परिचर्चा : सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में भारतीय भाषा में न्याय पाने का हक

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Shyam-Rudra-Pathak-JNIसंविधान में यह प्रावधान है कि उच्चतम न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय में सभी कार्यवाहियां केवल अंग्रेजी भाषा में होंगी। इस अन्याय को खतम करने के लिए श्री श्याम रुद्र पाठक अपने दो सहकारी कार्यकर्ताओं के साथ गत 4 दिसम्बर 2012 से कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी के निवास एवं कार्यालय के बाहर दिन-रात सत्याग्रह कर रहे हैं। यद्यपि अधिकतर समय पुलिस उन्हें तुगलक रोड थाने में बंद रखती है। सत्याग्रहियों की मांग है कि सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में किसी एक भारतीय भाषा में न्याय पाने का हक दो!
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श्री श्याम रुद्र पाठक आईआईटी ग्रेजुएट हैं। आईआईटी में अध्ययन के दौरान वे आखिरी साल का प्रोजेक्ट हिंदी में लिखने पर अड़ गए। संस्थान ने डिग्री देने से मना कर दिया। मामला संसद में गूंजा। तब जाकर उन्हें डिग्री मिली। 1985 में उन्होंने भारतीय भाषाओं में आईआईटी की प्रवेश परीक्षा कराने की माँग को लेकर आन्दोलन शुरू किया। तमाम धरने-प्रदर्शन के बाद 1990 में ये फैसला हो पाया। अब वे सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में किसी एक भारतीय भाषा में न्याय पाने के लिए सत्याग्रह कर रहे हैं।
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श्री श्याम रुद्र पाठक क्यों धरना पर बैठे हैं, उनके विचार जानिए और फिर तय कीजिए किस ओर हैं आप? (सं.)

क्या भारत का सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय अंग्रेजी समझ सकने वाले केवल तीन प्रतिशत भारतीयों के लिए है? क्या 97 प्रतिशत भारतीयों के लिए अलग से कोई उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय है? हमारे संविधान के अनुच्छेद 348 (1)(क) के तहत उच्चतम न्यायालय और प्रत्येक उच्च न्यायालय में सभी कार्यवाहियां केवल अंग्रेजी भाषा में होंगी। जबकि सभी जनगणनाओं के अनुसार अंग्रेजी समझ सकने वाले लोगों की कुल संख्या भारत में तीन प्रतिशत से भी कम है। तो क्या यह देश के 97 प्रतिशत भारतीयों के साथ अन्याय नहीं है?

हम चाहते हैं कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में अंग्रेजी थोपी न जाए और इसके लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 348 में संशोधन हो। संसद में अंग्रेजी के अलावा संविधान की अष्टम अनुसूची में उल्लिखित सभी बाईस भारतीय भाषाओं में सांसदों को बोलने का अधिकार है। श्रोताओं को हिंदी व अंग्रेजी में तत्क्षण अनुवाद उपलब्ध कराया जाता है। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों मंे भी इसी संसदीय व्यवस्था का अनुगमन होना चाहिए, परन्तु कम से कम सर्वोच्च न्यायालय में हिंदी और प्रत्येक उच्च न्यायालय में उस राज्य की राजभाषा (क्षेत्रीय भाषा) का प्रयोग अंग्रेजी के अलावा अनुमत हो।

इसके लिए हम 4 दिसम्बर 2012 से कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी के निवास एवं कार्यालय के बाहर दिन-रात सत्याग्रह कर रहे हैं। यद्यपि अधिकतर समय पुलिस हमें तुगलक रोड थाने में बंद रखती है। इससे हमारे मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है।

क्या आप भी इस अन्याय को हटाने में अपना योगदान देंगे?

-श्याम रुद्र पाठक (मोबाइल: 9818216384)

संयोजक, न्याय एवं विकास अभियान