नॉएडा अथॉरिटी मामला: कोर्ट ने सपा, बसपा को दिया जोर का झटका धीरे से…

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लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नॉएडा अथॉरिटी से जुड़े एक फैसले में जहाँ एक ओर वर्तमान अखिलेश सरकार को झटका दिया है वहीँ पूर्व कि बसपा और मुलायम सरकार को भी जाँच की जद में ला खड़ा किया है। चीफ जस्टिस अमिताव लाला व जस्टिस पी के एस बघेल की खंडपीठ ने नॉएडा अथॉरिटी के चेयरमैन राकेश बहादुर और सीईओ संजीव शरण को तत्काल प्रभाव से हटाने के प्रदेश सरकार को आदेश दिए हैं। ये दोनों अधिकारी सपा सरकार के है चहेते रहे हैं फिर चाहे वो मुलायम का शासनकाल रहा हो या अखिलेश का। कोर्ट ने अपने आदेश से सीईओ संजीव शरण और चेयरमैन राकेश बहादुर को हटाने के साथ पश्चिमी उप्र में तैनाती पर रोक लगा दी है| यही नहीं वर्ष 2001 – 2012 तक के आवंटनों की सीबीआई जांच के भी आदेश दे दिए हैं|

उत्तर प्रदेश की वर्तमान सपा सरकार ने अपने चुनावी अभियान के दौरान जनता से कहा था कि वो सत्ता में आने के बाद प्रदेश से भ्रष्टाचार को निकाल बाहर फेकेगी| फ़िलहाल प्रदेश में समाजवादी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार है छोटी मोटी घटनाओं को छोड़ दिया जाये तो घोटालेबाजों पर सपा की ‘कृपा’ अभी भी बरस रही है| चाहे पोंटि चड्डा हों नसीमुद्दीन हों या फिर घोटाले के आरोपी आईएएस सभी वैसे ही मलाई काट रहे हैं जैसे मायाराज में काटते थे| नया मामला जो प्रकाश में आया है उसमे नोएडा अथारिटी में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राकेश बहादुर और संजीव शरण की पुरानी जोड़ी की वापसी हो गई है। प्रदेश सरकार ने राकेश बहादुर को नोएडा का चेयरमैन और संजीव शरण को वहां का सीईओ बना दिया है। पिछली सरकार ने करोडो रूपये के घोटाले में इन दोनो अधिकारियों को निलम्बित कर दिया था।

यह दोनो भ्रष्टाचार के दोषी अधिकारी वर्तमान सरकार के काफी करीबी आईएएस हैं| इसी लिए इन दोनों को सपा सरकार के गठन के बाद ही मलाईदार पद तोहफे में दे दिया| मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इन भ्रष्ट अधिकारियों को वही पहुँचाया जहाँ से पिछली नियुक्ति के दौरान इनके ऊपर घोटाले के गंभीर आरोप लगे थे। इस का दूसरा पहलू ये भी है कि उस केस की जाँच अभी भी चल रही है जिसमे ये दोनो आरोपी बनाये गए थे। इस मामले इस तथ्य को नजरंदाज किया गया कि नोएडा का चार्ज लेने के बाद ये दोनों जाँच को प्रभावित कर सकते है।

इन दोनों पर संगीन आरोप थे कि इन्होंने महंगी सरकारी जमीन का भू-उपयोग बदलकर कम कीमतों पर कमीशन खा होटल मालिकों को बेच दी| जाँच दल ने अपनी जाँच के दौरान पाया की इस घोटाले में राजस्व को चार हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।

ये तो रहीं पिछली बातें आज के परिदृश्य में राकेश बहादुर जैसा घोटालेबाज नोएडा, ग्रेटर नोएडा एवं यमुना एक्सप्रेस वे डवलपमेंट अथॉरिटी की महंगी जमीनों के आवंटन से होने वाली काली कमाई की बंदरबांट से जुड़े नए घोटाले की जाँच करेगा| हाल में ही सामने आया की इन प्राधिकरणों में तैनात अधिकारी और यहाँ काम कर रहे बिल्डर एक सिंडीकेट की तरीके काम कर रहे हैं। इनकम टैक्स विभाग के अधिकारियों को छापेमारी के दौरान जो कागजात मिले हैं जिनके ज़रिये कई बड़े खुलासे जल्द होने वाले हैं|

इनकम टैक्स विभाग से जुड़े हमारे सूत्रों के मुताबिक इस सिंडीकेट से जुड़े अधिकारी और बिल्डरों ने भू-आवंटन में एक दूसरे की सहायता कर अरबों रुपये की कमाई को अंजाम दिया है। अपनी काली कमाई को सफेद करने के लिए दर्जनों फर्जी कंपनियों खड़ी कर दी गयी हैं। इन फर्जी कंपनियों के बैनर तले कई अधिकारियों ने पत्नियों के नाम पर प्लाट आवंटन करके उन पर बहुमंजिला भवन खड़े करने में भी लगे थे।

आपको बता दें 11 मई को नोएडा, ग्रेटर नोएडा में बिल्डरों के ठिकानों पर पड़ी रेड में अधिकारियों की पत्नियों के लगभग तीन दर्जन कंपनियों में डाइरेक्टर जैसे बड़े पदों बैठे होने का पर्दाफाश हुआ। सख्ती के चलते इन भ्रष्ट अधिकारियों ने सौ करोड़ से अधिक काला धन और फर्जी कंपनियों से जुड़े कागजात जांच टीम को सौंप दिए हैं। कागजात देने वालों में जीएम रैंक के रवींद्र सिंह टोंगड़ की 82 करोड़, एसएसए रिजवी के एक करीबी की एक करोड़, ललित विक्रम की 7 करोड़ सहित वरिष्ट लेखाधिकारी रामपाल वर्मन के 10 करोड़ शामिल रहे।

सपा सरकार ने मायावती सरकार के दौरान हुए फार्म हाउस घोटाले की जांच नोएडा डवलपमेंट अथॉरिटी अध्यक्ष राकेश बहादुर को सौंपी है। सरकार ने राकेश बहादुर को सात दिन में जाँच रिपोर्ट देने को कहा है। नोएडा और आसपास के इलाके के किसानों की जमीन अधिग्रहीत कर उसे अमीरों और निजी कंपनियों के हाथों रद्दी के भाव देने के मामले में राजस्व को करोड़ों का नुकसान हुआ है।

खुलासे के बाद प्रदेश सरकार ने बीते सप्ताह ही प्रदेश के औद्योगिक विकास कमिश्नर अनिल कुमार गुप्ता को नोएडा के घोटालों की विस्तृत जांच लिए अधिकृत किया था। उनकी आरंभिक जाँच रिपोर्ट में घोटालों की पुष्टि होने पर मंगलवार को सरकार ने अथॉरिटी के चेयरमैन राकेश बहादुर से जांच कराने का निर्णय लिया। सूत्रों के अनुसार मायाकाल में अधिग्रहीत जमीन से 10-10 हजार वर्ग मीटर के150 प्लॉट बनाये गए। इन प्लॉटों को पाने वालों को यहाँ होटल, बैंक्वेट हॉल, स्वीमिंग पूल बनाने की सुविधा दी गई। 150 प्लॉट में से जहाँ कंपनियों को 120 प्लॉट और शासन पर मजबूत पकड़ रखने वालों को 29 प्लॉट आवंटित किए गए। इन आवंटियों में माया के शामिल हैं।

इसके साथ ही समाजवादी सरकार ने नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल में सरकारी बजट के साथ हुए गोलमाल की जांच का जिम्मा भी राकेश बहादुर को ही दिया है। आरोप है की इस स्थल के निर्माण में ग्रीन बेल्ट पर अवैध निर्माण कार्य हुए। इसमें सरकार का 54.27 करोड़ खर्च हुआ| बाद में इस निर्माण को तोडा गया जिसमें साढ़े पांच करोड़ खर्च हुए। इसी के साथ नोएडा में इंजीनियरिंग विभाग के बड़े घोटालों की जांच का काम भी राकेश बहादुर को सौंपा गया है|

अब देखना ये होगा कि एक भ्रष्ट कैसे दूसरे भ्रष्ट की जाँच करता है और इस जाँच में क्या निकलता है| यहाँ प्रदेश की सपा सरकार के लिए भी एक सवाल का जवाब देने का समय आ गया है कि आखिर क्यों इतने आईएएस के होने के बाद भी आखिर क्यों राकेश बहादुर को नोएडा का चेयरमैन और संजीव शरण को वहां का सीईओ बना दिया| क्या ये भ्रष्टाचार को बढावा देना नहीं है|