गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां गढ़ने में ही बीत गया विजय का जीवन

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फर्रुखाबाद: दीपावली के त्यौहार पर मुख्य रूप से भगवान गणेश व माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। जिसके चलते हर घर में नयी गणेश व लक्ष्मी जी की प्रतिमायें लाकर स्थापित की जाती हैं और पुरानी प्रतिमाओं को विसर्जित कर दिया जाता है। यह क्रम सैकड़ों हजारों साल पुराना है। जिसके चलते जनपद में मूर्तिकार गणेश लक्ष्मी की प्रतिमाओं को बनाने में जुट गये हैं। दिन रात कारीगर प्रतिमायें बना रहे हैं। जिनकी विक्री धनतेरस से शुरू हो जायेगी। प्लास्टर आफ पेरिस की मूर्तियों को बनाने वाले कलाकार सड़क किनारों पर गणेश लक्ष्मी की मूर्तियों को बनाने में कई सप्ताह पहले से ही जुट गये हैं। मूर्तिकारों का मानना है कि इस बार मिट्टी की मूर्तियों से ज्यादा प्लास्टर आफ पेरिस की मूर्तियों की बिक्री होगी। क्योंकि मिट्टी की मूर्तियों की तुलना में यह मूर्तियां सस्ती और बड़ी होती हैं।

शहर के आवास विकास के अलावा फतेहगढ़ चौराहा पर प्लास्टर आफ पेरिस की मूर्तियां गढ़ने की विजय की दुकान है। जिस पर विजय अपनी कलाकारी के हिसाब से मूर्तियां बनाने में जुटे हुए हैं। सांईबाबा, श्रीकृष्ण, शिवशंकर, सरस्वती, दुर्गा, हनुमान आदि की मूर्तियां भी त्यौहारों पर विक्री हेतु बनायी जा रही हैं। 20 रुपये से लेकर 200 रुपये तक की मूर्तियां प्लास्टर आफ पेरिस की उपलब्ध हैं। जिनकी विक्री भी तकरीबन शुरू हो चुकी है। महीनों से दुकानें सजाये इन दुकानदारों को इस दीपावली पर खास विक्री होने का भरोसा है और उसके लिए उन्होंने पूरी तैयारी भी कर ली है। विशेष तरह के रंग से इन मूर्तियों पर रंग रोगन किया जाता है। मूर्तियां रंगने के लिए प्रेसर मशीन के जरिये इन पर पेंट होता है। एक दिन में कारीगर तकरीबन डेढ़ सौ मूर्तियां गढ़ रहा है। रंग रोगन व अन्य तरह की साफ सफाई करने में तकरीबन तीन दिन लग जाते हैं। कुल मिलाकर तीन दिन में मूर्ति बनकर विक्री हेतु तैयार हो जाती है। फिलहाल दीपावली के त्यौहार को देखते हुए इन कारीगरों के अंदर काफी उत्साह नजर आ रहा है।