मुन्नी हत्याकाण्ड के आरोपियों ने पुलिस मौजूदगी में फिर की फायरिंग

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फर्रुखाबाद : मुन्नी देवी हत्याकांड के आरोपियों ने रात में फिर पीड़ित परिवार को ललकार कर फायरिंग की। इससे घर की महिलाएं डर गई। मौके पर तैनात पुलिस ग्रामीणों के साथ अभियुक्तों के पीछे गयी, लेकिन वे भाग गये।फरार अभियुक्त दबंगई के चलते पुलिस से गोली चलाने के बाद भी गांव के आसपास डटे रहे।

गूजरपुर में गुरुवार को हुए उपद्रव में मुन्नी देवी की हत्या कर दी गई थी। जबकि तीन लोग घायल हुए थे। मौके पर पहुंची पुलिस को भी भीड़ के आक्रोश का सामना करना पड़ा था। बाद में कटरी में गिरफ्तारी को गई पुलिस टीम पर भी हत्याभियुक्तों ने फायरिंग कर दी थी। जवाबी फायरिंग में पुलिस ने 4 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया था, जबकि मिल्लन व सिल्लन फायरिंग करते हुए भाग गये थे। पुलिस रात भर दोनों फरार भाइयों की गिरफ्तारी का तानाबाना बुनती रही। जबकि अभियुक्त गांव के आसपास ही घूमते रहे।

मुन्नी देवी के भतीजे तालेबर ने बताया कि पुलिस की कागजी कार्रवाई में देरी होने से गुरुवार को चाची के शव का पोस्टमार्टम न हो सका था। परिवार के लोग घायलों की तीमारदारी व शव के साथ थे। घर पर केवल महिलाएं थीं रात करीब 9 बजे फरार मिल्लन व सिल्लन ने घर के पीछे खेतों की तरफ ललकार कर दो फायर किये। अभियुक्तों के इस हमले की सूचना उन्होंने पुलिस को दी। मौके पर तैनात सिपाही फायरिंग की दिशा में गये, लेकिन अभियुक्त धमकी देते हुए भाग गये। सिपाही महेश व राकेश ने बताया फायर की आवाजें उन्होंने नहीं सुनी, लेकिन वे लोगों के बताये गये दिशा में गये थे। कोई मिला नहीं।

असलाहों की मण्डी है सिरसा कटरी, कई बार पिटी खाकी

कंपिल थाने की चौकी सिवारा क्षेत्र का गांव सिरसा पिछले कई वर्ष से अवैध असलहों की आपूर्ति का प्रमुख केन्द्र है। यहां का दुर्विजय शर्मा पूर्व में कटरी के छोटे गिरोह को तमंचे व रायफलों की आपूर्ति करता था। करीब 7 वर्ष पूर्व कटरी से कलुआ व अन्य गिरोह के सफाये के बाद दुर्विजय व उसके पुत्रों के तार सीमावर्ती कस्बा भरगैन के शातिर असलाह कारोबारी लड़ैते, गिरीश, सुरेश के माध्यम से कानपुर व मुबंई से जुड़ गये। समय के साथ-साथ बढ़ती मांग व असलहों की कीमतें कई गुना बढ़ने से मुनाफा भी बढ़ गया। धंधे से जुड़े लोग सिरसा व भरगैन की कटरी में दिन में खुलेआम तमंचे ठोंकते हैं और पुलिस को भनक भी नहीं लग पाती। बताया जाता है कि इन दिनों यहा का तमंचा 1500 से 2500 तक व रायफल 3500 से 7000 तक में बेची जाती है।

करीब तीन वर्ष पूर्व गांव तरी का नगला में असलाह छीनने को लेकर हुए विवाद में एक युवक की हत्या कर दी गई थी। डेढ़ वर्ष पूर्व रकम बटबारे को लेकर गैंगवार में सुल्तान यादव को गोलियों से भून दिया गया था। पुलिस ने जब-जब इस धंधे से जुड़े लोगों पर हाथ डाला तब तब गिरोह ने पुलिस से मोर्चाबंदी की। 4 वर्ष पूर्व छापामारी के दौरान पुलिस पर फायरिंग की गई।

एक वर्ष पूर्व जैना व उसके साथियों ने सिवारा चौकी प्रभारी को पीट दिया था। 4 माह पूर्व तत्कालीन थानाध्यक्ष एसके सागर की भी गिरोह ने पिटाई कर पुलिस टीम पर फायर झोंक दिये थे। गूजरपुर में मुन्नी देवी की दिन दहाड़े हत्या करने वाले अखिलेश व उसके दबंग पुत्र इसी धंधे की कड़ी हैं। पूरा परिवार असलहों की खरीद फरोख्त के धंधे में लिप्त था।