फर्रुखाबाद: जिलाधिकारी मुथु कुमार स्वामी और लोकवाणी केंद्र संचालको को चैलेन्ज करते हुए सदर तहसील के नगर क्षेत्र में तैनात लेखपाल कोतवाल सिंह यादव ने लोकवाणी केन्द्रों को फेल करने की ठान ली है| ये कारनामा वे अपनी कलम की ताकत से बखूबी अंजाम दे रहे है| कोतवाल सिंह लोकवाणी से प्राप्त आय प्रमाण पत्रों के आवेदनों पर इतनी आय की रिपोर्ट लगाते है कि आवेदक को मैनुअल प्रमाण पत्र बनबाने के लिए उनके पास आना ही पड़ता है| ऐसे में लेखपाल कोतवाल जहाँ एक ओर लोकवाणी केन्द्रों को फेल करने में जुटे हैं वहीँ दोनों हाथो से जमकर घूस भी वसूल रहे है| कोतवाल ने ऐसे ही एक आवेदक अनूप कुमार श्रीवास्तव की बेटी और पत्नी द्वारा लोकवाणी केंद्र के माध्यम से बनबाये आय प्रमाण पत्रों पर 38000 वार्षिक आय अंकित की वहीँ जब अनूप ने लेखपाल की जेब गरम कर दी तो कोतवाल लेखपाल ने मैनुअल प्रमाण पत्र 32000 वार्षिक आय की रिपोर्ट लगा प्रमाण पत्र जारी करवा दिए| ऐसे में आम जनता का लोकवाणी केन्द्रों तक पहुचने से रोकने का एक षड्यंत्र रचा जा रहा है|
अमीर को अति गरीब और गरीब को धन्नासेठ बनाने में कोतवाल सिंह का कोई जोड़ नहीं| लोकवाणी केन्द्रों से प्राप्त आवेदनों पर लेखपाल के पालतू कारिंदे (दलाल) भौतिक सत्यापन करते हैं और लेखपाल साहब आवास विकास में बड़ा का फ्लेट लेकर अपना दफ्तर चलाते है| इन दलालों को बढ़िया घूस मिली तो कोतवाल साहब आवेदक की मुह मांगी आय की रिपोर्ट लगा प्रमाण पत्र जारी करवाने में विशेष दिलचस्पी भी रखते है| नगर में नए नए तबादले पर आये एक भारी भरकम सपा नेता की सिफारिश और नोटों के मोटे बण्डल की दक्षिणा की वसूली आम जनता को लूट कर ये लेखपाल बखूबी अंजाम दे रहा है| एक ही बाप के दो बच्चो के अलग अलग आय के प्रमाण पत्र, पत्नी के आय प्रमाण पत्र में पति की कुछ लिखना और पति के जारी आय प्रमाण पत्र में आय कुछ| तमाम किस्से हैं इस लेखपाल के| घूस न मिलने पर नगला खैरबंद के अनिल राठौर को उस गाँव का निवासी न होने की रिपोर्ट लगा दी| यही नहीं अनिल की दस साल पूर्व विवाहित पत्नी जिसका नाम गाँव के परिवार रजिस्टर में दर्ज है पर रिपोर्ट लगाने से ही इनकार कर दिया|
तहसील में प्रमाण पत्र बनाने में ऐसे ऐसे हुआ घोटाला-
१-प्रमाण पत्र घोटाला: 10 दिन में तहसील सदर में वसूली गयी 1 करोड़ से ज्यादा की घूस
२-सबूत दो, मैं कार्यवाही करूंगा- तहसीलदार सदर
तो बात भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे लेखपालो की है| कुछ दिनों पहले तहसील सदर में लेखपाल संघ ने तहसील के सरकारी सभागार जो कि सरकारी बैठको के लिए बना है में धारा 144 लगी होने के बाबजूद बड़ी बैठक कर अधिकारिओ के खिलाफ आन्दोलन करने की धमकी दी| मामला भ्रष्टाचार में फसने से पहले अधिकारिओ पर दबाब बनाने और आम जनता को धोखा देने का है| जिले में राजस्व विभाग के ही अपर जिलाधिकारी ने धारा 144 लागू की है उन्ही के महकमे के लेखपाल अनुमति या बिना अनुमति के तहसील सदर के सभागार को बंद करके यूनियन की बैठक करते है और अपने ऊपर लगने वाले घूसखोरी और भ्रष्टाचार के आरोपों के खिलाफ पूर्व नियोजित रणनीति बनाते है| बात जनता को लूटते रहने देने की अनुमति की है| जो उन्हें मिलनी चाहिए| ऐसे मामले एक कोतवाल के ही नहीं अन्य लेखपालो के भी मय सबूत इक्कट्ठे हो चुके है| सदर तहसील के श्यामबाबू, प्रमोद सिंह, सोबरन सिंह, धीरेन्द्र यादव व् अन्य कईयों ने ऐसे ही कई गुल खिलाये है|
अब जरा तस्वीरो के माध्यम से नजर डालिए कि नीचे दिए गए मैनुअल प्रमाण पत्र और लोकवाणी प्रमाण पत्रों पर एक ही आवेदक की अलग अलग आय की रिपोर्ट लगी है| और फैसला कीजिये कि इनका क्या किया जाए| सजा देना और छोड़ देना तो अधिकारियों के हाथ में है मगर जनता को अधिकार सामाजिक तिरस्कार का तो मिला ही है| इमानदार जिलाधिकारी मुथु कुमार स्वामी जो जिले को लोकवाणी माध्यम से तमाम विभागों की सुविधाए सस्ती और भ्रष्टाचार मुक्त दिलाना चाहते है, राजस्व विभाग के ये कर्णधार उनके मंसूबो पर पानी डाल रहे है|
*मीरा और स्वीटी के आय प्रमाण पत्र जो कि कन्या विद्या धन योजना और बेरोजगारी भत्ता के लिए इस्तेमाल होने है जिनका 35000 वार्षिक आय से कम होना आवश्यक था दो लेखपालो ने अपनी रिपोर्ट लगाकर जारी कर दिए| जबकि लोकवाणी द्वारा बने प्रमाण पत्र इस खेल की कहानी से पर्दा उठा रहे है| लोकवाणी केंद्र के माध्यम से स्वीटी की आय प्रमाण पत्र आवेदन संख्या 29001120015297 थी जिस पर 38000 आय का प्रमाण पत्र जारी किया गया और मीरा देवी पत्नी अनूप श्रीवास्तव का आवेदन संख्या 29001120015933 पर भी 38000 वार्षिक आय का प्रमाण पर इन्ही लेखपाल की रिपोर्ट पर जारी हुआ जो दोनों योजनाओ में नहीं लग सकता था| लिहाजा अनूप श्रीवास्तव ने शार्टकट चुना लेखपाल के घर के फेरे लगाये, दक्षिणा (घूस) चढ़ाई और पा गए 32000 वार्षिक आय के प्रमाण पत्र|
लोकवाणी के माध्यम से जारी प्रमाण पत्र जिसमे मासिक आय 3166 रुपये अंकित है 38000 वार्षिक ही बनती है- एक नजर इस भ्रष्टाचार पर-