डीएम व कमिश्नर की लुटिया डुबोने वाले बीएसए और डीएसओ दोनों बचे

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फर्रुखाबाद: मुख्यवमंत्री का कार्यक्रम सफल बनाने के लिये डीएम और कमिश्नपर के रात दिन जागकर कड़ी मेहनत करने के बावजूद बीएसए और डीएसओ की लापरवाही ने बचारे दोनों वरिष्‍ठ अधिकारियों की लुटिया डुबो दी, और बलि का बकरा बने बेचारे डीआईओएस।
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विदित है कि विगत लगभग एक सप्ताए से जिलाधिकारी पवन कुमार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का लैपटॉप वितरण कार्यक्रम सफल बनाने के लिये रातदिन एक किये हुए थे। हर तैयारी पर खुद नजर रखने के लिये आयुक्ता कानपुर मंडल शालिनी प्रसाद भी ने अंतिम समय में यहीं डेरा डाल दिया था। परंतु कुछ अधीनस्थ अधिकारियों और विशेषकर बीएसए और डीएसओ की लापरवाही की वजह से दोनों की नौकरी पर दाग लग गया। यद्यपि प्रशासनिक व्ययवस्था में ट्रांसफर या चेतावनी को कोई दंड नहीं माना जाता है, परंतु फिर भी किसी आईएएस के लिये व्यरवस्था में अक्षमता का आरोप डूब मरने जैसा होता है।

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मुख्यमंत्री की नाराजगी का प्रमुख कारण लैपटॉप वितरण के समय संबंधित छात्र के लिये आरक्षित नंबर का लैपटॉप समय से न मिल पाना रहा। इस व्य्वस्था में शत प्रतिशत बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षक लगे थे। उन्ही के जिम्मे विरतण को आये लैपटॉप को रखना था। परंतु बेसिक शिक्षा अधिकारी ने न तो इन शिक्षकों के साथ एक भी बार कोई बैठक कर व्यवस्था की कोई गाइडलाइन दी और न ही मुख्यमंत्री द्वारा वितरण के समय मौके पर मौजूद रहे। वितरण के दौरान कुछ छात्रों द्वारा शिकायती पर्चियां भी मुख्‍यमंत्री को दी गयीं थीं। छात्रों को बंटने वाले नाश्ते और खाने की भी शिकायत कुछ छात्रों ने अखिलेश यादव को दी थीं। मुख्यमंत्री इन पर्चियों और कागजों को अपने सचिव को देने के बजाये अपनी जेब में रखते रहे। इधर टीवी चैनलों व इंटरनेट पोर्टलों पर भी मुख्यमंत्री की सभा में आने वाले छात्रों द्वारा खराब भोजन को फेंके जाने व भूखे प्यासे ही घर लौट जाने के समाचार प्रसारित होना शुरू हो गये। परंतु इन अधीनस्थ अधिकारियों की लापरवाही के चलते लुटिया डूबी तो बेचारी कमिश्नर व डीएम की, बलि का बकरा बने डीआईओएस व माध्यमिक शिक्षा सचिव।

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