जन सुविधा केंद्रों पर आवेदन के साथ शपथ पत्र की अनिवार्यता समाप्त

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लखनऊ : मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने जन सुविधा केंद्रों पर ई-गवर्नेन्स के माध्यम से उपलब्ध करायी जा रहीं राजस्व विभाग की सेवाओं में आवेदन के साथ संलग्नक के रूप में शपथ पत्र की अनिवार्यता समाप्त करने का निर्देश दिया है। उन्होंने 30 सितंबर तक खतौनियों का डिजिटाइजेशन कराकर उसकी डिजिटली हस्ताक्षरित प्रति लोगों को उपलब्ध कराने के लिए भी कहा है।
Javed Usmaniवह सोमवार को नेशनल ई-गवर्नेन्स योजना के तहत जन सुविधा केंद्रों के जरिये उपलब्ध करायी जा रहीं आठ विभागों की 26 सेवाओं की समीक्षा कर रहे थे। राजस्व विभाग की सेवाओं के आवेदन में शपथपत्र की अनिवार्यता को समाप्त करने के लिए उन्होने राजस्व विभाग और नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर को 15 दिनों में प्रकरण का निस्तारण करने के लिए कहा। यह भी निर्देश दिया कि प्रदेश के छह जिलों में लागू ई-डिस्ट्रिक्ट परियोजना को बाकी 69 जिलों में लागू करने के लिए संस्थाओं का चयन जल्दी कर लिया जाए। इस परियोजना के तहत नौ विभागों की 26 सेवाएं इलेक्ट्रानिक डिलिवरी सिस्टम के माध्यम से जन सुविधा केंद्रों/ लोकवाणी केन्द्रों पर उपलब्ध कराई जाएंगी।
प्रमुख सचिव आइटी और इलेक्ट्रॉनिक्स ने बताया कि इस संबंध में संस्थाओं से निविदाएं प्राप्त की गई हैं जिनके आधार पर शेष 69 जिलों की तहसीलों व ब्लाकों में लैब के लिए स्थान/कक्ष अधिग्रहण कर हार्डवेयर की व्यवस्था और अन्य जरूरी कार्य कराये जाएंगे। 69 जिलों में ई-गवर्नेन्स के कायरें की निगरानी और क्रियान्वयन के लिए डिस्ट्रिक्ट ई-गवर्नेन्स सोसाइटी का गठन कर लिया गया है। बहराइच और हाथरस में ई-डिस्ट्रिक्ट मैनेजर के चयन की कार्यवाही पूरी कर ली गई है। मुख्य सचिव ने वेबसाइटों के नवीनीकरण के लिए उन्होंने अगले तीन माह में कंसल्टेंट का चयन कर कार्यदायी संस्थाओं को सूचीबद्ध करने की कार्यवाही पूर्ण करने को कहा। इस संबंध में विभागों की एक बैठक बुलाने का भी निर्देश दिया। प्रमुख सचिव आइटी ने बताया वेबसाइटों के नवीनीकरण के बारे में नोडल एजेंसी यूपीडेस्को आवश्यक कार्यवाही कर रहा है।
मुख्य सचिव ने पंचायतीराज विभाग को भी निर्देश दिये कि आम नागरिकों की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए परिवार रजिस्टर को भी डिजिटाइजेशन कराने की कार्ययोजना जल्दी प्रस्तुत की जाए। उन्होंने कहा कि डिजिटाइजेशन के विभिन्न कार्य कराने के लिए हर जिले में प्रावधानित 50 लाख रुपये में से संबंधित विभागों को उनकी जरूरत के हिसाब से धनराशि उपलब्ध करायी जाए।