी है कि राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कृषि भूमि पर कोई आवासीय/व्यवसायिक भवन नहीं बन सकता| इसके लिए पहले इसका भू प्रयोग परिवर्तित करना होता है| जिसे करने की पॉवर एसडीएम को होती है| इसे धारा राजस्व की 143 कहते है| इसके लिए जरुरी है कि राजस्व रिकॉर्ड पर दर्ज कृषि भूमि पर कोई खेती न होती हो| कोई बागवानी या बाग़ न हो या कोई मुर्गी पालन न हो रहा हो| अब दो मामले अलग अलग थे, जिसमे मामला फसा| आरोप है कि अपनी पपियापुर में तैनाती के दौरान लेखपाल प्रवेश सिंह तोमर ने विजाधरपुर के विनोद कुमार पुत्र रामनाथ दयानंद सदानंद एवं महेशचंद्र पुत्र रामलड़ैते की कृषि भूमि को आवासीय में परिवर्तित करने के लिए रिपोर्ट लगा दी कि इन लोगो द्वारा आवेदित जमीनो पर कोई कृषि कार्य, बागबानी या मुर्गी पालन नहीं होता है| जबकि जाँच में बाग़ पाया गया| अब इस लेखपाल की फर्जी रिपोर्ट पर तहसीलदार सदर ने भी संस्तुति की और फ़ाइल एसडीएम के पास आदेश होने के लिए चली जहाँ ये लटक गयी| और एक मामला फर्जी लैटर बम तक पहुच गया|

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७- आम आदमी पार्टी ने खोला DSO और भ्रष्ट लेखपालो के खिलाफ मोर्चा, डीएम को सौपे घूसखोरी के सबूत
८- घूस का आरोपी लेखपाल सपाइयों की शरण में
९- आय प्रमाणपत्र के लिये लेखपाल की घूंस जुटाने को विधवा की बेटी ने कुंडल गिरवीं रखे
१०- लेखपाल चंद रुपयों के लिए तहसीलदार तक को फंसाने से नहीं चूक रहे

आमतौर पर राजस्व विभाग में ये काम बिना रिश्वत के नहीं होता है ये आम धारणा ही नहीं कडुआ सच भी है| भले ही रिश्वतखोर कितना ही बड़ा अफसर हो समाज में अपनी प्रतिष्ठा खो रहा है| लोग सम्मान की दृष्टि से ऐसे लोगो को नहीं देखते है| प्राय: देखा गया है कि बिना रिश्वत लिए लेखपाल कलम तो क्या हाथ भी नहीं चलाता| तो क्या इस मामले में भी ऐसा ही हुआ? जाँच की आवश्यकता है या नहीं ये अधिकारी के विवेक और सुविधा पर निर्भर करता है| कहीं ऐसा तो नहीं कि फर्जीवाड़े में लेखपाल की रिपोर्ट और उस पर तहसीलदार की संस्तुति SDM सदर राकेश पटेल को विभागीय नियमो में पहली बार फ़साने की साजिश की प्लानिंग थी और जब इसमें नाकामयाब हो गए तो एस डी एम साहब पर एक बलात्कार का आरोप (अभी तक काल्पनिक) लगवा दिया जैसा कि एस डी एम् राकेश पटेल ने बताया है ?

इस मामले में तहसीलदार सदर की सफाई और लेखपाल प्रवेश सिंह तोमर पर लगे 5 आरोप में से 3 पर अन्य आरोपो का पोस्टमार्टम क्रमश अगले अंक में जारी—