फर्रुखाबाद: इस वर्ष धनतेरस दो बार होगी| धनतेरस के दिन धनवंतरी जयंती भी मनाई जाती है| भगवान् धनवंतरी की पूजा अर्चना करने व नए बर्तन खरीदने की परंपरा वर्षों पुरानी है| घर में लक्ष्मी के आगमन के प्रतीक के रूप में सोना चांदी व आभूषण की खरीदारी होती है| लेकिन इनकी तारीखों को लेकर इस वर्ष कुछ असमंजस की स्तिथि है| इस बार धनतेरस दो बार तक मनाया जायेगा| सौर व चंद्र वर्ष में अंतर के चलते हर तीन वर्ष बाद इस प्रकार की स्थिति आती है।
कहते हैं कि आभूषण आदि खरीदने के लिये २४ अक्तूबर अच्छा रहेगा, लेकिन धनवंतरी जयंती मानाने के लिये २५ अक्तूबर शुभ होगा| आयुर्वेद के जानकारों के अनुसार पुराने बर्तन कई बीमारियों को जन्म दे सकते है| इसलिए धनवंतरी जयंती पर पुराने बर्तन बदलकर ख़ास तौर पर नए पीतल, तांबे, चांदी के बर्तन खरीदने की परंपरा पड़ी है| दीपावली से पूर्व इस दिन लक्ष्मी का भी खास महत्व है| लक्ष्मी के प्रतिक के रूप में आभूषण आदि खरीद कर घर में लाने से साल भर सुख- सम्रध्दी बनी रहने की भी मान्यता है|
जानकारों ने बताया कि कृष्ण पक्ष कि तेरस को धनतेरस और धनवंतरी जयंती मनाई जाती है| त्रयोदशी २४ को सुबह ९:३१ से २५ को सुबह ७:२१ तक रहेगी| सूर्योदय में २५ अक्तूबर को ही तेरस है इसलिए जयंती इसी दिन मनेगी| जयंती के हिसाब से बर्तन खरीदने वाले इस दिन भी खरीदारी कर सकते है| लेकिन लक्ष्मी आगमन और पूजन का महत्व प्रदोष काल में ही विशेष रूप से बतया गया है| प्रदोष काल सूर्यास्त से एक घंटा पहले और एक घंटा बाद तक मन जाता है| प्रदोष काल में तेरस २४ को मिलेगी, इसलिए धनतेरस इसी दिन मनाई जाएगी| अर्थवेद में लक्ष्मी पूजन का वर्णन है, उसमे भी शाम को ही पूजन की बात कही गयी है|
जानकारों ने बताया कि चन्द्र और सौर वर्ष में अंतर होने के करण लगभग तीन साल में यह स्तिथि जरूर आती है| २६ अक्टूबर को अमावस्या सुबह ४:०४ से रात २:२४ तक रहेगी| इसलिए दीपावली में लक्ष्मी पूजन को लेकर किसी प्रकार का मदभेद नहीं है|