बाबा रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को गिरफ्तार कर लिया गया है। देहरादून की एक अदालत द्वारा उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए जाने के बाद यह कार्रवाई हुई। आचार्य बालकृष्ण को फर्जी पासपोर्ट मामले में कोर्ट में हाजिर होना था। लेकिन वह पेश नहीं हुए। तब अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी कर दिया। इसके फौरन बाद सीबीआई की टीम पतंजलि योगपीठ स्थित बालकृष्ण के दफ्तर पहुंच गई।
इस बारे में किसी पक्ष की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। बाबा रामदेव के प्रवक्ता ने फोन करने पर कहा कि उन्हें फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं करनी है। लेकिन बालकृष्ण के दफ्तर के बाहर मौजूद उनके एक समर्थक ने दैनिकभास्कर.कॉम को बताया कि अधिकारी काफी देर से आचार्य के दफ्तर में हैं। वहां उनके समर्थकों की काफी भीड़ जमा हो गई है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब बाबा रामदेव 9 अगस्त से विदेश में जमा काला धन भारत मंगवाने के लिए सरकार पर दबाव डालने के मकसद से बड़ा आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं।
आरोप है कि फर्जी दस्तावेज देकर आचार्य बालकृष्ण ने पासपोर्ट हासिल किया है। सीबीआई इसकी जांच कर रही है। बालकृष्ण के पास वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से मध्यमा (इंटरमीडिएट के समकक्ष) और शास्त्री (बीए के समकक्ष) की डिग्रियां हैं। इन डिग्रियों की भी जांच चल रही है।
उनके खिलाफ इस बात की भी जांच हो रही है कि वह शादीशुदा हैं या नहीं। उनकी वैवाहिक स्थिति को लेकर कुछ विवादास्पद जानकारी मिल रही है। इसके तार उत्तराखंड से नेपाल तक जुड़े बताए जा रहे हैं। इस जानकारी के आधार पर जांच की जा रही है। हालांकि अभी इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
आचार्य बालकृष्ण रामदेव के नेतृत्व में चलने वाले ट्रस्ट की 34 पंजीकृत कंपनियों के निदेशक हैं। इन 34 कंपनियों का कुल कारोबार 265.94 करोड़ रुपए है। इन कंपनियों में 23 उत्तराखंड में, पांच उत्तर प्रदेश में,चार दिल्ली में तथा एक एक पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में है। दिल्ली की चार कंपनियों का कुल कारोबार 163.06 करोड़ रूपए,उत्तराखंड की कंपनियों का 94.84 करोड़ रूपए तथा पश्चिम बंगाल की कंपनी का कारोबार आठ करोड़ रुपए है।
करीब साल भर पहले तक पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट और उससे जुड़े संस्थानों के लिए संगठन की कमान बाबा रामदेव संभाले हुए थे और प्रशासन व पैसे से जुड़ा सारा कामकाज बालकृष्ण देखते थे। लेकिन रामदेव ने मुक्तानंद को साइनिंग अथारिटी दे दिया था। उस समय भी बालकृष्ण की गिरफ्तारी की आशंका के मद्देनजर ही ऐसा किया गया था, लेकिन तब वह अदालत से गिरफ्तारी के खिलाफ स्टे ले आए थे। यह बात पिछले साल अगस्त की है।