इसे अखिलेश का जादू कहें या विरोधियों की मजबूरी सब के सब सपा के जादू के जलवे से सहमे हुए हैं। उत्तर प्रदेश में कन्नौज लोकसभा सीट के उप-चुनाव में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को बसपा व कांग्रेस ने वॉकओवर दे दिया, जबकि भाजपा का उम्मीदवार तो वह नामांकन ही नहीं कर सका। बसपा के उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला तमाम सवाल खड़े कर रहा है। डिंपल को वॉकओवर मिलने के ये कारण हो सकते हैं।
1. दीदी(ममता) की दादागिरी से त्रस्त केंद्र सरकार ने मुलायम सिंह को अपने पाले में लाया। राष्ट्रपति चुनाव में भी सपा की भूमिका अहम है। इसलिए रिश्ते को मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने सपा मुखिया को कन्नौज सीट उपहार में दे दी।
2. अपने गिरते जनाधार और अंदरूनी हालात से त्रस्त भाजपा एक बार फिर इस मुद्दे पर बंटी नजर आयी। मंगलवार को प्रदेश अध्यक्ष ने कन्नौज से उम्मीदवार न उतारने का ऐलान किया तो बुधवार को केंद्रीय नेत्रृत्व ने उम्मीदवार की घोषणा कर दी। अब अंतिम समय में तो सब यही कहेंगे कि घर फूटे तो गंवार लूटे।
3. बसपा के दिन दुर्दिन में बदल चुके हैं। यह बात प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य अच्छी तरह से जानते हैं। उन्हें वह दिन भी याद है जब पड़रौना सीट से प्रदेश अध्यक्ष मौर्य को आरपीएन सिंह के हाथों हार मिली, तो बहन जी ने इनके साथ कैसा बर्ताव किया था? सपा के बहुमत के बयार में अब एक बार फिर मौर्य अपनी कुर्सी पर कोई खतरा मोल लेना नहीं चाहते हैं। वैसे सत्ता के गलियारे में ये आशंका भी जतायी जा रही है कि शायद बसपा ने ‘बहू’ को वॉकवोवर दिया तो भ्रष्टाचार के खिलाफ हो रहे कार्रवाई में थोड़ी राहत मिले।
4. सपा के प्रचंड बहुमत ने जब बड़े दिग्गजों की हिम्मत तोड़ दिया है। तो बेचारे संयुक्त समाजवादी दल के दशरथ शंखवार और दूसरे निर्दलीय उम्मीदवार संजीव कुमार कब तक! हवाओं के रूख और सूत्रों के मुताबिक, ये दोनों पर्चा वापस ले सकते हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि ये सपा समर्थित डमी उम्मीदवार हैँ।
5.उन्नाव में किसान क्रय केंद्र पर जाकर नायक फिल्म के अंदाज में अखिलेश की छापेमारी को मीडिया ने हीरो बना दिया। डीएम सहित 31 अधिकारी और कर्मचारियों को सजा मिली। अंदरखाने की माने तो अभी अखिलेश के जादू से सभी सहमें हुए हैं। जमानत जब्त हो सकती है इसलिए हर पार्टी ऐसा करके अपना प्वाइंट बना रही है।