भूमि अधिग्रहण की नई नीति
फर्रुखाबाद: गुरुवार को राज्य सरकार ने भूमि अधिग्रहण की नई नीति जारी कर दी है। नयी नीति के अनुसार सरकार अब निजी कंपनियों के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण नहीं करेगी। इन कंपनियों को किसानों से सीधे आपसी सहमति के आधार पर जमीन खरीदनी होगी। सरकार केवल ‘फैसिलिटेटर’ की भूमिका अदा करेगी। इसके तहत वह सिर्फ भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी करेगी। भूमि का अधिग्रहण तभी हो सकेगा, जब उस क्षेत्र के सत्तर फीसदी किसान इसके लिए राजी हों। अधिग्रहीत भूमि की 16 प्रतिशत भूमि विकसित कर संबंधित किसान को नि:शुल्क दी जायेगी। किसान चाहे तो वह कुछ प्रतिशत भूमि का नगद प्रतिकर भी ले सकता है।
सरकार ने नई नीति के तहत अधिग्रहीत की गई भूमि के कुल क्षेत्रफल की 16 प्रतिशत भूमि को विकसित करके प्रभावित किसान को नि:शुल्क देने की व्यवस्था की है। नई नीति के तहत सरकार सभी प्रकार के भूमि अधिग्रहण के मामलों में करार नियमावली का पालन करेगी। नई नीति में प्रदेश के विकास के लिए बड़ी निजी कम्पनियों द्वारा स्थापित की जाने वाली विद्युत परियोजनाओं एवं अन्य कार्यों हेतु भूमि अधिग्रहण पर विशेष ध्यान दिया गया है, क्योंकि इसे लेकर ही किसानों में सबसे ज्यादा असंतोष रहता है। इस नीति का लाभ भट्टा पारसौल सहित उन क्षेत्रों के किसानों को नहीं मिलेगा, जहां अधिग्रहण को लेकर विवाद चल रहा है क्योंकि नई नीति गुरुवार से ही पूरे प्रदेश में लागू की गई है।