डीपीआरओ में आहरण वितरण को लेकर नया पेंच

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फर्रुखाबाद: कोषाधिकारी की द्वारा आहरण वितरण के लिये राजपत्रित अधिकारी होने की शर्त लागू कर दिये जाने के बाद से जिला पंचायतराज अधिकारी कार्यालय में आहरण वितरण को लेकर चल रही उठा पटक में नया पेंच फंस गया है। एक ओर जहां प्रभारी जिला पंचायतराज अधिकारी इंद्रपाल यादव अपने हस्ताक्षर प्रमाणित कराने के चक्कर में हैं वहीं सहायक जिलापंचायतराज अधिकारी देवेंद्र नाथ मिश्रा को विभागीय निदेशक ने राजपत्रित प्रतिष्ठा प्रदान कर दी है।

विदित है कि विगत लगभग एक वर्ष से जिला पंचायतराज अधिकारी कार्यालय में आहरण वितरण को लेकर कोषागार से आपत्ति लगी है। पूर्व में डीएन मिश्रा के डीपीआरओ रहते तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी सीपी त्रिपाठी द्वारा स्वयं आहरण वितरण का भार ले लिया गया था। बाद श्री त्रिपाठी के स्थानांतरण और नये डीपीआरओ के पदस्थापन के बाद से यह समस्या फिर खड़ी हो गयी है। अंबेडकर ग्रमों में नाली खंडंजे के लिये आये लगभग दो करोड़ से अधिक की ग्रांट के अतिरिक्त सफाई कर्मियों का वेतन भी कई माह से नहीं निकला है। स्वच्छ शौचालयों के निर्माण् का बजट भी आहरित नहीं किया जा सका है। फिलहाल नये डीपीआरओ इंद्रपाल सिंह यादव अपने हस्ताक्षर प्रमाणित कराने के लिये प्रयासरत हैं।

इसी उठ पटक के बीच पंचात राज विभाग के निदेशक डीएस श्रीवास्तव ने सहायक जिला पंचायतराज अधिकारी डीएन मिश्रा की १६ वर्ष् की सेवा पूर्ण हो जाने के क्रम में उनको राजपत्रित अधिकारी की प्रतिष्ठा प्रदान किये जाने की पुष्टि कर दी है। इसी के साथ एक प्रश्न और पैदा हो गया है कि क्या केवल प्रतिष्ठा प्रदान करने भर से कोषागार की वित्तीय हस्तपुस्तिका के नियम का अनुपालन हो जायेगा? क्योंकि राजपत्रित अधिकारी होने का अर्थ है कि अधिकारी के नाम का बाकायदा शासकीय राजपत्र में प्रकाशन (गजट) करा दिया गया हो। बहर हाल मामले में एक नया पेंच तो फंस ही गया है, और विभागीय बिलों के भुगतान रोक अभी जारी है।