जेएनआई डेस्क:कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से दीपोत्सव की शुरुआत होती है।त्रयोदशी तिथि पर भगवान धन्वन्तरि को समर्पित धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर भगवान धन्वन्तरि के संग धन की देवी मां लक्ष्मी और गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन घर में सुख, समृद्धि और खुशियों का आगमन होता है।
आचार्य सर्वेश कुमार शुक्ल के अनुसार इस बार धनतेरस पर का पूजा का मुहूर्त एक घंटा 42 मिनट रहेगा जो शाम छह बजकर 31 मिनट से शुरू होकर रात आठ बजकर 12 मिनट तक चलेगा। धनतेरस पर भगवान कुबेर व आयुर्वेद के प्रणेता भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है। धनतेरस के दिन विशेष रूप से नए वाहन, घर, सोना, चांदी, बर्तन, कपड़े, धनिया, झाडू खरीदने का महत्व है। मान्यता है कि इस बार सोना, चांदी, बर्तन, जमीन की खरीदारी करने से इनमें वृद्धि होती है।
पौराणिक मान्यताए:
पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन से भगवान धनवंरि अपने हाथों में अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए थे। धनवंतरि को विष्णु भगवान का अवतार माना जाता है इसलिए भी यह दिन उनके प्रकाट्योत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन धन के देवता कुबेर व देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन सोना चांदी, बर्तनों की खरीद करते हैं, मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुओं में 13 गुना वृद्धि होती है।