होमगार्ड के डीजी के निलंबन की संस्तुति पर बबाल

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suspendलखनऊ : होमगार्ड्स मंत्री ब्रह्माशंकर त्रिपाठी द्वारा उच्च न्यायालय से अवमानना की नोटिस मिलने के बाद विभाग के तत्कालीन डीजी समेत सात लोगों के निलंबन की संस्तुति पर उत्तर प्रदेश होमगार्ड्स आफिसर्स एसोसिएशन ने सवाल खडे़ कर दिए हैं। एसोसिएशन का कहना है कि बिना प्रारंभिक जांच समिति बिठाये मंत्री ने कैसे राजपत्रित अधिकारियों का दोष निर्धारण कर दिया। किसी भी अधिकारी का पक्ष भी नहीं सुना गया।
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सिपाहियों के समान होमगार्ड्स को वेतन और भत्ता दिए जाने की मांग सम्बंधी याचिका पर विभाग द्वारा जवाब न दिये जाने पर उच्च न्यायालय ने अवमानना नोटिस भेजी थी। इसी के बाद मंत्री ने निलंबन का निर्णय लेते हुए मुख्यमंत्री को अनुमोदन के लिए पत्र भेजा। यद्यपि तत्कालीन डीजी अतुल अब पीएसी के सेनानायक हैं, लेकिन बाकी लोगों ने एसोसिएशन की अगुवाई में मामला गर्मा दिया है। एसोसिएशन ने बैठक बुलाई और कहा कि इस प्रकरण में वरिष्ठ स्टाफ अधिकारी किसी भी जांच में दोषी नहीं पाये गये हैं और न ही इस प्रकरण में कोई प्रारंभिक जांच कराई गयी है। अवमानना वाद प्रकरण में यदि कहीं कोई चूक या गलती है तो उक्त दायित्व का निर्धारण किये जाने के लिए मंत्री किसी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा प्रारंभिक जांच कराते और तदनुसार प्राप्त जांच आख्या के आधार पर निर्णय करते। बिना दायित्व का निर्धारण किये और सम्बंधित अधिकारियों का पक्ष सुने बिना होमगार्ड्स राजपत्रित सेवा संवर्ग के समूह क के दो डिप्टी कमांडेंट जनरल, एक वरिष्ठ स्टाफ अधिकारी तथा अधीनस्थ सेवा के एक प्रशासनिक अधिकारी एवं कनिष्ठ सहायक को निलंबित किये जाने का निर्णय लेते हुए पत्रावली मुख्यमंत्री के अनुमोदन के लिए भेजी गयी। इससे राजपत्रित सेवा संवर्ग के अधिकारी मर्माहत हैं। एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से प्रकरण की समुचित जांच एवं दोष निर्धारण किये बिना निलंबन आदेश पारित न किये जाने की मांग की है।
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परीक्षण कराने के बाद किया फैसला : मंत्री

होमगार्ड्स मंत्री ब्रह्माशंकर त्रिपाठी का कहना है कि उन्होंने परीक्षण कराने के बाद ही निलंबन का फैसला किया। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने अफसरों की कार्यशैली पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की अपेक्षा है कि कार्य संस्कृति में बदलाव आये, लेकिन बसपा सरकार के हितों का पोषण करने वाले इन अफसरों की कार्यशैली में कोई सुधार नहीं आया है।