बच्‍चे नहीं बता सके मुख्‍यमंत्री-प्रधानमंत्री का नाम, कमिश्‍नर बोलीं ‘ओके’

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फर्रुखाबाद: जनपद में बेसिक शिक्षा की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। कोई भी साधन सम्पन्न व्यक्ति अपने बच्चों को सरकार द्वारा चलाये जा रहे प्राथमिक विद्यालयों में नहीं पढ़ाना चाहता। वहीं गरीब अपने बच्चों को इन सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए मजबूर हैं। लेकिन सरकारी तंत्र उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है। यही कारण है कि जनपद के अधिकांश स्कूलों में कक्षा चार व पांचवीं के बच्चों को मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री के नाम तक नहीं बता पाये लेकिन बेसिक स्कूलों के निरीक्षण पर आयीं कानपुर मण्डलायुक्त शालिनी प्रसाद मात्र खानापूरी कर ’’आल इज वेल’’ कहकर चलीं गयीं।

जनपद में एक दिवसीय निरीक्षण के लिए आयीं कानपुर मण्डलायुक्त शालिनी प्रसाद ने विकासखण्ड बढ़पुर के प्राथमिक विद्यालय महरूपुर सहजू का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने प्रधानाध्यापक निसार खां से आवश्यक जानकारी ली। बीएलओ उपासना गुप्ता से कमिश्नर ने वोटों के बढ़ाने के बारे में पूछा व कुल वोटों की संख्या पूछी। जिस पर उपासना गुप्ता ने बताया कि उनके बार्ड में कुल 1587 वोट हैं। इसके बाद कमिश्नर ने कक्षा 2 की छात्रा कोमल से किताब पढ़ने को कहा। कोमल ने किताब पढ़कर सुना दी तो कमिश्नर ने कहा ’’ओके’’। जिसके बाद पत्रकारों ने जब कक्षा 4 व 5 के बच्चों से प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के नाम पूछे तो अधिकांश बच्चे प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री का नाम नहीं बता सके। बच्चों ने बताया कि उपासना मेडम रोस्टरवाइज झाडू लगवाती हैं। कमिश्नर ने छात्रा अर्पिता की आंख में कमी देखी तो जिलाधिकारी से कहा कि छात्रा का परीक्षण करवाकर आंख का इलाज करावाया जाये। इसके बाद कमिश्नर मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम में चली गयीं।

बेसिक शिक्षा का इतना बुरा हाल होने पर भी यदि एक मण्डल स्तर के अधिकारी द्वारा आल इज वेल कहकर ओके कह दिया जाता है। तो फिर इसे भ्रष्टाचार को मजबूती देने और सरकारी तंत्र को और कमजोर करने के अलावा और कुछ नहीं है। जनपद के अधिकांश स्कूलों में बच्चों के लिए टाट फट्टी तक की व्यवस्था नहीं है। बच्चे पांच साल स्कूल जाने के बाद भी सामान्य गिनती पहाड़े तक नहीं जान पाये और अधिकारियों के सामने सब कुछ ठीक ठाक है। यही कारण है कि मात्र जनपद का ही नहीं पूरे प्रदेश के बेसिक स्कूलों का बुरा हाल है।