सर्राफ की हत्या और लूट की योजना में शामिल हुए 9 लुटेरे, 6 तमंचे और 1 सांप

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फर्रुखाबाद: कहते है जिसको रखे साइयां मार सके न कोय| फर्रुखाबाद के सर्राफ संतोष वर्मा की हत्या करने की सुपारी उसके पडोसी दूकानदार सर्राफ अशोक ने दी थी| और पूरी वारदात को अंजाम देने के लिए 9 लुटेरो ने जिन हथियारों का इस्तेमाल किया उसमे 1 सांप भी शामिल था| जी हाँ सही समझे आप| दिवाली के समय लुटेरे अपनी योजना को फूल प्रूफ बनाकर चले थे| और इस सफलता के लिए लुटेरो ने साप शाहजहांपुर जिले से खासतौर से मगाया था| लूट और हत्या के प्रयास से पहले एक अनुष्ठान हुआ था जिसमे दो मुह वाले सांप की पूजा की गयी थी| संतोष वर्मा की की हत्या के प्रयास और लूट की वारदात में शामिल आरोपी शाहजहांपुर निवासी सुशील मिश्र ने जेल जाने से पहले जेएनआई को बताया की वारदात से एक दिन पहले अनुष्ठान भी हुआ था जिसमे सांप की पूजा की गयी थी|

गुजरे जमाने में भी चोर, डकैत, ठग सभी कर्मकांड और ज्योतिष का पालन करते थे| चोर कभी भी उजियारे पाख में चोरी नहीं करते थे| चोरी के लिए अमावस्या सबसे शुभ मानी जाती थी| ठग और डकैत भी मुहूर्त देख कर अपना काम निपटाने निकलते थे| कई बार तो डकैत, चोर और ठग अपनी कमाई का कुछ हिस्सा देवी देवताओं को चडाते थे| डकैतों के मंदिर बनबाने और मंदिरों में घंटा चडाने के किस्से तो बहुत हैं| गुजरे जमाने का बड़े डकैत छविराम ने भी शाहजहांपुर में सर्राफ के यहाँ एक बड़ी डकैती को अंजाम देने के बाद फर्रुखाबाद के बढ़पुर मंदिर में घंटा चढ़ाया था| जो आज भी मुख्यद्वार पर लटका है|

राजस्थान के सवीना जाति के चोर सांप को साथ में भी रखते थे| ये सांप का इस्तेमाल चोरी करने के बाद उसका जहर पीते के लिए करते थे| गोह (एक तरह का जानवर) का इस्तेमाल चोर दीवार पर चिपकाने के लिए करते थे| जिसे पकड़ कर वो दीवार पर चढ़ते थे| वैसे आज के जमाने में आम आदमी की जगह भ्रष्टाचार करने वाले, दूसरो का हिस्सा चुराने वाले चोर, और काली कमाई वाले अनुष्ठान और पूजा पाठ के अन्धविश्वास में ज्यादा विश्वास करते है|