DSO ने निरस्त कर दिए 7000 राशन कार्ड के आवेदन, क्या करेगा भोजन के अधिकार का कानून?

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फर्रुखाबाद: केंद्र सरकार ने भोजन के अधिकार का बिल कैबिनेट में पास कर दिया| ये बिल आम जनता को भोजन का अधिकार दिलाएगा| इसके मुताबिक अगर कोई भी भारतीय भूखा रहता है तो उसकी जिम्मेदार सरकार की होगी| मगर सबसे बड़ा सवाल ये है इस कानून को लागू करने वाले क्या इसे ईमानदारी से लागू करवा पाएंगे| क्यूंकि जिला स्तर पर जिन अधिकारिओ की जिम्मेदारी हर जरूरतमंद को राशन कार्ड बनाने की है वे तो आम जनता के राशन कार्ड तक नहीं बनाते| अकेले फर्रुखाबाद जनपद में पिछले 4 माह में राशन कार्ड बनाने के लिए आये लगभग 8000 आवेदनों में से 90 फ़ीसदी आवेदन DSO गुलाब चंद ने निरस्त कर दिए है|
घूस के लालच में निरस्त किये गए आवेदन:-
घूस और रिश्वतखोरी के लालच में अधिकांश राशन कार्ड निरस्त किये गए है| ये आरोप वो जनता लगा रही है जिनके आवेदन निरस्त किये गए| जब आवेदक अकारण आवेदन निरस्त होने की शिकायत लेकर जिला पूर्ति अधिकारी गए तो उन्हें वहां मजूद बाबू और महिला क्लर्क ने ये कहकर वापस कर दिया कि लोकवाणी केन्द्रों के माध्यम से आवेदन क्यूँ किया? सीधे यहाँ आते और राशन कार्ड बनबाते | ऐसे कई लोगो के 200 से 500 रुपये रिश्वत देने के बाद राशन कार्ड भी बनाये गए| ये उन लोगो को भी मिले जिनके आवेदन निरस्त किये गए थे|

कुल 4 से 5 प्रकार के आरोप लगाकर निरस्त किये गए 8000 से ज्यादा आवेदन| एक आवेदक की तो की तो जिन्दा माँ को ही मरा दिखा दिया इस अधिकारी ने-
तीन से चार कारण लगाकर सभी आवेदन निरस्त किये गए है| इनमे से प्रमुख है- “पिता के राशन कार्ड में नाम दर्ज है”| इस टिपण्णी में वे आवेदक भी लपेटे में आ गए जिनके परिवार में कोई राशन कार्ड नहीं था| दूसरा कारण लगाया गया- आवेदन के साथ कोई साक्ष्य नहीं लगाया गया| जबकि लोकवाणी केन्द्रों के माध्यम से आये आवेदनों में सौ फ़ीसदी साक्ष्य लगाया गया था| राशन कार्ड आवेदन निरस्त करने के लिए तीसरा सबसे बड़ा कारण लगाया गया- “आवेदक का फोन स्विच ऑफ था”| जबकि फोन द्वारा जाँच करना नियम विरुद्ध था| जाँच मौके पर जाकर करनी होती है| यानि विभाग ने ऐसे ऐसे कारण आवेदन निरस्त करने के लिए लगाये जो आप सोच भी नहीं सकते| एक आवेदक का आवेदन निरस्त करने के लिए जिला पूर्ति अधिकारी द्वारा लिखा गया कि आवेदक की माता के राशन कार्ड में आवेदक का नाम दर्ज है जिनकी मृत्यु हो चुकी है| मजे की बात ये है उस आवेदक की माता कमालगंज में सरकारी कर्मचारी है और वर्तमान में जिन्दा है| जिसके नाम भी कोई राशन कार्ड नहीं है| आवेदक ने कई बार जिला प्रशासन से शिकायत की मगर सभी ने जाँच उसी अधिकारी के पास भेज दी| अब वही आवेदक अब जिला आपूर्ति अधिकारी को अदालत में घसीटने की तैयारी कर रहा है|

ई गवर्नेंस सेवा को फेल करना चाहता है खाद्य एवं आपूर्ति विभाग-
दरअसल में ये आवेदन भारत सरकार की ई गवर्नेंस योजना के तहत बनाये गए जन सेवा केन्द्रों और लोकवाणी केन्द्रों के माध्यम से भेजे गए थे| राशन कार्डो को लोकवाणी केन्द्रों और जन सेवा केन्द्रों के माध्यम से आवेदित होना खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को रास नहीं आया| अलबत्ता पहले तो कई महीनो तक ये आवेदन कंप्यूटर के बक्से में ही बंद पड़े रहे| जब लोकवाणी केन्द्रों के संचालको और आवेदको ने तहसील दिवस में एक के बाद एक कई शिकायत कर डाली| तत्कालीन जिलाधिकारी ने कार्यवाही की धमकी वाला पत्र लिखा तो आनन फानन ये आवेदन निरस्त किये जाने लगे| दरअसल में ये आवेदन ई गवर्नेंस प्रणाली में आवेदन के बाद पेंडिंग दिखाई पड़ रहे थे| जिन पर लखनऊ स्तर के अधिकारिओ ने जिला स्तर के ई गवर्नेंस के इंचार्ज की फटकार लगायी| जिस पर राशन कार्ड के आवेदनों को निरस्त कर निस्तारित दिखा दिया गया| इस पूरे खेल से जिला स्तर के अधिकारिओ को कई बार अवगत कराया गया मगर नतीजा सिफार ही रहा| तो ऐसे में सवाल उठता है की केन्द सरकार ने भोजन का अधिकार अधिनियम तो बना दिया है मगर जब जनता के पास राशन कार्ड ही नहीं होंगे तो राशन कैसे मिलेगा|

तहसील दिवस में भी फर्जी निस्रारण किया गया-
राशन कार्ड के लिए अकारण निरस्त गए आवेदनों की शिकायत जब तहसील दिवस में जनता ने लगायी तो उसका भी निस्तारण फर्जी तरीके से किया गया| दरअसल में तहसील दिवस में जनता इस उम्मीद में गयी थी कि हाकिम उसकी बात सुनेगा| मगर यहाँ तो वैसा हुआ जैसे जोर को ही ठाणे में रपट लिखने के लिए दे दी हो| शिकायत जिला पूर्ति अधिकारी के खिलाफ जिलाधिकारी को सम्बोधित दी गयी| मगर जाँच तो उसे ही सौप दी गयी| ऐसे में न्याय मिलने की उम्मीद नहीं हो सकती| मजे की बात तो ये है एक आवेदको के निस्तारण में तो जिला पूर्ति अधिकारी ने ये तक लिख दिया कि शासन द्वारा राशन कार्ड बनाये जाने पर रोक लगी है|
Rashan card Tehsil Divas

अब सूचना के अधिकार की बारी-
पिछले एक सप्ताह में ही जिला आपूर्ति अधिकारी के कार्यालय में दो दर्जन आवेदन सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त कराये/पंजीकृत डाक से गए है| इन आवेदनों में आवेदको ने अकारण या गलत आपत्ति लगाकर राशन कार्ड निरस्त करने का कारण पूछा है| मगर लगता नहीं है ये अधिकारी बिना आयोग के चक्कर लगाये कोई सूचना देगा| क्यूंकि कई आवेदन निर्धारित 30 दिन की अवधि पार कर चुके है| दरअसल में सूचना के अधिकार का भी इस विभाग में बंटाधार है| विभाग में सूचना के अधिकार का कोई रजिस्टर तक नहीं है| आवेदको को पहले तो प्राप्ति तक नहीं दी जाती| और अगर कोई भिड गया तो एक मोहर के साथ एक चिरैया (गैर पठनीय हस्ताक्षर) बना आईटीआई श्री समझी जाती है|

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राशन कार्ड बनाये जा रहे है-
जिले में राशन वितरण प्रणाली के प्राण पखेरू हो चले है और साहब का कहना है कि व्यवस्था ठीक चल रही है| जिला पूर्ति अधिकारी गुलाब चंद का कहना है कि राशन कार्ड लगातार बनाये जा रहे है| जिन लोगो ने सही फार्म नहीं भरा या गलत तथ्य दर्शाए उनके रिजेक्ट किये गए होंगे| मगर सवाल; इस बात का है कि 90 फ़ीसदी जनता ने आवेदन गलत कर दिए| अब ये अधिकारी और उनके विभाग के लोग जनता को ये कह कर लौटा रहे है कि अप्रैल से नए राशन कार्ड बनने लगे है| मगर इस बात का कोई जबाब नहीं दे पाते कि क्या वर्तमान में शासन ने राशन कार्ड बनाने पर रोक लगा रखी है| असल में 2005 में बने राशन कार्ड की किताब पूरी तरह भर चुकी है बदला जाना है| जिस गति से काम चल रहा है जून जुलाई से पहले राशन कार्ड की किताबे बदलने का काम शुरू हो पाने की सम्भावना नहीं दिखती|

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