फर्रुखाबाद: सुख और समृद्धि के पर्व दीपावली पर उत्साह-उमंग होना स्वाभाविक ही है। पर, हर्ष-उल्लास के इस मौके पर हमारी जरा सी असावधानी या यूं कहें कि अति-उत्साह हमारी अपनी और शहर की सेहत पर भारी पड़ रही है। दीपावली का जश्न अब समाप्त हो चुका है। इस उत्सव के पीछे जाने-अनजाने में छोड़ आए हैं प्रदूषित वातावरण, जिसमें हम सांस लेने को मजबूर हैं। पटाखों की गूंज और धुएं से वातावरण प्रदूषित हो गया है। पटाखे न छोड़ने या कम करने के लाख जागरुकता अभियान चलाए गए लेकिन इसका असर लोगों पर देखने को नहीं मिला। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार और अधिक पटाखे बिके। दिवाली के जश्न के पीछे अब बीमारियों को रेला लगेगा। लाखों रुपये के पटाखे फोड़ डाले, अब उससे उपजी बीमारियों पर करोड़ों रुपये खर्च होंगे।
हर बार की तरह इस साल भी दिवाली पर जमकर आतिशबाजी हुई, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। दीपावली की रात जिले में लाखों रुपये के पटाखे छोड़े गए, जिसके बाद वायु और ध्वनि प्रदूषण कई गुना बढ़ गया है। पटाखों का शोर और जहरीला धुआं सांस के रोगियों के लिए ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि दिवाली के दिन हवा में हानिकारक कार्बन की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है।